राजनांदगांव (DNH) :- लॉकडाउन में प्राय: सभी व्यापार नुकसान में चल रहा है। लेकिन मॉ बम्लेश्वरी महिला स्व-सहायता समूह की महिलाएं जिमी कांदा बेचकर करोड़ों रुपए का व्यापार कर रही हैं। जिले की करीब 10 हजार महिलाओें के नेतृत्व में सौ टन जिमी कांदा का उत्पादन लाकडाउन के दौरान हुआ है। लॉकडाउन के चलते जिमी कांदा की ऑनलाइन बिक्री भी की जा रही है। फोन से जिमीकांदा की बुकिंग कराकर घर पहुंच सेवा भी समूह की ओर से दी जा रही है। इससे महिलाएं आत्मनिर्भर हो रहीं हैं। एक तरफ लॉकडाउन की वजह से ज्यादातर व्यापार ठप पड़ा है, वहीं दूसरी तरफ महिलाएं जिमी कांदा (जिमी कंद) बेचकर आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर रही हैं। जिमीकांदा के साथ स्व सहायता समूह की महिलाओं ने तीन लाख मास्क भी बनाया है। जिसे छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य राज्यों में भी भेजा रहा है। वर्तमान समय में महिलाओं के लिए स्वावलंबन की राह अपनाना बहुत जरूरी हो गया है। महिलाएं हर क्षेत्र में आगे जरुर बढ़ रही हैं, लेकिन देश की तरक्की के लिए आत्मनिर्भर महिलाएं होना ज़रूरी है। महिलाएं स्वरोजगार के लिए उद्यमी बनना स्वीकार करेंगी तभी प्रगतिशील समाज की कल्पना की जा सकती है। जिले में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हज़ारों महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनकर अपने परिवार का सहारा बन रहीं हैं। घर के राशन के लिए पैसे नहीं होने पर जो महिलाएं दूसरे के सामने हाथ फैलाती थीं, वे आज आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनकर स्वावलंबी बनने के गुर सिखा रहीं हैं। यह सब हो पाया है जिमीकंद रोपण महाअभियान से । लॉकडाउन के दौरान लाेगों को घर में रहकर ही जिमी कांदा उपलब्ध हो सके। साथ ही जिले के अलावा आसपास के प्रांतों में लोगों को भी उपलब्ध हो इसकी तैयारी की जा रही है। इसके लिए स्व सहायता समूह ने होम डिलीवरी की तैयारी की है। जिमीकांदा के साथ समूह ने बड़ी मात्रा में मास्क भी बनाया है। कम कीमत में डबल कोडेट मास्क उपलब्ध होने से बाजार में इसकी डिमांड बढ़ गई है। मुम्बई से मास्क के लिए ऑनलाइन आर्डर समूह को मिली है। जिमी कंद रोपण महाअभियान के तहत माँ बम्लेश्वरी स्वयं सहायता समूह से जुड़कर महिलाएं अपने स्तर पर जिमीकंद की खेती कर लाखों रुपए कमा रहीं हैं। इस साल जिलेभर के 300 गांवों में महिलाओं ने 35 लाख टन जिमी कंद का रोपण किया है। जिसके माध्यम से अनुमानित 3-4 करोड़ का व्यवसाय करेंगी। महिला समूह को अपने-अपने स्तर पर जिमीकंद का उत्पादन करने के लिए प्रेरित किया गया। शुरुआत में महिलाओं ने जिमी कंद का रोपण किया और इससे दो करोड़ रुपए,की आमदनी हुई। अब स्वयं सहायता समूह ने दूसरों को भी आत्मनिर्भर बनाने का अभियान शुरू कर दिया। यह छोटी शुरुआत आज एक जन आंदोलन का रूप ले चुकी है और लाखों लोगों को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से मज़बूत कर रही है।





