JwalaExpressJwalaExpress

    Subscribe to Updates

    Get the latest creative news from FooBar about art, design and business.

    What's Hot

    पुरानी गंजमंडी काम्पलेक्स में 50 लाख के सी-मार्ट की सौगात स्थानीय स्तर पर निर्मित सामानों विक्रय का माध्यम: वोरा

    March 22, 2023

    डेयरी पशुओं के प्रजनन स्वास्थ्य प्रबंधन’’ विषय पर कृषि विज्ञान केंद्र में दो दिवसीय कार्यक्रम का समापन

    March 22, 2023

    बिना अनुमति के 30 जून तक नलकूप खनन पर लगी रोक

    March 22, 2023
    Facebook Twitter Instagram
    Facebook Twitter Instagram Vimeo
    JwalaExpress JwalaExpress
    Subscribe Login
    • होम
    • छत्तीसगढ़
    • देश-विदेश
    • राजनीति
    • क्राइम
    • खेल
    • मनोरंजन
    • व्यापार
    • जरा हटके
    • विविध
      • गृह लक्ष्मी
      • धर्म
      • शिक्षा
      • स्वास्थ्य
      • पर्यटन
    • E-Paper
    JwalaExpressJwalaExpress
    Home»छत्तीसगढ़»लॉक डाउन ने निगल लिया रामपुकार के बेटे को , मौत से पहले ना मिल सका बाप ।
    छत्तीसगढ़

    लॉक डाउन ने निगल लिया रामपुकार के बेटे को , मौत से पहले ना मिल सका बाप ।

    adminBy adminJune 13, 2020No Comments4 Mins Read

    नई दिल्ली (DNH) :- महानगर दिल्ली की एक सड़क के किनारे बैठा रामपुकार पंडित मोबाइल फोन पर बात करते हुए जÞार जÞार रो रहा है. उसकी यह दारूण तस्वीर देशभर के प्रवासी श्रमिकों का प्रतीक बन गयी है. समूचे देश में जब प्रवासी श्रमिकों के समक्ष अस्तित्व का संकट गहराता जा रहा है तो वहीं मीडिया में रामपुकार की यह तस्वीर खूब साझा की जा रही है.

    लेकिन तमाम सुर्खियों के बावजूद वह अपने परिवार से अभी तक मिल नहीं पाया है और अपने एक साल के बेटे की मौत से पहले उसकी सूरत तक न देख पाने के दुख ने उसे तोड़कर रख दिया है.

    कोरोना वायरस संक्रमण को काबू करने के लिए देश में लागू लॉकडाउन के कारण पैदा हुए प्रवासी संकट को दर्शाती इस तस्वीर को देश के हजारों लोग पहचानते हैं. इस तस्वीर में बेतहाशा रोता नजर आ रहा प्रवासी श्रमिक रामपुकार भले ही अपने मूल राज्य बिहार पहुंच गया है लेकिन वह अभी तक अपने परिवार से मिल नहीं पाया है.

    ‘पीटीआई’ के फोटो पत्रकार अतुल यादव ने दिल्ली के एक सिनेमा हॉल में काम करने वाले रामपुकार को दिल्ली में निजामुद्दीन पुल के किनारे देखा . वह उस समय फोन पर अपने परिजनों से बात करते हुए बेतहाशा रो रहा था. उसी दौरान फोटो पत्रकार ने उसकी तस्वीर ली थी, जो देश में प्रवासी संकट का चेहरा बन गई है.

    दिल्ली से करीब 1,200 किलोमीटर दूर बेगुसराय में अपने घर पहुंचने के लिए जूझ रहे 38 वर्षीय रामपुकार की तस्वीर को मीडिया में साझा किए जाने के बाद उसे बिहार तक पहुंचने में मदद मिल गई. वह इस समय बेगुसराय के बाहर एक गांव के स्कूल में पृथक-वास केंद्र में रह रहा है.

    रामपुकार इस बात से दुखी है कि वह अपने बच्चे की मौत से पहले घर नहीं पहुंच सका और उसे आखिरी बार देख भी न सका. यह तस्वीर लिए जाने के कुछ ही देर बाद उसके बेटे की मौत हो गई थी.

    रामपुकार ने ‘पीटीआई भाषा’ से फोन पर कहा, ‘‘हम मजदूरों का कोई जीवन नहीं है.’’ उसने कहा, ‘‘मेरा बेटा जो एक साल का भी नहीं हुआ था, उसकी मौत हो गई और मेरे सीने पर मानो कोई पहाड़ गिर गया. मैंने पुलिस अधिकारियों से मुझे घर जाने देने की गुहार लगाई लेकिन किसी ने मेरी कोई मदद नहीं की.’’

    रामपुकार ने कहा, ‘‘एक पुलिसकर्मी ने तो यह तक कह दिया, ‘क्या तुम्हारे घर लौटने से, तुम्हारा बेटा ंिजदा हो जाएगा. लॉकडाउन लागू है, तुम नहीं जा सकते’. मुझे उनसे यह जवाब मिला.’’ उसने बताया कि दिल्ली की एक महिला और एक फोटोग्राफर ने उसकी मदद की. वह फोटो पत्रकार अतुल यादव का नाम नहीं जानता.

    रामपुकार ने कहा, ‘‘मैं थका-हारा सड़क किनारे बैठा था और यह सोच रहा था कि मैं घर कैसे पहुंच सकता हूं. एक पत्रकार आया और उसने मुझसे पूछा कि मैं परेशान क्यों हूं. उसने मुझे अपनी कार से ले जाकर मदद करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उसे अनुमति नहीं दी. इसके बाद एक महिला आई और उसने कुछ इंतजाम किया… वह मेरे माई-बाप की तरह थी.’’

    मदद पहुंचने से पहले तीन दिन तक निजामुद्दीन पुल पर फंसे रहे रामपुकार ने कहा, ‘‘महिला ने मुझे खाना और 5,500 रुपए दिए. उसने विशेष ट्रेन में मेरा टिकट बुक कराया और इस तरह मैं बिहार पहुंचा.’’ उसने कहा, ‘‘अमीर लोगों को हर तरह की मदद मिलेगी. उन्हें विदेश से विमानों से घर लाया जा रहा है, लेकिन गरीब प्रवासी मजदूरों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है. हमारी ंिजदगी की यही कीमत है. हम मजदूरों का कोई देश नहीं.’’

    तीन बेटियों के पिता रामपुकार ने अपने बेटे का नाम रामप्रवेश रखा था, क्योंकि उसके नाम में भी राम शब्द है. उसने कहा, ‘‘क्या एक बाप घर जाकर अपने परिवार से मिलकर अपने बेटे की मौत का दु:ख नहीं बांटना चाहेगा?’’ उसने कहा, ‘‘मैं दिल्ली से एक विशेष ट्रेन से कुछ दिन पहले बेगुसराय पहुंचा हूं. हमें पास में एक जांच केंद्र ले जाया गया और वहां रात भर रखा गया. एक बस हमें सुबह बेगुसराय के बाहर एक स्कूल में ले गई और मैं तभी से यहां हूं.’’

    रामपुकार ने कहा, ‘‘मेरी पत्नी बीमार है और मेरी तीन बेटियां पूनम (नौ), पूजा (चार) और प्रीति (दो) मेरा इंतजार कर रही हैं. ऐसा लगता है कि यह इंतजार कभी खत्म ही नहीं होगा.’’ रामपुकार के मन में इस बात की टीस है कि वह अपने एक साल के बच्चे की मौत से पहले उससे मिल नहीं सका.

    Previous Articleझारखंड के एक परिवार को झगड़ा करने की वजह से , गांव के बाहर भेजा , अब कंद – मूल खा कर गुफा में कर रहे है गुजारा ।
    Next Article जून में लगने वाला सूर्य ग्रहण समाज में मचाएगा खरमंडल, कई दशक बाद ऐसा संयोग ।
    admin
    • Website

    Related Posts

    पुरानी गंजमंडी काम्पलेक्स में 50 लाख के सी-मार्ट की सौगात स्थानीय स्तर पर निर्मित सामानों विक्रय का माध्यम: वोरा

    March 22, 2023

    डेयरी पशुओं के प्रजनन स्वास्थ्य प्रबंधन’’ विषय पर कृषि विज्ञान केंद्र में दो दिवसीय कार्यक्रम का समापन

    March 22, 2023

    बिना अनुमति के 30 जून तक नलकूप खनन पर लगी रोक

    March 22, 2023

    अर्बन इंडस्ट्रियल पार्क की तैयारी शुरू, दुर्ग- भिलाई में गारमेंट फैक्ट्री और भिलाई में बीपीओ के माध्यम से पंद्रह सौ से अधिक लोगों को मिलेगा रोजगार

    March 22, 2023

    Leave A Reply Cancel Reply

    CG Live Budget
    https://www.youtube.com/watch?v=zxyCMmZYMOc
    RO-12338/99
    RO-12338/99
    Ro No. 12294/99
    Ro No. 12276/48
    Ro No. 12276/48
    संपादक

    ज्वाला प्रसाद अग्रवाल

    www.jwalaexpress.com
    एड्रेस :
    वार्ड क्रमांक 27, झूलेलाल मंदिर के पीछे ,
    सिंधी कॉलोनी , दुर्ग (छत्तीसगढ़ ) पिन कोड - 491001

    मोबाइल : 9993590905, 7000489995
    ई-मेल  : jwalaexpress@gmail.com

    हमारे बारे में
    ज्वाला एक्सप्रेस छत्तीसगढ़ प्रदेश का एक विश्वसनीय न्यूज पोर्टल है व साप्ताहिक न्यूज पेपर जिसकी स्थापना देश एवं प्रदेश के प्रमुख विषयों और खबरों को सही तथ्यों के साथ आमजनों तक पहुंचाने के उद्देश्य से की गई है। इसके साथ ही हम महत्वपूर्ण खबरों को अपने पाठकों तक सबसे पहले पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
    सम्पूर्ण न्यायिक प्रकरणों के लिये न्यायालयीन क्षेत्र दुर्ग होगा।
    Facebook Twitter Instagram Pinterest
    • Home
    • Politics
    • Business
    • Technology
    • Buy Now
    © 2023 ThemeSphere. Designed by ThemeSphere.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

    Sign In or Register

    Welcome Back!

    Login to your account below.

    Lost password?