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    Home»छत्तीसगढ़»कोरोना काल में मौत के रूप देखकर , इंसानियत भी खून के आंसू रो रही है , लेकिन जमीर बेच चुके राजनेता , सुरक्षा उपकरणों की खरीदी में दलाली कमाने से बाज नहीं आ रहे है ?
    छत्तीसगढ़

    कोरोना काल में मौत के रूप देखकर , इंसानियत भी खून के आंसू रो रही है , लेकिन जमीर बेच चुके राजनेता , सुरक्षा उपकरणों की खरीदी में दलाली कमाने से बाज नहीं आ रहे है ?

    adminBy adminJune 13, 2020No Comments13 Mins Read

    *दुर्ग* (DNH):- – कोरोना काल में सबकुछ सुधर गया लेकिन राजनेताओं की कमीशनखोरी और दलाली नहीं सुधरी और शायद सुधरेगी भी नहीं ? इसीलिए देश की जनता दलाली कर  रहे सफेदपोशों को कफन चोर कहने में जरा भी नहीं हिचकती ? लोगो की इस कड़वी बातों दमदारी पूर्वक सच्चाई होती है ? तभी दलाल रूपी नेता जनता की बातों का विरोध भी नहीं कर पाते ? क्योंकि , जनता के भरोसे ही , कुर्सी तक पहुंचे है और आगे भी पहुंचना है , लेकिन इस बीच दोगलेपन का त्याग नहीं कर सकते है ? यदि मौका मिला तो दलाली का डंक मरना नहीं। छोड़ेंगे ? और अब तक की सच्चाई भी , यही है ? ये सत्ता की बागडोर और कुर्सी में बैठते ही है दलाली के लिए , देश के भीतर शायद ही ऐसा नेता हो , जो दलाली कर , अपने घर की नीव को मजबूत ना करना चाहता हो ? अधिकांश पैसा कमाने के लिए ही राजनीति में आएं रहते है ? ऐसे लोगो का जनहित और जनसेवा से कोई सरोकार नहीं होता है ? आज पूरी दुनिया कोरोना महामारी के कारण बर्बादी की कगार पर पहुंच चुकी है , तब देश के भीतर कुछ राजनेता कोरोना से सुरक्षित रखने के लिए , खरीदे गए उपकरणों में भी दलाली करने से नहीं चूके ? जब मामला सार्वजनिक हुआ , तो पद से इस्तीफा देने लगे , मामला हिमांचल प्रदेश का है , जहां प्रदेश की सत्ता पर भाजपा काबिज है , शर्म आती है ऐसे नेताओ पर , जो मानवता को बेचकर धन कमाने में भिड़े हुए है ? ऐसे नेताओं को , इस दौर को देखते हुए चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए ? लेकिन शायद ऐसे नेताओ को अंत समय में चुल्लू भर पानी भी नसीब नहीं होता है ? कोरोना काल का , यह दौर देश और देशवासियों को बर्बाद कर चुका है  , लोग बेमौत मारे जा रहे है ? कुछ महामारी से मर रहे है ? तो कुछ हादसों का शिकार होकर मौत के मुंह में समा रहे है ? तो कुछ व्यवस्था के शिकार होकर मौत के आगोश में समा गए ? मौत की  रफ्तार बड़ी तेज है , रोज देश भर में हजारों लोगों को मौत के मुंह में धकेल रही है ? देश और देश की सरकार , महामारी से परेशान – हैरान है ? चारो तरफ हाहाकार मचा हुआ , लोग भूख और बेरोजगारी से व्याकुल हो चुके है , सरकारी मदद भी , लोगो को कम पड़ रही है ? सरकार चिंताग्रस्त है कि , देश और देशवासियों को कैसे संभाले और उनका पालन पोषण करे , क्योंकि , महामारी के कारण पूरा कारोबार ठप्प पड़ा हुआ है , आर्थिक स्थिति देश की और देशवासियों की बिगड़ चुकी है ? पूरा देश और सरकार , इस महामारी से निपटने के लिए भरपूर कोशिश कर रहा , सरकार और उसका पूरा तंत्र सड़को पर है जनसेवा करने के लिए और लोगो की जान बचाने के लिए ? महामारी के इस  दौरमें जहां लोग और सरकार मज़बूरी भरा जीवन जीने के लिए मजबुर है , तब ऐसे मौके पर , सरकार के बीच बैठे कुछ जमीर बेच चुके लोग और महामारी सिर्फ अपना ही सोच रहे है ? आइए देखते है , उन सच्चाइयों को , जो मानवता को झकझोर कर रख देती है ।

    *पिता ढूंढता रहा दूध , और बच्चे ने स्टेशन में ही दम तोड़ा ?*

    लॉकडाउन के दौरान दूसरे प्रदेशों से प्रवासियों की वापसी के बीच बिहार के मुजफ्फरपुर जंक्शन पर एक दर्दनाक हादसा हो गया। दिल्ली से लौटा एक पिता अपने चार साल के भूखे बेटे के लिए दूध ढ़ूंढ़ता रहा, इस बीच उसकी मौत हो गई। घटना के बाद मृत बच्‍चे के स्‍वजनों ने जमकर बाल काटा। स्‍वजनों ने स्‍टेशन पर बदइंतजामी का आरोप लगाया। उधर, मुजफ्फरपुर जिला प्रशासन ने बच्चे की मौत का कारण बीमारी बताया। पश्चिमी चंपारण जिले के लौरिया थाने के लंगड़ी निवासी मो. पिंटू के पुत्र मो. इरशाद की मौत मुजफ्फरपुर  जंक्‍शन के प्लेटफॉर्म संख्या एक पर बीेते दिन हुई। उसकी मौत से नाराज स्वजनों ने वहां जमकर हंगामा किया। स्वजन बच्चे की मौत के लिए बदहाल व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराते हुए घर वापसी के लिए वाहन की मांग कर रहे थे। मौके पर तैनात रेलवे के अधिकारी और डीटीओ रजनीश लाल स्वजनों को शांत करने की कोशिश की।  डीटीओ की पहल पर प्लेटफॉर्म पर एंबुलेस लाई गई, लेकिन इसके बाद स्वजन मुआवजे की मांग को लेकर अड़ गए। सूचना मिलते ही एडीएम राजेश कुमार और एडीएम आपदा अतुल कुमार वर्मा ने मौके पर पहुंच स्वजनों से बात कर मुआवजे का आश्वासन दिया। लेकिन, स्वजन बतौर मुआवजा नकदी की मांग पर अड़े रहे। बाद में रेल पुलिस ने बयान दर्ज कर स्वजनों को उनके जिले के लिए रवाना किया। जबकि, एडीएम आपदा ने सरकारी प्रावधान के अनुसार मुआवजा का आश्वासन दिया।

    *पिता बोले – भूखे बेटे के लिए नहीं दिया दूध ?*

    मृत बच्‍चे के पिता मो. पिंटू ने बताया कि वे अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ दिल्ली के रमा बिहार में पेंट कंपनी में काम करते थे। लॉकडाउन के चलते फंस गए थे। उन्होंने दिल्ली में अपना सारा सामान बेच मकान खाली कर दिया। चार बच्चों समेत 12 लोग दिल्ली से सीतामढ़ी जाने वाली ट्रेन से 10.30 बजे सुबह मुजफ्फरपुर जंक्शन पर उतरे। इसके बाद उन्हें न तो बस मिली और न हीं ट्रेन। वे भूखे बच्चे के लिए दूध की तलाश करते रहे, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। बेटे की मौत के बाद मां जेबा खातून बदहवास दिखी। वह बार-बार बेहोश हो रही थी। जबकि, जेबा की बहन सोनी खातून अपने तीन माह के बच्चे को गर्मी से बचाने का प्रयास कर रही थी। इस संबंध में मुजफ्फरपुर के जिला सूचना व जनसंपर्क पदाधिकारी कमल सिंह ने बताया कि पश्चिमी चंपारण के बच्चे की मौत बीमारी से हुई है। शव और स्वजनों को एंबुलेंस के जरिये घर भेज दिया गया है।

    *महामारी के दर से , बच्चे के मरने के बाद भी किसी ने नहीं पूछा , कि क्या हुआ है ?*

    कोरोनात्रासदी ने लोगों की जिदंगी को बदल कर रख दिया है। शारीरिक दूरी के साथ, सामाजिक दूरियां भी बढ़ती जा रहीं हैं। मानवता अब एक शब्द मात्र रह गया है। देश के दो बड़े राज्यों से आईं ये चार दर्दनाक कहानियां इस बात की तस्दीक हैं। बिहार के मुजफ्फरपुर में एक मजदूर दूध के लिए स्टेशन पर भटकता रहा और साढ़े चार साल का बेटा तड़प-तड़पकर चल बसा। वहीं, श्रमिक स्पेशल ट्रेन से रांची लौट रहे एक मजदूर की बिलासपुर में मौत हो गई। ट्रेन बिलासपुर से हटिया के बीच 70 स्टेशन क्रॉस कर गई, मगर किसी ने न ट्रेन रोकी और ना ही प्रशासन को सूचित किया। 27 मई दिन बुधवार सुबह करीब 10:30 बजे गोवा के करमाली से जब श्रमिक स्पेशल ट्रेन हटिया पहुंची तो पता चला कि एस-15 में सफर कर रहे एक 19 वर्षीय अशोक गोप की मौत हो चुकी है। हैरानी इस बात की है कि युवक की तबीयत 26 मई दिन मंगलवार रात बिलासपुर के आसपास बिगड़ी थी। देर रात करीब 1 बजे उसकी मौत हुई। ट्रेन बिलासपुर से हटिया के बीच 70 स्टेशन क्रॉस कर गई, मगर किसी ने न ट्रेन रोकी और ना ही प्रशासन को सूचित किया। गुमला के सिसई का निवासी अशोक गोवा के मडगांव में होटल में काम करता था।चचेरी बहन देवंती के साथ वह झारखंड लौट रहा था। देवंती के मुताबिक सोमवार शाम जब ट्रेन में चढ़े तो अशोक ठीक था। मंगलवार रात 11 बजे खाना खाने के बाद तबीयत बिगड़ी। उलटी हुई और वह बेहोश हो गया। देवंती को समझ में नहीं आया कि चलती ट्रेन में किससे मदद मांगे। कुछ लोगों से मदद मांगी भी तो उन्होंने अनसुना कर दिया। अशोक की मौत के कारण का पता पोस्टमार्टम के बाद ही चल पाएगा और पोस्टमार्टम गुरुवार को कोरोनावायरस की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही होगा। पिता विश्राम गोप ने कहा कि बेटा रोजगार के लिए गोवा गया था। दो महीने से बैठा था। होटल रहने-खाने को देता था, मगर मन नहीं लग रहा था। मुझसे बोला था-घर लौट रहा हूं…अब कभी नहीं आएगा। बुधवार को रिम्स में बेटे का शव देख पिता फूट-फूट कर रो पड़े।

    *महामारी के कारण बाप का शव गांव नहीं आया , तो परिवार के लोगो ने पुतला बना कर , किया अंटिमसंसकर ?*

    नेपाल के परासी जिले में एक ईंट भट्‌ठे में 23 मई को सिसई के एक मजदूर खद्दी उरांव की मौत हो गई। 22 मई को उसकी तबीयत बिगड़ी। साथ काम करने वाला छोटा भाई विनोद उरांव और अन्य साथी 23 मई को अस्पताल ले गए, मगर इलाज नहीं हो सका। कोरोना के कारण शव सिसई में उसके गांव छारदा लाना संभव नहीं था। इसलिए छोटे भाई ने नेपाल में ही दाह-संस्कार कर दिया। पत्नी और बच्चे अंतिम दर्शन तक नहीं कर पाए। मजदूर के भाई वासुदेव उरांव ने बताया कि गांव में परिवार ने मिट्‌टी का पुतला बना उसी का विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया। पत्नी बोली-पैसे कमाने गए थे…शरीर तक नहीं लौटा: मृतक की पत्नी सुखमनिया ने बताया कि पति हर साल दिसंबर-जनवरी में कमाने के लिए नेपाल जाते और जून में लौटते थे। इस बार कहा था कि लौटकर घर बनाऊंगा, बच्चों को अच्छे स्कूल में भेजूंगा। उनका शरीर तक नहीं लौटा।

    *मां दुनिया में नहीं रही , मासूम बच्चा कफ़न से खेलता रहा ?*

    ये घटना भी मुजफ्फरपुर की है। डेढ़ साल के मासूम रहमत की मां नहीं रही। परिवार कहता है कि गर्मी के कारण श्रमिक स्पेशल ट्रेन में तबीयत बिगड़ी थी। सरकार कहती है कि पहले से बीमार थी और दिमागी हालत भी खराब थी। लेकिन, रहमत समझ नहीं सकता कि मां काे क्या हुआ? क्याें हुआ? उसे ताे बस यही लगा कि भरी दाेपहरी में चादर ओढ़कर मां प्लेटफाॅर्म पर साे गई है। अपनी जिंदगी के सबसे बड़े नुकसान से बेखबर रहमत मां के कफन को आंचल समझकर खेलता रहा। इस उम्मीद में कि थाेड़ी देर बाद जब मां उठेगी और कहेगी… रहमत! बेटा कुछ खा ले… काेराेना संकट के बीच दिल दहलाने वाली यह घटना 25 मई दिन साेमवार काे बिहार के मुजफ्फरपुर में हुई।  वीडियाे 27 मई दिन बुधवार काे सामने आया। मृत महिला का नाम अरवीना खातून (23) था। बहन और जीजा के साथ 23 मई काे अहमदाबाद से मधुबनी जा रही श्रमिक स्पेशल एक्सप्रेस में चढ़ी थीं। बीच में ट्रेन काफी देर रुकी रही। 25 मई काे भीषण गर्मी के बीच अरवीना ने मुजफ्फरपुर स्टेशन से कुछ घंटे पहले ट्रेन में ही उसने दम ताेड़ दिया। हालांकि, रेलवे ने कहा कि महिला पहले से बीमार थी और उसकी मानसिक स्थिति भी सही नहीं थी। महिला के दाे बेटे हैं, 4 साल का अरमान और डेढ़ साल का रहमत। रहमत के जन्म के आसपास पति ने अरवीना काे छाेड़ दिया था।

    *मुंबई से लौटते हुए , पश्चिम बंगाल के मजदूर की मृत्यु भिलाई में हुई , कफ़न दफन पुलिस  ने किया ?*

    छत्तीसगढ़ में दो प्रवासी श्रमिकों की मौत हो गई। दोनों प्रवासी मजदूर मुंबई से अपने घर पश्चिम बंगाल जा रहे थे। रास्ते में तबीयत खराब होने पर दोनों की मौत हो गई। पुलिस ने दोनों मजदूरों के शव अस्पताल में रखवाने के साथ ही उनके परिजनों को सूचित कर दिया है। वहीं, दोनों श्रमिकों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। महासमुंद में जहां काेरोना संदेह के चलते बस चालक ने मजदूर और उसके भतीजे को रास्ते में उतार दिया। वहीं भिलाई में तबीयत बिगड़ने दवाई खाने के बाद मजदूर ने दम तोड़ दिया। जानकारी के मुताबिक, तारकेश्वर पश्चिम बंगाल निवासी हकील मलिक और उसका भतीजा सुल्तान मुंबई में मजदूरी करते थे। दोनों गोरेगांव से बस में बैठकर पश्चिम बंगाल जा रहे थे। रास्ते में राष्ट्रीय राज मार्ग-53 ग्राम लहरौद के पास हाकीम मलिक की तबीयत बिगड़ गई। इसके बाद बस चालक ने कोरोना का संदेह होने पर दोनों मजदूरों को नीचे उतार दिया। सूचना पर ढाक टोल प्लाजा के पास एंबुलेंस से पिथौरा के सरकारी अस्पताल लाया गया, जहां हाकीम की मृत्यु हो गई है। मुंबई से पश्चिम बंगाल लौट रहे मजदूर अब्बू वाकर शेख की जीआरपी चरोदा के पास तबीयत बिगड़ गई। दवाई खाने के बाद उसकी मौत हो गई। राजनांदगांव से वह बस में अपने दोस्त और रिश्तेदार के साथ बैठकर सरायपाली जा रहा था। बस में अचानक उसे चक्कर आ गया। जिसके बाद वह उल्टी करने लगा। दवाई खिलाने के बाद वह कुछ देर तक बड़बडाना रहा। अचानक उसकी सांसें थम गई। घटना का पता शाम करीब 6.30 बजे चला था। पूछताछ में पता चला कि रुकिया थाना कलता (पश्चिम बंगाल) निवासी अब्बू (36) अपने 11 दोस्तों के साथ नौकरी करने के लिए जनवरी में मुंबई गया था।

    *कोरोना सुरक्षा उपकरण की खरीदी में घोटाला , प्रदेश अध्यक्ष का इस्तीफा ?*

    हिमाचल प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने पद से इस्तीफा दे दिया है। बीते दिनों वायरल ऑडियो मामले में स्वास्थ्य निदेशक की गिरफ्तारी के बाद भाजपा नेताओं पर भी सवाल उठ रहे थे। इसके बाद उन्होंने अचानक यह कदम उठाया है। उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को त्यागपत्र भेज दिया है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राजीव बिंदल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। इसमें उन्होंने तर्क दिया है कि राज्य में स्वास्थ्य निदेशक का कथित ऑडियो जारी हुआ। कुछ लोग इसे भाजपा से जोड़ने का प्रयास कर रहे थे।

    भाजपा का किसी भी तरह से इस पूरे मामले में कोई सरोकार नहीं हैं। राज्य सरकार ने यह मामला सामने आते ही मामले की विजिलेंस जांच शुरू कर दी थी। इसके साथ ही स्वास्थ्य निदेशक को गिरफ्तार कर लिया था। इस प्रकरण का भाजपा से कोई लेना देना नहीं हैं। पार्टी का दामन पाक साफ है। इस प्रकरण को भाजपा की आेर इंगित करना सरासर अन्याय है। साथ ही भाजपा की कोरोना काल के दौरान किए जाने वाले काम का अपमान है। भाजपा ने संकट की घड़ी में राज्य में बूथ स्तर तक अभियान चलाया। 3000 से ज्यादा कांफ्रेंस कर 60 हजार से ज्यादा कार्यकर्ताआें के साथ संवाद किया। भाजपा ने कोरोना काल में आत्म विश्वास बढ़ाकर रखा, इस संकल्प पर काम किया कि कोई भी राज्य में भूखा न सोए।

    उन्होंने कहा कि मैं भाजपा का अध्यक्ष हूं। इसलिए मैं चाहता हूं कि इस कथित भ्रष्टाचार के पूरे मामले की संपूर्ण जांच हो व किसी प्रकार का दबाव न हो। मैं नैतिक मूल्यों का ध्यान रखते हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के पद से त्यागपत्र दे रहा हूं। उन्होंने कहा वह केवल उच्च नैतिक मूल्यों के आधार पर ही त्यागपत्र दे रहे हैं। इनके त्यागपत्र के बाद राज्य में राजनीति गरमा गई है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई हैं कि क्या इस्तीफा मंजूर होगा या नहीं। अब सभी की नजरें इसी पर टिकी हैं। स्वास्थ्य निदेशक पर एक डील के लिए पांच लाख रुपये देने का आरोप लगा है। इस पूरे प्रकरण में भाजपा के एक नेता का नाम भी घसीटा जा रहा था। इस पूरे विवाद के बाद डॉ. राजीव बिंदल ने यह कदम उठाया है।

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