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    Home»छत्तीसगढ़»गांवों में भूख से जूझते ग़रीब लोग, फ़ेल होती सरकारी व्यवस्था ?
    छत्तीसगढ़

    गांवों में भूख से जूझते ग़रीब लोग, फ़ेल होती सरकारी व्यवस्था ?

    adminBy adminJune 13, 2020No Comments10 Mins Read

    रायपुर (DNH):- भूख से लक्षु लोहरा और सोमरिया देवी की पहचान कोई नई नहीं थी, लेकिन अबकी भूख मौत को साथ लाई थी. ‘मांग-चांग, चौका-बर्तन या दूसरों की मदद से गुज़ारा’ करने वाले लक्षु और सोमरिया को कई दिनों तक दाना नसीब नहीं हुआ और करुण गांव निवासी पुष्पा देवी के मुताबिक़ सोमरिया देवी की लॉकडाउन के आठवें दिन मौत हो गई. लक्षु फ़िलहाल झारखंड प्रशासन से मिले 10 किलो चावल की मदद से ज़िंदा हैं और शायद आसपास हो रही इस बहस को चुपचाप सुन रहे कि उनकी बीवी की मौत भूख से हुई, जैसा सामाजिक कार्यकर्ता कह रहे हैं, या फिर बीमारी से, जो कि प्रशासन का कहना है.

    लक्षु और सोमरिया के पास राशन कार्ड नहीं था, न ही वो किसी और सरकारी सहायता योजना में रजिस्टर्ड थे. अचानक की गई तालाबंदी के बाद करोड़ों मज़दूरों के बेकार हो जाने और कई राज्यों से भुखमरी की ख़बरों की बात स्वयंसेवी संस्थाएं कर रही हैं.

    रोजी-रोटी अधिकार अभियान ने केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान को पत्र भेजा है जिसमें मांग की है कि राशन सबको मुहैया करवाया जाना चाहिए क्योंकि देश की कम-से-कम नौ करोड़ ज़रूरतमंद जन-वितरण प्रणाली के तहत पंजीकृत नहीं हैं. इन लोगों को सरकारी राहत स्कीमों का लाभ नहीं मिलेगा.

    सामाजिक कार्यकर्ता सिराज कहते हैं बीपीएल कार्ड धारकों को सरकार के तीन माह के अतिरिक्त राशन की घोषणा की बजाए राशन डीलर एक माह का राशन देकर चलता कर दे रहे हैं, कई जगहों पर लोगों के राशन कार्ड महाजनों के पास गिरवी होने की भी ख़बरें हैं और बहुत सारा वर्ग ग़रीब होने के बावजूद सरकारी योजनाओं का हिस्सा कभी बन ही न पाया था.

    रोज़गार और लोगों की आमदनी पर असर

    कर्नाटक पीपुल्स यूनियन ऑफ़ सिविल लिबर्टीज़ ने राशन वितरण और सीनियर सीटिज़न पेंशन से जुड़े इन मुद्दों को हाई कोर्ट में उठाया है.

    श्रम मंत्रालय के एक आंकड़े के मुताबिक़ मुल्क की 81 फ़ीसदी से ज़्यादा आबादी की मासिक आमदनी 18,000 रूपये से भी कम है और तालाबंदी की वजह से कारखाने और बहुत सारे व्यावसाय बंद हैं जिसका असर रोज़गार और लोगों की आमदनी पर पड़ेगा.

    मुज़फ्फ़रपुर के महंत मनिहारी गांव की रहने वाली इंदु देवी के दो बेटे लॉकडाउन के ऐलान के बाद किसी तरह घर पहुंच पाए हालांकि सबसे छोटा बंगलुरू में फंस गया है और ‘किसी तरह समय काट रहा है’.

    भूमिहीन इंदु देवी का गुज़ारा ‘मनरेगा में होने वाले कामों से चलता था लेकिन वो पिछले तीन महीने से बंद है.’

    मज़दूरी करने वालों के पास काम नहीं

    मुज़फ़्फ़रपुर के ही रतनौली गांव के संजय साहनी कहते हैं, काफ़ी ग्रामवासी – महिला और पुरुष दोनों, पास के औद्योगिक क्षेत्रों में रोज सुबह काम पर जाकर शाम को वापस आ जाते थे, लेकिन अब वो रुका पड़ा है.

    ठेला लगाने, छोटी गुमटियों में सामान बेचने वाले और भवन निर्माण में मज़दूरी करने वाले लोग बिना काम और कमाई के बैठे हैं, और हालांकि गेंहू कटाई का काम चल रहा है लेकिन ‘बाहर से गांव वापिस आए लोग इस डर से वहां नहीं जा रहे और छिपे फिर रहे हैं कि कहीं किसी गांव वाले की शिकायत पर पुलिस या सरकारी अमला उन्हें अस्पताल लेकर जाकर न भर्ती करवा दे.’

    इस बीच पुलिस पर लाठियाँ चलाने के रोप लग रहे हैं, सोमवार को मुज़फ्फ़रपुर के गोपालपुर बाज़ार में दुकानदारों और ख़रीदारों पर पुलिस की लाठी जमकर बरसी; इसका असर लोगों को मदद पहुंचाने के काम में भी आ रहा है.

    अंफान तूफान: ओडिशा और पश्चिम बंगाल के लिए बना मुसीबत, सुंदरबन पर गहराया ख़तरा

    पहले ही कोरोना महामारी से जूझ रही ओडिशा सरकार के लिए तूफान ने एक नई मुसीबत खड़ी कर दी है. बंगाल की खड़ी में बना चक्रवाती तूफान ”अंफान” ने सोमवार दोपहर और गहराकर “सुपर साइक्लोन” में तब्दील हो गया. अक्टूबर 1999 के बाद यह पहला मौका है जब बंगाल की खाड़ी में कोई “सुपर साइक्लोन” बना हो.

    भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) का कहना है कि तूफान की उच्चतम रफ़्तार 220-240 (अधिकतम 265) किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है. हवा की गति 220 किलोमीटर प्रति घंटा या उससे ज्यादा होने पर उसे “सुपर साइक्लोन” का दर्जा दिया जाता है.

    अनुमान के मुताबिक, आश्वस्त करने वाली बात यह है कि 20 मई की शाम पश्चिम बंगाल के दीघा और बांगलादेश के हातिया द्वीप के तट पर पहुंचते-पहुंचते तूफान की गति काफी कम हो जाएगी.

    आईएमडी के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र ने कहा है कि उत्तरी दिशा में आगे बढ़ते समय तूफान की गति कम हो जाएगी और यह दोबारा “बहुत ख़तरनाक चक्रवाती तूफान” बन जाएगा. तट पर पहुंचते समय इसकी गति केवल 150-165 किलोमीटर रह जाएगी. लेकिन इसके बावजूद तटीय ओड़िशा के 12 जिलों में “अंफान” के कारण मंगलवार से भारी बारिश होगी और तेज हवाएं चलेंगी.

    भुवनेश्वर मौसम केंद्र के निदेशक एचआर विश्वास ने सोमवार को कहा कि तूफान के प्रभाव से मंगलवार शाम से उत्तरी ओड़िशा के पांच जिलों – केंद्रापाड़ा, जगतसिंहपुर, भद्रक, बालेश्वर और मयूरभंज में भारी बारिश शुरू होगी और तेज हवाएं चलेंगी जो 20 तारीख की सुबह से और तेज हो जाएंगी.

    दोहरी मार

    तूफान से निपटने के लिए ओड़िशा सरकार ने व्यापक तयारी की है. एनडीआरएफ की 12 टीमें और ओडीआरएफ की 20 टीमें संभावित प्रभावित क्षेत्रों के लिए रवाना हो चुकी हैं. एनडीआरएफ के महानिदेशक सत्य नारायण प्रधान ने कहा है कि 8 और टीमें तयार रखी गई हैं जिन्हें जरूरत पड़ने पर तत्काल ओड़िशा भेज दिया जाएगा.

    ओड़िशा के विशेष राहत आयुक्त प्रदीप जेना ने कहा है कि तट के निकट कच्चे मकानों में रहने वाले लोगों को मंगलवार सुबह से सुरक्षित स्थानों में भेजा जाएगा. इसके लिए ओड़िशा तट में बने करीब 600 साइक्लोन सेन्टरों के अलावा लगभग 7000 पक्के मकान तैयार रखे गए हैं जिनमें 11-12 लाख लोगों को सुरक्षित रखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि प्रभावित जिलों के कलेक्टरों को हर संभव स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा गया है. पर्याप्त मात्रा में खाद्य सामग्री, पानी और अन्य आवश्यक चीजें तैयार रखी गई हैं.

    जेना ने कहा चूंकि यह तूफान गर्मी के दिनों में हो रहा है इसलिए इससे बाढ़ आने की संभावना नहीं है.

    ओडिशा सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि तूफान की मार उन्हीं जिलों- जाजपुर, भद्रक और बालेश्वर- में सबसे अधिक होगी, जो पहले ही कोरोना की वजह से रेड ज़ोन बने हुए हैं. यही कारण है कि सबसे अधिक नुकसान होने की आशंका जताए जाने पर बालेश्वर के कलेक्टर ने एक फरमान जारी किया है कि तूफान का प्रकोप खत्म होने तक किसी बाहर के आदमी को जिले में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. तूफान के कारण प्रवासी श्रमिकों को लेकर आने वाली “श्रमिक स्पेशल” ट्रेनें भी ओड़िशा सरकार के आग्रह पर 20 तारीख तक रद्द कर दी गई हैं.

    पश्चिम बंगाल ने भी कसी कमर

    पश्चिम बंगाल सरकार ने बंगाल की खाड़ी पर बने निम्न दबाव की वजह से लगातार खतरनाक बनते जा रहे चक्रवाती तूफान अंफान से निपटने के लिए कमर कस ली है. राज्य के तटवर्ती इलाके अभी बुलबुल तूफान के नुकसान से उबरे भी नहीं हैं कि अब वहां अंफान का खतरा मंडरा रहा है. हालांकि सरकार ने इस तूफान से निपटने के लिए तमाम जरूरी तैयारियों का दावा किया है. लेकिन सुंदरबन इलाके में आइला तूफान के समय बांधों को जो नुकसान पहुंचा था वह इलाके के द्वीपों की चिंता बढ़ा रहा है.

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोमवार को एक बैठक में अंफान से निपटने की तैयारियों का जायजा लिया. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी सोमवार को एक उच्च-स्तरीय बैठक में अंफान से निपटने की तैयारियों की समीक्षा की. उन्होंने बताया, “तटीय इलाकों में एनडीआरएफ की टीमें तैनात कर दी गई हैं और निचले इलाकों से लोगों को शेल्टर होम में पहुंचाया जा रहा है. इलाके में तिरपाल के अलावा पर्याप्त राहत सामग्री का स्टॉक जुटाया जा रहा है. सरकार ने तूफान पर निगाह रखने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय समिति का भी गठन किया है.”

    हर बार ऐसे तूफान से पहले ऐहतियात के तौर पर तटवर्ती जिलों के निचले इलाकों में रहने वालों को शेल्टर होम में शिफ्ट कर दिया जाता है. लेकिन इस बार कोरोना की वजह से लोग वहां जाने के इच्छुक नहीं हैं. उनके सामने एक ओर कुआं तो दूसरी ओर खाई वाली स्थिति पैदा हो गई है.

    बंगाल के एकमात्र समुद्रतटीय शहर दीघा में अंफान का असर अभी से नज़र आने लगा है. वहां समुद्र में ऊंची लहरें उठने लगी हैं और उसमें फेन की मात्रा बढ़ गई है. इस बीच, सोमवार को राज्य सरकार ने लोगों को अंफान से बचने के लिए क्या करें और क्या नहीं करें की एक सूची जारी की है. इसे विज्ञापन के तौर जारी किया गया है.

    मौसम विभाग ने राज्य के तटीय जिलों में अलर्ट जारी करते हुए मछुआरों को 20 मई तक समुद्र में नहीं जाने की चेतावनी दी है. उसने मंगलवार और बुधवार को तटीय इलाकों में भारी बारिश और 120 से 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने की भविष्यवाणी की है. मौसम विभाग के क्षेत्रीय निदेशक जी.के. दास ने बताया, “अंफान के एक बेहद ताकतवर तूफान के तौर पर 20 मई की दोपहर से शाम के बीच सागर द्वीप के पास टकराने का अंदेशा है.” उन्होंने कहा कि चक्रवात के प्रभाव से उत्तर और दक्षिण 24 परगना, पूर्व और पश्चिमी मेदिनीपुर, हावड़ा और हुगली समेत राज्य के तटीय जिलों में 19 मई को कई स्थानों पर हल्की से भारी बारिश हो सकती है.

    सुंदरबन को हो सकता है ज़्यादा नुकसान

    मौसम विभाग ने सुंदरबन स्थित दुनिया के सबसे बड़े मैंग्रोव जंगल को अंफान से भारी नुकसान पहुंचने का अंदेशा जताया है. निदेशक जी.सी. दास कहते हैं, “तूफान के 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से सुंदरबन से टकराने का अनुमान है और इससे सुंदरबन को भारी नुकसान का अंदेशा है. हम इस पर करीबी निगाह रख रहे हैं. अगले चौबीस घंटे काफी अहम हैं.”

    सरकारी तैयारियों के तहत राज्य के तटीय इलाकों को अलर्ट कर दिया गया है और जगह-जगह एनडीआरएफ की टीमें तैनात कर दी गई हैं. इसके अलावा तटीय जिलों में बने अस्थायी शिविरों में भी राहत सामग्री के अलावा मास्क और दस्तानों की व्यवस्था की जा रही है. हर बार तूफान की स्थिति में निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को इन शिविरों में स्थानांतरित कर दिया जाता है.

    राज्य के गृह सचिव आलापन बनर्जी ने बताया, “पूरा सरकारी तंत्र तूफान से पैदा होने वाली परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार है. एनडीआरएफ की टीमों को बचाव और राहत कार्य के लिए मौके पर भेज दिया गया है. तूफान से पहले स्थानीय लोगों के लिए बनाए गए राहत शिविरों में भी सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन करने की व्यवस्था की गई है. एनडीआरएफ के अलावा भारतीय तटरक्षक बल को भी अलर्ट कर दिया गया है.”

    सुंदरबन मामलों के मंत्री मंटूराम पाखिरा बताते हैं, “घोड़ामारा द्वीप के अलावा, काकद्वीप, नामखाना, बकखाली, फ्रेजरगंज और सागर द्वीप से एक लाख से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है. एनडीआरएफ की टीमों के अलावा राज्य आपदा प्रबंधन बल की टीमों को विभिन्न स्थानों पर तैनात कर दिया गया है. इलाके में तीन सौ शेल्टर होम खोले गए हैं. लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के दौरान कोविड-19 के दिशानिर्देशों का पालन किया जाएगा.”

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