जयपुर (DNH):- जयपुर के वीरेन शर्मा बीते करीब 70 दिनों से लॉकडाउन के दौर में हर रोज शाम को राजधानी जयपुर और उससे कई किलोमीटरों दूर तक अपनी लक्जरी कार में बंदर और कुत्तों के लिए खाना लेकर निकलते हैं.



लॉकडाउन में जरूरतमंद इंसानों के लिए तो सरकार और गैर सरकारी संगठन खाने की व्यवस्था कर रही है. मूक प्राणियों के लिए कोई ख़ास व्यवस्थाएं नजर नहीं आती है. ऐसे में जयपुर के एक युवा पशु प्रेमी वीरेन शर्मा की ओर से पशुओं के लिए लॉकडाउन में की जा रही कोशिश इस दौर में दिल को सुकून देती है. दरअसल, जयपुर के वीरेन शर्मा बीते करीब 70 दिनों से लॉकडाउन के दौर में हर रोज शाम को राजधानी जयपुर और उससे कई किलोमीटरों दूर तक अपनी लक्जरी कार में बंदर और कुत्तों के लिए खाना लेकर निकलते हैं.
अपने दोस्तों के साथ रोज खाना बांटने निकले हैं वीरेन
वीरेन शर्मा कभी गलता तीर्थ तो कभी जमवारामगढ़ की पहाड़ियों के बीच पहुंचकर बड़ी संख्या में बन्दरों को फल खिलाते हैं तो वही, शहर के विभिन्न इलाकों के आवारा कुत्तों को भी भोजन मुहैया करवाते हैं. वीरेन हर रोज आवारा कुत्तों के लिए 600 खाने के पैकेट तैयार करवाते हैं और शाम 5 बजे के बाद अपने साथियों के साथ इस भोजन को बांटने निकल पड़ते हैं.
‘हर आदमी एक कुत्ते को खाना खिलाने का ले संकल्प’
वीरेन के मुताबिक सरकारी स्तर पर इन मूक प्राणियों के लिए खाने की कोई ख़ास व्यवस्था नहीं की गई. लॉकडाउन में भोजन के लिए ये मूक प्राणी ही सबसे ज्यादा संघर्ष कर रहे हैं. वीरेन लोगों से अपील करते है कि किसी एक आवारा कुत्ते के खाने की जिम्मेदारी हर इंसान लें. वीरेन के साथ उनके कई मित्र भी अक्सर इस नेक काम में साथ देने के लिए जाते हैं. इस दौरान हर कोई ये ही कहता नजर आता है कि इंसानो के लिए तो हर कोई कुछ ना कुछ कर रहा है लेकिन, बेजुबानों के लिए करना बड़ी बात है.
थोड़ी ही देर में जानवर चट कर जाते हैं खाना
बीते करीब 70 दिनों में आवारा कुत्तों से लेकर बंदरों तक तक वीरेन से इस कदर घुल मिल चुके है कि उनके पहुंचते ही वे पास आकर उनके हाथ से खाना ले जाते हैं. हाल ऐसे है कि रविवार को भी जब वीरेन जमवारामगढ़ में बन्दरों के लिए 300 किलो तरबूज, 200 किलो आम और 100 किलो केले लेकर पहुंचे तो महज कुछ ही मिनट में सब कुछ खत्म भी हो गया.