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    Home»छत्तीसगढ़»खूबसूरत पक्षियों ने रामगढ़ झील में डाला है डेरा्…जलकुंभी के साथ उजड़ रहे घर ।
    छत्तीसगढ़

    खूबसूरत पक्षियों ने रामगढ़ झील में डाला है डेरा्…जलकुंभी के साथ उजड़ रहे घर ।

    adminBy adminJune 13, 2020No Comments4 Mins Read

    रामगढ़ (DNH):- एक ओर रामगढ़ झील का दिन-ब-दिन बढ़ता सौदर्य पर्यटकों में लोकप्रियता बटोर रहा। वही, काफी संख्या में यह झील लोगों के रोटी और रोजगार का प्रत्यक्ष माध्यम भी बन रही। लेकिन इन सब के बीच झील की प्राकृतिक विरासत, पक्षियों के प्रवास और प्रजनन स्थलों के लिए संकट गहरा गया है। रामगढ़ झील की दलदली जमीन(वेटलैंड) पक्षियों के लिए न केवल आहार का जरिया है, मानसून सीजन में सुरक्षा की दृष्टि से उनका प्रजनन स्थल भी। लेकिन जलकुम्भी की साफ-सफाई में जाने-अनजाने पक्षियों का प्रवास भी उजड़ रहा, प्रजनन स्थल बिखर रहा। झील पर लोगों की बढ़ती आवाजाही और शोर के बीच यह भी एक बड़ी वजह है कि जिसके कारण कुछ वर्षो से निरंतर यहां प्रवासी पक्षियों की संख्या में कमी आई है।

    झील में सर्दियों के दिनों में प्रवासी एवं स्थानीय पक्षियों की प्रजातियां डेरा डालती हैं। झील में उथली एवं आद्रभूमि पर भोजन और प्रजनन के लिए स्थल पक्षियों को मिलता है। विंटर एवं मानसून सीजन में पक्षी ब्रीडिंग करते हैं। कुछ आसपास के पेड़ों तो कुछ पानी के बीच उथली एवं आद्रभूमि पर अड्डें देती हैं। लेकिन जलनिगम द्वारा जलकुम्भियों की सफाई करा दिए जाने से ऐसे पक्षियों के समक्ष संकट खड़ा हो गया है। हालांकि इस संकट की घड़ी में इन पक्षियों के लिए शहीद अशफाक उल्लाह खा प्राणि उद्यान का हरा-भरा वेटलैंड एक बड़ा सहारा है। तमाम पक्षियों ने वहां डेरा डाल लिया है। पर्यावरण विद् डॉ आरके सिंह कहते हैं कि ब्र‍िटिश दौर में जार्ज पंचम को जलकुम्भी के फूल बहुत पसंद थे। यूरोप से उनके साथ आई यह प्रजाति भारत की जैव विविधता का अंग नहीं है। इसके हटाने से जैव विविधता प्रभावित भी नहीं होती लेकिन रामगढ़ झील में कुछ वर्ष पहले हुई ड्रेजिंग के बाद उथली जमीन नहीं है। यही वजह है कि जलकुम्भियों के ऊपर ही पक्षियों ने अपना आश्रय और प्रजनन स्थल बना रखा है।

     

    जलकुम्भी की सफाई पर करोड़ोंं खर्च
    रामगढ़ झील में जलकुम्भी की साफ सफाई पर जल निगम करोड़ों रुपये पिछले कुछ वर्षो में खर्च कर चुका है। जलकुम्भी निकालने के लिए मशीनों के अलावा काफी संख्या में नाव और मजदूर भी काम में जुटते हैं। झील के दोनों किनारों पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीवी) और सीवेज पंपिंग स्टेशन (एसपीएस) भी लगा है जिसके लिए गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए), नगर निगम और आवास विकास परिषद, जल निगम मेमोरेंडम आफ एग्रीमेंट के अंतर्गत धन उपलब्ध कराता है। इस कवायद से कोई शक नहीं कि झील का सौदर्य बढ़ा और पयर्टन विकास की संभावनाओं को काफी तेज रफ्तार मिली है।

     

    राममगढ़ झील के माउंट और आद्र भूमि को बचाएंं
    वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर धीरज कुमार सिंह और चंदन प्रतीक हर साल रामगढ़ झील और पक्षियों के सौदर्य को अपने कैमरे में कैद करते हैं। दोनों ही स्वीकार करते हैं कि पिछले कुछ वर्षो में पक्षियों की आमद में कमी आई है। जलकुम्भियों के साथ कई तरह के कीड़े और जलीय वनस्पतियां इन पक्षियों का आहार होती हैं। हेरिटेज फाउंडेशन के नरेंद्र मिश्र कहते हैं कि पहले लगता था कि पक्षी बढ़ती चहल पहल से दूर हो रहे लेकिन अब महसूस होता है कि उनका प्रवास एवं प्रजनन स्थल दोनों ही प्रभावित हो रहा। हर हाल में इनका संरक्षण किया जाना चाहिए। फिलहाल इस समस्या को चंदन एवं धीरज ने डीएफओ अविनाश सिंह के संज्ञान में लाया है।

    इन पक्षियों का यह है ब्रीडिंग सीजन
    पर्पल स्वैम्फ-हेन, ग्रे-हेरॉन, नाइट हेरॉन, पाण्ड हेरॉन, जकांना उर्फ जलकपोत, वॉटर हेन(पनमुर्गी), इग्रेट(बड़ा बगुला), स्वैलो, ब्लैक विंग स्टिल्ट, लेसर विसलिंग डक आद्रभूमि में मानसून सीजन में प्रजनन करती हैं। इसके पूर्व नवंबर से मार्च तक रेड शैंक, ग्रेटर स्नाइप समेत कई पक्षी यहां अण्डे देते हैं। बाद में तापमान बढ़ने पर ठण्डे स्थानों पर लौट जाते हैं। इस बार ठण्ड के दिनों में काफी पक्षियों ने यहां प्रजनन किया था।

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