JwalaExpressJwalaExpress

    Subscribe to Updates

    Get the latest creative news from FooBar about art, design and business.

    What's Hot

    राइट टू हेल्थ बिल का विरोध करना पड़ेगा भारी? गहलोत सरकार ने प्रदर्शनकारियों को दी ये चेतावनी

    March 29, 2023

    कर्नाटक विधानसभा चुनावों की आज होगी घोषणा, सुबह 11:30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगा EC

    March 29, 2023

    जोगी कांग्रेस से निष्कासित विधायक धर्मजीत सिंह थामेंगे कांग्रेस का हाथ?

    March 29, 2023
    Facebook Twitter Instagram
    Facebook Twitter Instagram Vimeo
    JwalaExpress JwalaExpress
    Subscribe Login
    • होम
    • छत्तीसगढ़
    • देश-विदेश
    • राजनीति
    • क्राइम
    • खेल
    • मनोरंजन
    • व्यापार
    • जरा हटके
    • विविध
      • गृह लक्ष्मी
      • धर्म
      • शिक्षा
      • स्वास्थ्य
      • पर्यटन
    • E-Paper
    JwalaExpressJwalaExpress
    Home»blog»जिसने मेरे प्राइवेट पार्ट में तेजाब डाला, उसी के साथ रहती हूं मैं; वो मेरी 4 बेटियों का बाप जो ठहरा
    blog

    जिसने मेरे प्राइवेट पार्ट में तेजाब डाला, उसी के साथ रहती हूं मैं; वो मेरी 4 बेटियों का बाप जो ठहरा

    Jwala Express NewsBy Jwala Express NewsFebruary 13, 2022No Comments11 Mins Read

    मुझसे यह बताते नहीं बन रहा है कि मैं उस आदमी के साथ क्यों रह रही हूं, जिसने मेरे प्राइवेट पार्ट में तेजाब डाल दिया था। वो तब भी मेरा पति था और आज भी दुनिया के लिए ही सही, पर है तो मेरा पति ही। मुझे उस वक्त तीन महीने की प्रेगनेंसी थी। प्राइवेट पार्ट जल जाने से मैंने अपना पांचवा बच्चा अपनी जान पर खेल कर पैदा किया। फिर भी आप सोचते होंगे न इतना होने पर भी मैं उस आदमी के साथ क्यों रह रही हूं? मैं आज भी अपना कमाती हूं, अपना खाती हूं।

    माफ तो उसे कभी कर ही नहीं सकती, लेकिन मेरी बहुत बड़ी मजबूरी है कि मुझे अपने अपराधी पति के साथ रहना पड़ रहा है। इसकी बड़ी वजह मेरी चार चार बेटियां हैं। उनकी शादी नहीं हो रही थी। दो की अभी शादी की है।अभी भी दो बेटियां शादी करने को हैं। उनके ससुराल के हजारों मुद्दे हैं। सबसे बड़ा मुद्दा तो यही है कि मुझे मेरी बेटियों की गृहस्थी बसाने के लिए अपने अपराधी, अपने कातिल पति के साथ रहना पड़ रहा है।

    मैं रेशमा हूं। लखनऊ में रहती हूं। शहर के उस रेस्त्रां में काम करती हूं, जहां मेरी जैसी बेसहारा औरतें ही रेस्त्रां चलाती हैं। मैं अपना घर खुद चलाती हूं। मेरा कमर से नीचे जांघों तक का सारा शरीर जला हुआ है। सुबह घर से ऑफिस आने में दो घंटे लगते हैं, लेकिन किसी तरह आती हूं। घर आज भी मैं ही चलाती हूं। बस मेरी गलती इतनी थी कि मैंने एक के बाद एक 5 बेटियों को जन्म दिया था।

    मैंने कभी ऐसा नहीं सोचा था कि मेरे साथ शादी के बाद इतना बुरा होगा। जब मेरी शादी हुई थी तो बाकी लड़कियों की तरह मैंने भी सपना देखा था मेरा एक घर होगा, पति होगा, परिवार होगा, लेकिन मेरी शादी ही मेरी बर्बादी की कहानी बन गई।

    मैं उस वक्त 16 साल की थी। घर में सबसे बडी थी, गरीब परिवार था। मां को लगता था कि मेरी शादी हो जाएगी तो कम से कम मैं तो सुखी हो जाउंगी। पेट भर खाना खाउंगी और मेरे जाने से मेरी मां की जिम्मेदारी भी कम होगी। हम दो बहनों के अलावा हमारा एक भाई भी था। लड़का देखकर मेरी शादी कर दी गई। मेरी बहन मेरी सगी बहन नहीं थी। पापा को वो एक ट्रेन में मिली थी। उसे कोई छोड़कर चला गया था। अब तो उसकी शादी भी हो गई है।

    खैर, मैं ससुराल पहुंची तो आसपास की औरतें मुझे देखने आईं। मुझे लगा कि सब लोग अच्छा-अच्छा बोलेंगे। मुंह दिखाई देंगे, लेकिन मुझे पहला धक्का तब लगा जब मोहल्ले की औरतों ने पूछा कि दहेज में क्या लेकर आई है? मेरी सास ने कहा कि बहुत गरीब हैं, बस इसे ही दिया है। मुझे लगा कि चलो ठीक है कोई बात नहीं, मोहल्ले की औरतें तो होती ही ऐसी हैं, कम से कम मेरे पति ने मुझसे यह सब नहीं कहा। मेरी शादीशुदा जिंदगी शुरू हो चुकी थी।

    पहले नौ महीने तो बहुत अच्छे कटे। इसके बाद बच्चे को लेकर चीजें खटकने लगीं। पति बच्चा चाहते थे, लेकिन मैं प्रेग्नेंट नहीं हो पा रही थी। वह मुझे कानपुर, लखनऊ के कई डॉक्टरों के पास ले गए। डॉक्टरों का कहना था कि मेरी उम्र कम थी, इसलिए प्रेगनेंसी नहीं ठहर रही है। तब से मेरा पति मुझ पर शक करने लगा। वो कहने लगा शादी से पहले मेरा कहीं अफेयर था, इसलिए मुझे प्रेगनेंसी नहीं ठहर रही थी।

    इस बात पर कई दफा बवाल हुआ। मारपीट हुई। एक दफा तो पति ने इतना जोर से चांटा मारा कि मेरे कान से खून निकलने लगा। शक के चलते मेरे पति ने मेरी जिंदगी नर्क कर दी थी। मैं सहती गई। हर छोटी बात पर झगड़ा होने लगा, बहस होने लगी। हर बात झगड़ा मारपीट पर खत्म होता। तंग आकर मैं मायके चली गई। कुछ दिन बाद ही पता लगा कि मैं प्रेग्नेंट हूं। अम्मी-अब्बू को लगने लगा कि यह बात मेरे पति को बता देनी चाहिए। देरी होने पर कहीं वो यह न समझें कि बच्चा किसी और का है।

    अम्मी-अब्बू ने पति को बताया कि रेशमा प्रेग्नेंट है, लेकिन फिर भी ससुराल से एक फोन तक नहीं आया। पापा ही मेरी देखभाल करते थे। मैंने उस वक्त हर दिन अपने पति का इंतजार किया। यह मेरा पहला बच्चा होने वाला था, लेकिन अब उसको लेकर मेरे सारे अरमान टूट गए। कहां तो सोचा था कि पति देखभाल करेगा, डॉक्टर के ले जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। किसी तरह नौ महीने के बाद 26 जनवरी 2000 को बेटी पैदा हुई।

    दूसरे दिन मेरे पति बेटी को देखने के लिए आए, लेकिन मुझसे कोई बात की। मेरी मां ने उनके हाथ से बेटी को ले लिया और कहने लगीं कि जब तुम्हें मेरी बेटी से कोई लेना देना नहीं है तो इससे क्या मतलब है तुम्हारा। खैर तीन महीने के बाद सुलह के बाद मैं ससुराल चली गई। अब हालात और बदलने लगे। पति मुझे पाई-पाई के लिए मोहताज रखने लगे। बेटी के लिए दूध लाने तक से पति ने किनारा कर लिया था।

    पति ने काम करना बंद कर दिया तो सास-ससुर से मुझे बहुत कुछ सुनना पड़़ता था। घर में पहले खाना वो लोग खाते थे फिर मुझे देते थे। समय ऐसे ही कलह में बीतता गया। एक साल बाद तंग आकर मैं फिर से मायके चली गई। मैं दोबारा प्रेग्नेंट हुई। इस दफा भी मैंने बेटी को ही जन्म दिया।

    मां मुझसे कहने लगी कि मैं अपने पति से तलाक ले लूं। मैं मायके ही रहती थी। फिर मेरे पति ने लखनऊ की सिविल कोर्ट में अर्जी लगाई कि मेरी पत्नी वापस घर नहीं आ रही है। मैं अपनी दोनों बेटियों को गोद में उठाकर केस के सिलसिले में कानपुर से लखनऊ जाती थी। जाने से एक दिन पहले तैयारी करती, सुबह सुबह कानपुर से लखनऊ के लिए निकल जाती, फिर वहां से रात को आना होता था। मेरे माता-पिता भी मेरे साथ जाते थे।

    कई महीने तक ऐसे ही चलता रहा। मैं इस जिंदगी से तंग आ चुकी थी। एक दिन मैंने गुस्से में अपनी बेटी को खूब मारा और खुद को भी मारा। इस पर मेरे पापा ने मुझे मारा। मुझसे अपने माता-पिता की हालत देखी नहीं जा रही थी। घर में तनाव रहता था। मैं गुस्से में बच्चों को पीट देती थी। अब मुझे लगने लगा कि मुझे ससुराल चले जाना चाहिए।

    मैं ससुराल आ गई। अब मेरे साथ पहले से भी ज्यादा बुरा व्यवहार होने लगा। लेकिन किसी तरह से मैं वक्त को धक्का देती रही। मैं तीसरी दफा प्रेग्नेंट हुई। उधर, मेरे ससुर की हालत भी खराब हो गई। ससुराल में मेरे लिए सिर्फ ससुर ही अच्छे थे। उनकी मौत हो गई। हालात अब और ज्यादा मुश्किल हो गए।

    मेरे तीसरी भी बेटी ही हुई। हालांकि, मेरे पति ने मेरी तीनों बेटियों का स्कूल में एडमिशन करवाया, लेकिन रोजमर्रा के खर्च के पैसे नहीं दिए। कॉपी, पेंसिल, रबर, खाना, फीस किसी भी चीज के पैसे मुझे नहीं दिए। मैंने हारकर खुद सिलाई करना शुरू कर दिया। मेरे सिले कपड़़े लोगों को पसंद आने लगे। इससे मेरा खर्च चलने लगा। मेरे तीन तीन बेटियां हो गईं। मेरी ननद भी हमारे ही पास रहती थी। वह तलाकशुदा थी। उसके एक बेटा भी था। मेरी सास उसके बेटे को मुझे नहीं देती थी कि कहीं मैं उसे नजर न लगा दूं।

    मेरे पति भी मुझसे कहने लगे कि देखो फलां के बेटा है, जो उसके काम में उसका साथ देता है। अरे वो फलाने को देखा, मेरे साथ ही शादी हुई थी अब उसका बेटा भी उसके बराबर का हो गया है। यह सब सुनने के बाद मुझे भी लगने लगा कि मेरे बेटा होना चाहिए था। कम से कम बेटा होने पर ससुराल में इज्जत तो मिलती है। मेरे पति को अब दिन रात यह लगने लगा कि अब तो बेटा ही होना चाहिए।

    जब मैं चौथी दफा प्रेग्नेंट थी तो अस्पताल में मेरी तबीयत खराब होने लगी। मेरी सांस उखड़ रही थी। मेरा पति मुझे अस्पताल में ही छोड़कर चला गया। डॉक्टर ने कहा कि तुम्हारा पति तो भाग गया है। मेरी हालत बिगड़ती जा रही थी। मैंने डॉक्टर से मिन्नतें की कि किसी तरह मुझे बचा लो, मेरी छोटी-छोटी बेटियां हैं।

    इसके बाद डॉक्टर ने मुझे दवा देने के बाद कहा कि मेरी हालत सही नहीं है और मुझे मेडिकल कॉलेज जाना होगा। तब तक मेरे माता-पिता आ चुके थे। मेडिकल कॉलेज जाकर मेरा इलाज हुआ। चौथी बार भी मुझे बेटी ही हुई। फिर मेरा पति भी वहां आ गया। मैंने अपने पति से कहा कि मुझे मेरे घर के पीछे की सड़क से ले जाना क्योंकि लोग चौथी बेटी होने पर मजाक करेंगे। मैं छिपते-छिपाते अपनी चौथी बेटी को लेकर घर पहुंची। लोगों के मजाक मेरे कानों तक भी पहुंचे। बहुत सारे लोगों ने कहा कि लो सन्नी देवल की चौथी बहन आ गई है।

    इसके बाद मैं काम करके अपना गुजार करने लगी। मेरी ही कमाई से घर चलता था। मैं दिन में बच्चों को संभालती थी और रात में कपड़ों की कटिंग किया करती थी। फिर मुझे टीबी की बीमारी हो गई। मेरी खांसी ही ठीक नहीं हो रही थी। मेरे पति मुझे डॉक्टर के पास नहीं लेकर गए।

    मैंने अपने माता-पिता को फोन किया। वे लोग आकर मुझे लेकर गए और जब सभी जांच हुई तो पता लगा कि मुझे टीबी है। डॉक्टर ने मुझे दवाएं दी। मेरी बेटियां मेरे ससुराल में थी इसलिए मुझे कानपुर से जल्दी लखनऊ वापस आना पड़़ा। वापस आने पर घर परिवार में किसी ने मुझसे बात नहीं की। सभी ने दूरी बना ली। कहा गया कि मुझे टीबी है। ऐसे करते-करते तीन साल बीत गए। मुझे लगा कि अब मैं प्रेग्नेंट नहीं हो पाउंगी। लेकिन मैं पांचवी दफा भी तीन साल बाद प्रेग्नेंट हो गई।

    बेटियां होने पर मेरे पति ने मेरा जीना मुश्किल कर दिया था। पांचवी दफा जब मैं प्रेग्नेंट हुई तो मेरे पति किसी जगह अल्ट्रासाउंड की बात करके आए और यह जुगाड़ भी करके आए कि अगर बेटी होगी तो अबॉर्शन कराना है। मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। मैं अपना काम कर रही थी। मेरे पति मेरे पास आए और कहने लगे कि अल्ट्रासाउंड करवाना है। मैं नहीं मानी मैं जानती थी कि अगर बेटी हुई तो यह आदमी जबरदस्ती मेरा अबॉर्शन करवा देगा।

    मैंने कहा कि अल्ट्रासाउंड की जरूरत नहीं है। इस बात पर झगड़ा हो गया। झगड़ा इतना बढ़ गया कि मार-पीट हो गई। झगड़े के बाद मेरे पति कहीं बाहर चले गए। मैं भी अपने काम में लग गई। मैं जानती थी कि हर दिन झगड़ा होना और फिर कुछ देर में सब ठीक हो जाता है। मैं घर में आराम से शाम के समय रात के लिए खाने की तैयारी कर रही थी।

    मैं सब्जी काट रही थी कि मेरे पति आए उनके हाथ में एक डिब्बा था। उसमें तेजाब था। उन्होंने मेरे प्राइवेट पार्ट्स में तेजाब डाल दिया। मैं जोर-जोर से चीखी और बेहोश हो गई। दर्द, जलन से मेरी जान निकल गई। मेरा पेशाब और लैट्रिन भी निकल गई। मेरी 12 साल की बेटी रोने लगी। भागकर पड़़ोसन को बुलाकर लेकर आई। पड़ोसन आई तो मुझे देखकर वह भी बेहोश हो गई। पूरा एक दिन मैं ऐसे ही पड़ी रही। किसी तरह मेरी बेटी ने मेरे पिता को फोन किया।

    मेरे पिता आए और मुझे गोद में उठाकर गाड़ी करके कानपुर ले गए। वहां मुझे एक प्राइवेट अस्पताल में लेकर गए। अस्पताल वालों ने कहा कि पहले तीन लाख रुपए जमा करवाओ तब हाथ लगाएंगे। मेरे भाई और पिता ने हाथ पांव जोड़े कि किसी तरह वो लोग मेरा इलाज शुरू कर दें पैसों का इंतजाम कर दिया जाएगा। वहां से मुझे सरकारी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, लेकिन वहां बोला गया कि यह प्रेगनेंट है, पहले पति को लेकर आओ, पति के बिना इसका इलाज नहीं होगा।

    मेरे पिता और भाई ने उनकी बहुत मिन्नतें की, लेकिन कोई नहीं माना। मेरे भाई ने बोला कि इसका पति मर गया है अब इलाज करो। मेरे शरीर में अब पस पड़ चुकी थी, खून निकल रहा था। खैर मेरा इलाज शुरू हुआ। तब तक वहां मीडिया आ चुका था। मेरे भाई ने उन्हें बुलाया था। मैंने उन्हें बताया कि ऐसे मेरे पति ने बेटियों को जन्म देने की वजह से मेरे प्राइवेट पार्ट में तेजाब गिरा दिया है। मीडिया में मेरी कहानी आई। सरकार और कुछ एनजीओ मेरी मदद के लिए आगे आए। मेरे पति को गिरफ्तार कर लिया गया और उम्रकैद की सजा हुई। मुझे एक एनजीओ में नौकरी मिल गई।

    छह साल बाद इस समय मेरे पति बेल पर बाहर हैं। मेरे ही साथ रहते हैं। मैं उन्हें जिंदगी भर माफ तो नहीं करूंगी, मेरी जिंदगी के 23 साल उस आदमी ने बर्बाद कर दिए, लेकिन मेरी कुछ ऐसी मजबूरियां हैं कि अपनी बेटियों की वजह से मुझे उन्हें अपने साथ रखना पड़ रहा है।

    लेखक: रेशमा -;संभार- दैनिक भास्कर

    Previous Articleउर्फी जावेद बोल्ड अपने हॉट फोटो के कारण अक्सर सुर्खियों में रहती, हाल ही में उर्फी ने बोल्डनेस की सारी हदें पार कर दी
    Next Article गुजरात की ABG शिपयार्ड ने 28 बैंकों को 22,842 करोड़ का चूना लगाया, CBI ने दर्ज की FIR
    Jwala Express News

    Related Posts

    राइट टू हेल्थ बिल का विरोध करना पड़ेगा भारी? गहलोत सरकार ने प्रदर्शनकारियों को दी ये चेतावनी

    March 29, 2023

    कर्नाटक विधानसभा चुनावों की आज होगी घोषणा, सुबह 11:30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगा EC

    March 29, 2023

    जोगी कांग्रेस से निष्कासित विधायक धर्मजीत सिंह थामेंगे कांग्रेस का हाथ?

    March 29, 2023

    दहशत मचाने वाला बाघ कैसे हुआ पिंजरे में कैद, हमला कर दो लोगों की ले ली थी जान

    March 29, 2023

    Leave A Reply Cancel Reply

    CG Live Budget
    https://www.youtube.com/watch?v=zxyCMmZYMOc
    RO-12338/99
    RO-12338/99
    Ro No. 12294/99
    Ro No. 12276/48
    Ro No. 12276/48
    संपादक

    ज्वाला प्रसाद अग्रवाल

    www.jwalaexpress.com
    एड्रेस :
    वार्ड क्रमांक 27, झूलेलाल मंदिर के पीछे ,
    सिंधी कॉलोनी , दुर्ग (छत्तीसगढ़ ) पिन कोड - 491001

    मोबाइल : 9993590905, 7000489995
    ई-मेल  : jwalaexpress@gmail.com

    हमारे बारे में
    ज्वाला एक्सप्रेस छत्तीसगढ़ प्रदेश का एक विश्वसनीय न्यूज पोर्टल है व साप्ताहिक न्यूज पेपर जिसकी स्थापना देश एवं प्रदेश के प्रमुख विषयों और खबरों को सही तथ्यों के साथ आमजनों तक पहुंचाने के उद्देश्य से की गई है। इसके साथ ही हम महत्वपूर्ण खबरों को अपने पाठकों तक सबसे पहले पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
    सम्पूर्ण न्यायिक प्रकरणों के लिये न्यायालयीन क्षेत्र दुर्ग होगा।
    Facebook Twitter Instagram Pinterest
    • Home
    • Politics
    • Business
    • Technology
    • Buy Now
    © 2023 ThemeSphere. Designed by ThemeSphere.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

    Sign In or Register

    Welcome Back!

    Login to your account below.

    Lost password?