दुर्ग( ज्वाला एक्सप्रेस)। सरकार की महत्वकांक्षी योजना नरवा,गरुवा,घुरुवा,बाड़ी का मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ही गृहजिले में बुरा हाल है। जिला प्रशासन के जनसंपर्क विभाग द्वारा आए दिन सरकार की इस महत्वकांक्षी योजनाओ की सफलता के संबंध में जानकारी दी जाती है। प्रशासन यह बताता है कि जिले में इन योजनाओ के क्रियान्वयन की स्थिति बेहतर है।






लेकिन मैदानी स्तर पर जाकर देखें तो मौके पर इन योजनाओ का क्रियान्वयन करने वाला ही नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में जिला प्रशासन के अधिकारी सरकार को मुगालते में रख रहे हैं या फिर वस्तु स्थिति की जानकारी से सरकार को अवगत कराने से बच रहे हैं।
सरकार की इस महत्व पूर्ण योजना के दूरगामी फायदे हैं बशर्ते अधिकारी जमीनी स्तर पर इसका बेहतर क्रियान्वयन करें।
राज्य सरकारी की महत्वकांक्षी योजना प्रशासनिक कागजों में ही बेहतर परिलक्षित नजर आ रही है। जिला प्रशासन द्वारा समय समय पर उक्त योजनाओ के क्रियान्वयन को लेकर जो जानकारी मीडिया को उपलब्ध कराई जाती है उसके मुताबिक नरवा,गरुवा,घुरुवा,बाड़ी योजना ने जिले की तस्वीर बदल दी है।लेकिन मैदानी हकीकत इसके उलट है। वर्तमान में जिले के कई गोठान ऐसे हैं जहां न तो मवेशी नजर आ रहे हैं और न ही गोबर की खरीदी की जा रही है। बाड़ी योजना से महिला स्व सहायता समूहों के आर्थिक रूप से संपन्न होने का दावा किया जा रहा है लेकिन यह दावा भी बेमानी नजर आ रही है।
भूपेश सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना को पलीता लगाने में अधिकारियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। अफसर कागजों में ही योजनाओ की सफलता बताने की जुगत में लगे रहते हैं यदि मैदानी स्तर पर काम कर लिया जाए तो सरकार की उक्त योजनाओ से कई जरूरतमंद लोगों का जीवन सुधार जाए।
हकीकत को बयां कर रही है तस्वीर









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