अरुण की बराबरी में खड़े हुए आरएन वर्मा सीएम ने एक तीर से साधे कई निशाने
दुर्ग( ज्वाला एक्सप्रेस)। दुर्ग शहर की राजनीतिक फिजा में मंगलवार को बड़ा बदलाव देखने को मिला। दुर्ग के पूर्व महापौर व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आरएन वर्मा को भूपेश सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग का उपाध्यक्ष बनाकर राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया। जिसकी कल्पना आरएन वर्मा के विरोधियों ही नहीं सहयोगी ने भी नहीं की रही होगी। दुर्ग निगम चुनाव के बाद शहर कांग्रेस संगठन से किनारे किए गए आरएन वर्मा को अचानक राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने से अटलकों का बाजार गर्म है। राजनीति के पंडित इसके तरह-तरह के मायने भी निकाल रहे हैं।
दुर्ग शहर के पूर्व महापौर आरएन वर्मा की काबिलियत से शहर की जनता भली-भांति वाकिफ है। उनमें संगठन चलाने की गजब की क्षमता भी है। उन्होंने लंबे समय तक शहर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद पर अपनी सेवाएं भी दी है। वर्ष 2019 के नगरीय निकाय चुनाव में दुर्ग निगम क्षेत्र में कांग्रेस से पार्षद पद के लिए प्रत्याशी चयन के मामले को लेकर आरएन वर्मा और दुर्ग विधायक अरुण वोरा के बीच मतभेद उभर कर सामने आए थे। इस मतभेद की पार्टी के भीतर सार्वजनिक रूप से चर्चा थी। वोरा समर्थक आरएन वर्मा को अगला अध्यक्ष नहीं बनाए जाने केे पक्ष में रहे। विधायक अरुण वोरा ने अपने पंसदीदा गया पटेल को शहर कांग्रेस का अध्यक्ष बनवाया। इसके बाद आरएन वर्मा एक तरह से शहर ही नहीं कांग्रेस संगठन की राजनीति से भी दूर हो गए।






लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से आरएन वर्मा का संबंध बहुत पुराना व पारिवारिक है। दुर्ग निगम चुनाव के बाद शहर कांग्रेस में उपेक्षा की दंश झेल रहे आरएन वर्मा को पहले पिछड़ा वर्ग आयोग का सदस्य बनाया गया और अब उन्हें उपाध्यक्ष बनाकर राज्य मंत्री का दर्जा भी दे दिया गया। आरएन वर्मा भले ही उपेक्षित रहें हों लेकिन अपनी कुशल राजनीतिक क्षमता से अपने विरोधियों को जवाब दे ही दिया। आरएन वर्मा को राज्य मंत्री का दर्जा प्रदान किए जाने के कई मायने हैं। जिसका असर आने वाले दिनों में दुर्ग शहर विधानसभा क्षेत्र की राजनीति पर भी देखने को मिलेगा।
दुर्ग में कांग्रेस की राह आसान नहीं
आगामी विधानसभा चुनाव में दुर्ग शहर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की राह आसान नहीं है। दुर्ग निगम में कांग्रेस का महापौर काबिज है। दुर्ग विधायक अरुण वोरा शहर में विकास कार्यों को लेकर निरंतर प्रयासरत है। लेकिन इसके बाद भी दुर्ग शहर विधानसभा क्षेत्र में विकास वैसा नजर नहीं आ रहा है जैसा कांग्रेस के विधायक और महापौर द्वारा बताने का प्रयास किया जा रहा है। एेसी सूरत में कांग्रेस के लिए दुर्ग शहर विधानसभा की सीट को बचाना किसी चुनौती से कम नहीं हैं। इस सबके बीच आरएन वर्मा को सरकार द्वारा बड़ा पद दिया जाना शहर की राजनीति मेंं काफी महत्वपूर्ण है। राजनीति के पंडित इसे लेकर तरह -तरह के कयास भी लगा रहे हैं,क्योंकि दुर्ग शहर विधानसभा क्षेत्र में पिछड़ा वर्ग की बहुलता है।ज्वाला प्रसाद अग्रवाल – 99935 90905 खबरों के लिए whatsapp करे
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