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    Home»देश-विदेश»खिचड़ी पैथी स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में मानव जीवन के लिए जोखिम भरा निर्णय- आईएमए
    देश-विदेश

    खिचड़ी पैथी स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में मानव जीवन के लिए जोखिम भरा निर्णय- आईएमए

    Jwala Express NewsBy Jwala Express NewsDecember 11, 2020No Comments4 Mins Read

    खिचड़ी पैथी के विरोध में दुर्ग-भिलाई के निजी डॉक्टर्स लामबंद, हड़ताल पर रहकर केन्द्र सरकार की नीतियों का जताया विरोध

    स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में मानव जीवन के लिए जोखिम भरा निर्णय-आईएमए

    दुर्ग। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन दुर्ग-भिलाई ने केन्द्र सरकार द्वारा आयुर्वेद पद्धति से शिक्षा एवं डिग्री हासिल करने वाले चिकित्सकों को 2 वर्ष के ट्रेनिंग के बाद 58 प्रकार के सर्जरी की अनुमति देने के प्रावधान को स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में अव्यवहारिक और मानव जीवन के लिए जोखिम भरा निर्णय बताया है।

    जिसके विरोध में दुर्ग-भिलाई के नीजि चिकित्सकों ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के बैनरतले शुक्रवार को आपात सेवाओं को छोड़कर अपना चिकित्सकीय कार्य बंद रखा और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन कार्यालय अग्रसेन चौक में मिक्सोपैथी(खिचड़ी पैथी) के खिलाफ प्रदर्शन कर केन्द्र सरकार के निर्णय पर विरोध जताया गया।

    नीजि चिकित्सकों का यह हड़ताल सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक चला। जिससे दुर्ग-भिलाई के नीजि क्लीनिकों एवं नर्सिंग होमों में चिकित्सकीय कार्य प्रभावित रहा। फलस्वरुप मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ा।
    इधर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन दुर्ग-भिलाई ने केन्द्र सरकार के मिक्सोपैथी(खिचड़ी पैथी) के खिलाफ शुक्रवार को प्रेसवार्ता भी की। चर्चा
    में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के केन्द्रीय कार्यकारिणी समिति सदस्य डॉ. अजय गोवर्धन, दुर्ग अध्यक्ष डॉ. जय तिवारी, भिलाई अध्यक्ष डॉ. ताबिश अखत्तर, जनरल सेक्रेटरी डॉ. रतन तिवारी, दुर्ग सेक्रेटरी डॉ. अनुराग
    दीक्षित ने संयुक्त रुप से बताया कि भारत सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक अव्यवहारिक एवं मानव जीवन के लिए जोखिम भरा निर्णय लिया गया है।

    जिसमें आयुर्वेद पद्धति से शिक्षा एवं डिग्री प्राप्त चिकित्सकों को 2 वर्ष के प्रशिक्षण पश्चात सभी प्रकार आंख,नाक,कान, दांत, उदर एवं लगभग 58 प्रकार की सर्जरी करने की अनुमति दिए जाने का प्रावधान है।

    आईएमए किसी पैथी या पद्धति का विरोधी नही है, परंतु मिक्सोपैथी या खिचड़ी पैथी से जनता को पहुंचने वाले नुकसानों को देखते हुए इससे सहमत नहीं है।
    उन्होने बताया कि आयुर्वेद का जन्म भारत में ही हुआ है और यह एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है एवं यूनानी देश से भारत में आई होम्योपैथी को भी भारत में मान्यता मिली और इन सभी पद्धतियों ने उन्नति की। 18वीं सदी के अंत में एलोपैथी भारत में आई और मद्रास कोलकाता और बॉम्बे में मेडिकल कॉलेज
    की स्थापना हुई।

    भारत में आजादी के बाद इसकी ग्राहयता तेजी से बढ़ी है और इसका प्रचार भी बाकी पद्धतियों से अग्रणी बना। फलस्वरुप 1950 में व्यक्ति की औसत आयु 52 से बढ़कर 69 एवं 73 वर्ष तक हो गई है।

    आज भारत देश ने मॉडर्न मेडिसिन के क्षेत्र में इतनी तरक्की कर ली है कि वैक्सीन और दवाइयों के निर्माण में अग्रणी हो रहा है। विगत 40 वर्षो में प्राइवेट सेक्टर के कारण विश्वसनीय चिकित्सकीय सुविधाएं हमारे देश में पश्चिमी
    देशों की तुलना में कम खर्च में मिलने लगी है। जिससे मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा मिला है एवं विदेशी मुद्रा की बड़ी राशि देश में आने लगी है।

    वर्तमान आदेश से इसके नष्ट होने की आशंका है। उन्होने बताया कि पूर्व में भी प्रदेश एवं देश में 3 वर्षीय पाठ्यक्रम लागू करने का प्रयास किया गया। जिसकी लड़ाई आईएमए ने कोर्ट तक लड़ी है औरअंतत: सरकार को वह पाठ्यक्रम बंद करना पड़ा।

    स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में उक्त घोषणा से सरकार विभिन्न चिकित्सा की पद्धति को मिलाकर 2020 तक एक खिचड़ी डॉक्टरों का निर्माण करना चाहती है जो भविष्य के चिकित्सा पद्धति के कार्यवाहक होंगे।

    उन्होने बताया कि शासन मेडिकल कॉलेजों और पीजी सीट बढ़ाने के बजाय शॉर्टकट तरीके से खिचड़ी चिकित्सक का निर्माण करना चाहती है। एक रिक्शा चालक को टैक्सी और टैक्सी ड्राइवर को एरोप्लेन चलाने का नतीजा क्या हो सकता है।

    यह विचारणीय विषय है। केन्द्र सरकार की अधिसूचना भ्रामक एवं अव्यवहारिक है तथा गरीब जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है। एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति की कार्य रचना को विध्वंस करने का कुचक्र है तथा उच्चतम न्यायालय के निर्णय की अवहेलना है जिसका आईएमए विरोध करती है। प्रेसवार्ता के दौरान डॉ. प्रभात पांडेय, डॉ. अजय सावंत,डॉ. हेमंत वैध, डॉ. प्रफुल्ल जैन, डॉ. उज्जवल पाटनी, डॉ. एस.एस. नायक, डॉ. अनिल अग्रवाल एवं दुर्ग-भिलाई के अन्य डॉक्टर्स मौजूद थे।

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