नई दिल्ली, एएनआइ। दिल्ली में किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम की खंडपीठ ने किसान संगठनों को से बातचीत के लिए समिति गठन के लिए कहा है। इस मामले की सुनवाई कल सुप्रीम कोर्ट में होगी। सुप्रीम कोर्ट ने तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के कई बॉर्डर पर विरोध कर रहे किसानों को तुरंत हटाने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की मांग करने वाली दलीलों के एक बैच पर केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शनकारी किसानों को हटाने की मांग वाली याचिकाओं में आठ किसान यूनियनों को समिति में शामिल करने के लिए अनुमति दी। इसमें भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू, राकेश टिकैत), बीकेयू सिद्धपुर (जगजीत एस डंगवाल), बीकेयू-राजेवाल (बलबीर सिंह राजेवाल), बीकेयू – लखोवाल (हरिंदर सिंह लखोवाल), जम्हूरी किसान सभा (कुलवंत सिंह संधू), बीकेयू -डाकाउंडा (बूटा सिंह बुर्जगिल), बीकेयू – दोआबा (मनन सिंह राय) और कुल हिंद किसान महासंघ (प्रेम सिंह भंगू)।






केंद्र के नए कृषि कानून के विरोध में पिछले 20 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर धरने पर किसान बैठे हुए हैं। उन्हें हटाने के लिए लॉ के छात्र और वकील एडवोकेट द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई। कोर्ट ने किसान यूनियन को नोटिस भेज रास्ता रोकने वाले किसानों के नाम गुरुवार तक देने को कहा है। साथ ही इस बात की संभावना जताई है कि यदि मामला जल्द नहीं सुलझाया गया तो इस मामले के राष्ट्रीय मुद्दा बनने में देर नहीं लगेगी और इसलिए केंद्र सरकार व किसान प्रतिनिधियों को कमेटी बनाने का आदेश दिया है, ताकि मामला जल्दी सुलझाई जा सके। मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को होगी। कोर्ट ने कहा है कि आंदोलन कर रहे किसान संगठनों का भी पक्ष सुना जाएगा। साथ ही कोर्ट ने सरकार से सवाल किया कि अब तक मामले में समझौता क्यों नहीं हुआ। कोर्ट ने किसान संगठनों को भी नोटिस जारी किया है।