बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार एक मौलिक अधिकार
दुर्ग / राजेश श्रीवास्तव जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के मार्गदर्शन में ग्राम सेलूद में ‘‘हमर अंगना योजना’’ के तहत् घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं को विधिक सलाह एवं सहायता दिये जाने हेतु सर्वे कार्य का शुभारंभ किया ।



हमर अंगना योजना के तहत् किये जाने वालें सर्वे कार्य के साथ-साथ एक नवीन अभियान की शुरूआत की जा रही है। जिसके अंतर्गत जो बालक/बालिका पढ़ाई छोड़ चुके है उनको फिर से शिक्षा का महत्व बताते हुए पढ़ाई पुनः शुरू करवाये जाने की पहल की जाएगी। सेलूद में आयोजित विधिक जागरूकता शिविर में राहूल शर्मा सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने बताया कि शिक्षा सफलता की पहली कुंजी है।
किसी भी समाज, राज्य एवं देश का विकास उसके युवा पीढ़ी पर बहुत ज्यादा निर्भर रहती है। ऐसे में अगर यह पीढ़ी शिक्षित है तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है परंतु प्रायः यह देखा गया है कि कुछ माता-पिता अपने बच्चों को शिक्षा दिलाने में कोई रूचि नही रखते है।
यह भी देखा गया है कि बच्चों को व्यवसाय हेतु पढ़ाई को महत्व नही देते। यह भी पाया जा रहा है कि ग्रामीण एरिया में लड़कियों को शिक्षा से दूर रखा जाता है। वर्तमान समय में लड़का एवं लड़की दोनों बराबर है। आज लड़कियां, लड़को से कदम से कदम मिलाकर चल रही है ऐसे में लड़का-लड़की में भेदभाव करना एक बीमार मानसिकता को दर्शाता है। अनुच्छेद 21 (क) और आरटीई अधिनियम 1 अप्रैल 2010 को लागू हुआ। आरटीई अधिनियम के शीर्षक में ‘‘निःशुल्क और अनिवार्य’’ शब्द सम्मिलित हैं।
‘‘निःशुल्क शिक्षा’’ का तात्पर्य यह है कि किसी बच्चें जिसको उसके माता-पिता द्वारा स्कूल में दाखिल किया गया है, को छोड़कर कोई बच्चा, जो उचित सरकार द्वारा समर्थित नहीं हैं, किसी किस्म की फीस या व्यय जो प्रारंभिक शिक्षा जारी रखने और पूरा करने से उसको रोके अदा करने के लिए उत्तरदायी नहीं होगा। ‘‘अनिवार्य शिक्षा’’ उचित सरकार और स्थानीय प्रधिकारियों पर 6-14 वर्ष के बच्चों को प्रवेश , उपस्थिति और प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने का प्रावधान करने और सुनिश्चित करने की बाध्यता रखती है।
राहूल शर्मा ने विधिक शिविर में ग्रामवासियों को आगे बताया कि शिक्षा कभी किसी के लिए अभिशाप नही हो सकती। शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत शिक्षा प्रदान किये जाने हेतु एक किलोमीटर के दायरे में बच्चों को शिक्षा को शिक्षा प्रदान किये जाने हेतु खोले गए हैं। 6 वर्ष से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए शिक्षा निःशुल्क किया गया। जिसमें पुस्तक, कापी, यूनिफार्म का खर्चा भी सरकार के द्वारा वहन किया जात है।