



डॉक्टरी पेशा सिर्फ रोजगार ही नहीं, बल्कि एक धर्म है जो किसी भी संकट में निभाना पड़ता है। कोरोना संकट में जहां लोग एक-दूसरे के करीब आने में डर रहे हैं, वहीं छत्तीसगढ़ के बालोद जिला अस्पताल की नर्स 8 महीने की प्रेग्नेंट होने के बाद भी अपनी ड्यूटी निभा रही है। इनका कहना है- मुझे अपनी नहीं, दूसरों की चिंता है। इसमें मेरा परिवार भी सहयोग कर रहा है।
हमें पहले लोगों की जान बचानी चाहिए
बालोद जिला अस्पताल की स्टाफ नर्स तारा देवी साहू का कहना है कि कोरोना संक्रमण के दौर में मैंने सोचा कि अपनी जान से पहले लोगों की जान बचानी चाहिए। इस काम के लिए मेरे पति और मेरा परिवार मुझे काफी प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन ने मुझे छुट्टी लेने के लिए भी कहा था। लेकिन मैंने मना कर दिया। अभी मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं। जब तक स्वास्थ्य ठीक रहेगा तब तक ड्यूटी करती रहूंगी।
नर्स के पति ने कहा- तारा अपनी ड्यूटी के प्रति गंभीर
तारा देवी के पति राकेश कुमार बताते हैं कि जब मेरी पत्नी ने कहा कि मुझे इस संक्रमण काल में लोगों की सेवा करनी है, तो मुझे उनकी बातों को सुनकर बड़ा ही गर्व महसूस हुआ।
कलेक्टर भी मानते नर्स के हौसले का लोहा
बालोद जिले के कलेक्टर जनमेजय महोबे ने बताया कि जिला अस्पताल की नर्स तारा देवी साहू की स्थिति को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने उन्हें घर पर आराम करने के लिए भी कहा है। लेकिन वह काम को सेवा के रूप में मानकर काम कर रही है। उन्होंने संकट के इस दौर में लोगों की जिंदगी बचाना आराम करने से बड़ा माना है। यह सबसे ज्यादा प्रेरणादायक रहा। जैसा कि नर्स ने बताया था कि वह 6 माह की गर्भवती थी। तब वह कोविड अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रही थी। उसके बाद उन्हें OPD में मरीजों की जांच करने का दायित्व सौंपा गया है। लेकिन जिस तरह से वो सेवा व परिश्रम कर रही है। उससे स्वास्थ्य जगत व बालोद जिला गर्व महसूस करता है।