अंडा/युसूफ चौहान.
दुर्ग/ साहू समाज अपने बरसों पुरानी रुढ़ीवादी परंपरा को तोड़ते हुए उसमें सुधारकर पूरे समाज के लिये एक मिशाल पेश किया है.मनखे मनखे एक बरोबर की राह पर चलते हुए समाज में अच्छा संदेश दिया है.शादी के सामाजिक बंधन अर्थात आंतर
जातीय विवाह करने पर लड़के व उसके परिवार को समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है.क्यों कि समाज केखिलाफ दूसरी जाति या समाज की लड़की से शादी करने के कारण घर परिवार व समाज से अलग रखा जाता है.यहां तक कि घर परिवार व सामाजिक कार्यकरमों में भी शामील नहीं होने दिया जाता था.लेकिन अब साहू समाज की शिक्षित युवा पीढ़ी वसामाजिक लोगों ने इस पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए आंतरजातीय विवाह वाले अन्य वर्ग की बेटी को भी अपनी बेटी मानते हुए साहू समाज में ससम्मान मिलाने का सिलसिला शुरु कर दिया है.इसी कड़ी में डुंडेरा,धनोरा,धमधा,व पाटन बाहेर
ब्लाक के स्थानीय साहू समाज ने अनूठा कदम उठाया है.और ऐसा कर दिखाया है.जिससे अब समाज से बहिष्कृत व्यक्ति भी अपने परिवार व समाज मेंशामील होकर बहुत ही अपनापन महसूस कर रहा है.इसके पहले परंपरा के नाम पर कयी परिवार टूटकर बिखर चुके हैं.साहू समाज के इस साहसिक फैसले पर हमारे प्रदेश के गृहमंत्री तामरध्वज साहू ने साहू समाज को बधाई प्रेषित किया है.ग्राम डुंडेरा निवासी कुलेश्वर साहू दो बच्चों के पिता होने के बाद भी समाज सेबहिस्कृत का दंश झेल रहे थे.साहू समाज के साहसिक फैसले से समाज मेंससम्मान शामील (महिलांच्या) गया.ग्राम डुंडेरा के दो परिवारों को समाज मे शामील किया गया है.जो दूसरे जाति कीलड़की से शादी किये हैं.
अशोक साहू समाज सेवी डुंडेरा
पांच परिवारों को साहू समाज में शामील किया गया है.जो पहले समाज से अलग थे.जिसमें दो परिवार दुर्ग तहसील से,दो परिवार पाटन व एक परिवार धमधा ब्लाक से अपने समाज व अपने परिवार मेंशामील होने का सौभाग्य मिला है.स्थानीय साहू समाज का ये साहसिक निर्णय अन्य दूसरे समाज के लिये प्रेरणा है.


