रायपुर (DNH) – बस्तर सहित दुर्ग , भिलाई , रायपुर , राजनांदगांव , बिलासपुर के कई व्यापारियों के तार जुड़े हुए है नक्सलियों से ? समय – समय पर इन शहरो से नक्सलियों की उपस्थिति के प्रमाण मिलते रहे है जांच अधिकारियों को ? शायद इसीलिए सरकारी तंत्र घटना के पहले जानकारी देने में नाकाम हो जाता है , जिसका खामियाजा जवानों को , अपनी जान गंवा कर भुगतना पड़ता है ?छत्तीसगढ़ में नक्सली बेखौफ क्यों है ? उनका सूचना तंत्र , सरकार की सूचना तंत्र से मजबूत क्यों है ? क्यों नक्सलियों को जिंदा रहने के समान मिल जाते है और आज भी मिल रहे है ? खाना पीना से लेकर दवाई , जुता चप्पल , वर्दी , गन , सभी तरह की आवश्कता कहा से पूरी हो जाती है ? स्थानीय मजदूरों , आदिवासियों के पास , इतनी ताकत और पहुंच तो है नहीं कि , नक्सलियों को आवश्यक सामान की पूर्ति कर सके ? आज राज्य के जंगलों में नक्सली जिंदा है , तो सिर्फ चंद स्वार्थी दोगले व्यापारियों के बदौलत ? जो नक्सलियों को , वो हर आवश्यक सामानों की पूर्ति कर रहे हैं , जो आम इंसान को जिंदा रहने के लिए आवश्यक होती है ? शायद उससे भी बढ़कर ? ऐसे दोगले व्यापारियों ने , जहां राज्य और देश को खोखला कर बर्बाद करके रख दिया है तो वहीं देश के जवान , बेमौत मारे जा रहे है ? मई २०२० के पहले पखवाड़े में ही , हमने अपने कई जवानों को खो दिया है , इसके पहले भी जवान मारे जाते रहे है ? हर बार सरकारी सूचना तंत्र के फेल होने की जानकारी मिलती रही है और जांच में भी सामने अा चुका है कि , हम चूक गए ? अब साफ हो जाता है कि , निशांत जैसे कई व्यापारियों के कारण , सरकार नक्सली मामले में फेल हो रही है और जवान पूरी तरह से सतर्क होने के बावजूद मारे जा रहे है ? अब आवश्यक है निशांत जैसे व्यापारियों की धर पकड़ करने की , क्योंकि , हम बाहर के दुश्मन से बेखौफ होकर लड़ सकते है और जीत भी जाएंगे , लेकिन जो दुश्मन हमारे घर के भीतर , मासूमियत का नकाब ओढ़कर बैठा है किसी ना किसी रूप में , व्यापार के नाम पर , उनका नेटवर्क तोड़कर , उनका पर्दाफाश करना आवश्यक है ? क्योंकि , ये हर जगह मौजूद है , हमें बर्बाद करने के लिए ?
*कौन है निशांत जैन ?*
कांकेर पुलिस ने एक बार फिर नक्सली नेटवर्क को तोड़ा है , जो शहरो में रह कर , हर चीजों से नक्सलियों को मदद करते रहे है , इस मामले में पुलिस ने , १४ मई दिन गुरुवार को लैंडमार्क इंजीनियर के मालिक निशांत जैन को बिलासपुर के घर से गिरफ्तार कर लिया है ? गिरफ्तार निशांत जैन देश और राज्य से गद्दारी कर , नक्सलियों को पैसे और जीने लायक आवश्यक सामान पहुंचकर मदद कर रहा था ? वह नक्सलियों से सांठ गांठ कर , पिछले कई वर्षो से , बस्तर क्षेत्र सहित आस पास के संवेदनशील इलाकों के सड़क निर्माण का ठेका लेता था , जिसे नक्सली संरक्षण देते थे ? शायद यही कारण था कि , नक्सलियों ने कभी भी निशांत के कामों में ना तो कोई दखलंदाजी की और ना ही उसके वाहनों को जलाया ? जैसा कि , वे करते अा रहे है ? बदले में निशांत , नक्सलियों को आवश्यक सामान की पूर्ति करता था ? सूत्रों का मानना है कि , निशांत पिछले कई वर्षों से कांकेर के आस पास गांव और कस्बों कोयलीबेडा , अंतागढ़ में सक्रिय नक्सलियों को दवाई , वर्दी , राशन , वायरलेस सेट , जुता , सहित कई दैनिक सामानों को नक्सलियों के पास , उनके , अपने उपयोग के लिए भेजता था ? पिछले वर्षो से निशांत नक्सलियों को , इस तरह की मदद पहुंचा रहा था ?
*दिल्ली से आया था काम की तलाश में निशांत ?*
जानकारों ने बताया कि , निशांत जैन १९ वर्ष पहले काम की तलाश में छत्तीसगढ़ आया था , अजय जैन से निशांत की जान पहचान थी , कुछ दिन इधर उधर भटकने के पश्चात , वह नक्सली क्षेत्र में सड़क निर्माण के कार्यों में जुट गया ? यहीं से नक्सलियों से निशांत की जान पहचान हुईं और तब से लेकर , आज तक निशांत जैन आगे ही बढ़ता गया और आज छत्तीसगढ़ के भीतर , निशांत ६०० करोड़ के मालिक है ? इतने कम समय में , इतनी बड़ी उपलब्धि और करोड़ों के जायजाद हासिल कर लेना , यही दर्शाता है कि , निशांत जरूर गैरकानूनी कार्य में नक्सलियों के साथ मिलकर काम कर था ? तभी आज ६०० करोड़ की पूंजी निशांत के पास है ?
*आगे की जांच में जुटी पुलिस ?*
निशांत की गिरफ्तारी के पश्चात कांकेर पुलिस नक्सली नेटवर्क की जांच में कई कड़ियों को जोड़कर देख रही है , क्योंकि , २४ अप्रैल को एस आई टी ने राजनांदगांव से अजय जैन को उसके घर में दबिश देकर गिरफ्तार कर , कई अहम दस्तावेज को जब्त किया था , जिसकी आंच अब निशांत के कारोबार में भी दिखाई दे रही है , और इसी शक के आधार पर , जिसकी निगरानी पुलिस पिछले कई दिनों कर थी ? १४ मई की रात को जानकारी मिली की निशांत , अपने बिलासपुर के घर में मौजूद है , सूचना पक्की होते ही एस आई टी , की टीम ने घर में दबिश देकर निशांत को गिरफ्तार कर लिया और दूसरे दिन न्यायलय में प्रस्तुत कर दिया , जहां से उसे हिरासत में भेज दिया गया , उसके पास से , दो मोबाइल जब्त किया गया है जिसकी काल डिटेल की जांच की जा रही है , तो वहीं निशांत के भाई वरुण जैन की , इस कारोबार में भूमिका की जांच की जा रही है ?
*निशांत का पर्दाफाश ऐसे हुआ ?*
निशांत के कम्पनी के कर्मचारी , तभी से संदेह के दायरे में अा गए थे , जबसे कर्मचारियों को नक्सली इलाकों में समान पहुंचाते पाया और देखा गया था ? तभी से निशांत पर शक पुख्ता हो गया था , और इस बीच निशांत के एक ठेकेदार तापस पालिका को , २४ मार्च को बोलेरो से नक्सलियों के लिए , समान पहुंचाते हुए , सिकोड़ थाना क्षेत्र के अन्तर्गत मरदा मार्ग में पुलिस ने पकड़ा था , जब जब्त वाहन की जांच की गई , तो वाहन से नक्सलियों के लिए , जुता , वर्दी ,कपड़ा , मैन पेक सेट सहित दैनिक समान जब्त किए गए , पूछताछ में तापस ने कबुल किया था कि , ये समान नक्सलियों के लिए है ? और निशांत के कहने पर लाया गया है ?
*नक्सलियों के संरक्षण में चल रहा था निशांत का काम ?*
पुलिस के अनुसार लैंडमार्क इंजीनियर कम्पनी बिलासपुर के निशांत जैन और उसके भाई वरुण जैन की लैंडमार्क रायल इंजीनियर कम्पनी राजनांदगांव के नाम से कांकेर जिले के नक्सल प्रभावित इलाकों कोयलिबेडा , अंतागढ़ , आमाबेड़ा , सिकसोड , रावघाट , तोड़ोकी में , पी एम जी एस वाय , के द्वारा , सड़क निर्माण कार्य स्वीकृत हुए थे , इन सभी निर्माण कार्यों को निशांत और वरुण ने , पेटी ठेकेदार रुद्रांश कम्पनी के भागीदार तापस पालित , अजय जैन और कोमल जैन को दिया गया था , यहीं के ठेकेदार और कर्मचारी , अपने मालिकों के कहने पर समान पहुंचाते थे , जिसके बदले में नक्सली , निशांत और वरुण के कामों और समानों को संरक्षण देते थे और इसीलिए नक्सलियों के द्वारा कभी भी , दोनों भाइयों के सामानों को , अब तक किसी भी तरह का नुक़सान नहीं पहुंचाया था ? छत्तीसगढ़ के भीतर नक्सलियों के समर्थक , निशांत जैन जैसे कई और होगे , जो भीतर ही भीतर देश और राज्य को धोखा देकर बर्बाद कर रहे है , ऐसे देश विद्रोही काम करने वाले दोगले व्यापारियों पर सीधे देश द्रोह का मुकदमा दर्ज कर फांसी पर लटका देना चाहिए ? क्योंकि , यही जनता की राय और मांग होती है ?