रायपुर (DNH) – जब पूरा देश कोरोना की आग में जल है , तब उस आग को बुझाने के लिए , भगवान स्वयं मानव रूप में सामने आए और मानव धर्म की रक्षा करते हुए लोगो की जान बचाने में जुट गए , आज भले ही देश के भीतर , महामारी को लेकर अफरा तफरी मची हो , लोग दहशत के साए में भले ही जी रहे हो , लेकिन जिनके इरादे नेक है , मजबूत है , हौसले उनके बुलन्द हो , तब ऐसे में , ऐसे ज्जबती लोगो को किसी के ना तो सहारे की जरूरत पड़ती है और ना ही किसी संसाधन की , आज कोरोना काल में जब लोग , अपनी जान बचाने के लिए , घर में दुबके हुए , मां बाप बच्चो को , घर से बाहर निकलने के लिए सख्ती पूर्वक मना कर रहे है , क्योंकि , कोरोना वर्तमान समय में , एक लाइलाज बीमारी के रूप में उभरकर सामने आई है , जिसका इलाज फिलहाल सरकार के पास भी नहीं है , सरकार स्वयं कह रही है कि , अगर कोरोना से बचना है तो साफ – सफाई , मुंह में मास्क , और दो गज की दूरी , बनाकर एक दूसरे से रखना , यही कोरोना का फिलहाल इलाज और दवाई है , ऐसी परिस्थिति में , रायपुर टाटीबंध निवासी , कक्षा १२ वी की छात्रा , सोनी चौहान के जज्बे को पूरा देश सलाम करता है ।
सोनी चौहान के इरादे है , मानव धर्म की सेवा करना ।
रायपुर का टाटीबंध चौक , जहां अन्य राज्यो तक जाने वाली सड़को को जोड़ता है , वहीं आज कोरोना काल में , यह चौक अन्य राज्यो से अा रहे मजदूरों की शरणस्थली बनी हुई है , भूखे प्यासे , भटकते मजदूर कहीं भी दिखाई दे देंगे , ऐसे ही मजदूरों की , सेवा करने के लिए , सोनी चौहान दोपहर में ३ – ४ घंटे के लिए , अपनी सायकिल लेकर चौक तक आती है और मजदूरों के सामानों के बोझ को , अपनी सायकल में डालकर , उन्हें उनके अगली मंजिल तक छोड़ रही है , महामारी को देखते हुए , सोनी स्वयं पहले अपने आपको सुरक्षित कर लेती है , तभी वह चौंक में आकर मजदूरों की सेवा कर रही है , कभी मजदूरों के सामानों को तो कभी मजदूरों के बच्चो को , सायकल में बैठकर , उन्हें अगली मंजिल पर छोड़ रही , सोनी के इस जज्बे को , जो कोई भी देखता है , वो सोनी के , इस निस्वार्थ भाव सेवा को देखकर नतमस्तक हो जाता है ,
सोनी ने बताया कि____
महामारी के दौरान , उसने देखा कि , मजदूर काफी मजबुर है , वो भूख से त्रस्त तो थे ही लेकिन पैदल चलकर हजारों किलोमीटर की दूरी तय करने के कारण , वे पूरी तरह से थक भी गए थे , उनकी इसी पीड़ा ने , मुझे प्रेरित किया कि , क्यों ना मै भी , उनके संकट की घड़ी में , उनका साथ दूं , और इसी सोच को लेकर , मै प्रतिदिन चौक पर जाती हूं , जितना भी समय मिलता है , मजदूरों की सेवा कर रही हूं , मन को शान्ती मिलती है ।