दुर्ग/6 दिसंबर को चन्दूलाल चन्द्राकर स्मृत्ति शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में आए नये चिकित्सा छात्रों की पठन पाठन परंपरा गत शुभारम्भ हुआ। इस अवसर पर नये मेडिकल स्टूडेंट्स को वाइट कोट सेरेमनी के साथ स्वागत् किया गया। आज के इस अविस्मरणीय कार्यक्रम मे अधिष्ठाता डॉ. प्रदीप पात्रा की उपस्थित में अस्पताल अधीक्षक डॉ. अतुल मनोहरराव देशकर, शरीर रचना विभाग के आचार्य डॉ. दिलीप क्षीर सागर, डॉ. रोली चंद्राकर, डॉ. शिल्पी श्रीवास्तव, अनुषा दास, शरीर क्रिया विभाग के डॉ. अंशुल सिंघवी, जीव रसायन विभाग से डॉ. स्वाति हिवाले, डॉ. लोपा रे व सामुदायिक चिकित्सा विभाग से डॉ. मनवानी, डॉ. बीसन, डॉ सौरभ, डॉ. वर्तिका सिंह व सभी संकायों के चिकित्सा शिक्षक उपस्थित थे। छात्रों को सम्बोधित करते हुए अधिष्ठाता महोदय ने कहा कि ये वाइट कोट सिर्फ़ अप्रोन नहीं बल्कि इससे चिकित्सको का अनुशासन,उनकी स्वच्छ आभा व गरिमा जुडी हुई हैं। उन्होंने कहा कि आप अपने शिक्षकों व सीनियर का सम्मान करें और अपने मरीज़ो का आदर करें क्योंकि वो भी हमारे लिए शिक्षक ही होते हैं और हम उन्हीं से सबकुछ सीखते हैं। इस अवसर पर एक और विशिष्ट परम्परा निभाई गई जिसे कैडेवरिक ओथ कहते हैं जिसमें हर चिकित्सा छात्र को उस शव के लिए एक शपथ लेनी होतीं है। जिसके विच्छेदन कर डॉक्टर्स शरीर रचना एवं सर्जरी का प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। इस अवसर पर शरीर रचना विभाग की सहप्राध्यापक डॉ. रोली चंद्राकर ने एक मार्मिक कविता से छात्रों को अभिभूत कर दिया। जिसमे ये बताया गया कि वो शव जिसका विच्छेद कर वे कुशल चिकित्सक बनेगें उनसे कह रहा है कि जब मैंने इस शव -विच्छेदन मे प्रवेश लिया तो मैं सम्पूर्ण था, अब आप सब मेरे अंग प्रत्येकांगों को चीड़ फाड़कर, मेरी हड्डियों को हथोड़ियों से तोड़कर, मेरे दिल दिमाग़ और फेफड़ों को मेरे शरीर से विलग कर चिकित्सकीय ज्ञान प्राप्त करेंगे और मेरा अस्तित्व इन चिकित्सा छात्रों के प्रशिक्षण ने विलीन हो जायेगा। मैं उन्हें सब सिखाने आया हूँ और बदले में उनसे आशा करता हूँ कि वे बहुत कुशल चिकित्सक बने और रोगियों की चिकित्सा कर अपना अपने परिवार, प्रदेश व देश का मान बढ़ाएँ। गौरतलब है कि प्रदेश में सबसे अधिक 200 छात्रों की संख्या रखने वाले चंदूलाल चंद्राकर चिकित्सा महाविद्यालय में आज का यह कार्यक्रम बेहद प्रेरणादायक रहा।