20 वर्षो में पूरा नहीं हो पाया एकता द्वार, हो रही धार्मिक भावना आहत,पीएमओ में दुर्ग नगर निगम के शिकायत
डिजाइन को लेकर विवाद के कारण 20 वर्षो से अधर में चल रहे एकता द्वार का मामला अब पीएमओ पहुंच गया है। आरटीआइ एक्टिविस्ट ने मामले में निगम को जिम्मेदार करार देते हुए इसकी शिकायत दर्ज कराई है।
एकता द्वार में प्रस्ताव के अनुसार सभी धर्मों के प्रतीक चिन्ह बनाकर पूरा करने 20 वर्षो से अधुरा पड़ा है ! पूरा नही करने की स्थिति में पूरा निर्माण हटा देने की मांग उठाई है।
नगर निगम द्वारा शहर की धार्मिक सद्भावना को प्रदर्शित करने पुराना बस स्टैंड और सरदार पटेल चौक के बीच स्टेशन रोड पर वर्ष 2001 में एकता द्वार का निर्माण शुरू कराया था। प्रपोजल के अनुसार एकता द्वार में गुंबद के साथ हिन्दू, मुस्लिम, सिख और इसाइ धर्म के प्रतीक चिन्ह बनाया जाना था, लेकिन निर्माण के दौरान द्वार ऊपर बनाए गए गुंबद के धर्म विशेष से जुड़े हाने को लेकर विवाद हो गया। इसके बाद निर्माण बंद कर दिया गया।
स्लोगन के अक्षर गायब
एकता द्वारा स्टील से धार्मिक एक जुटता को बढ़ावा देने के मकसद से मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना, हिन्दी हैं हम वतन हैं हिन्दोस्तां हमार स्लोगन भी लिखा गया था। इस स्लोकन के अधिकतर अक्षर अब गायब हो चुके हैं।
अधूरे निर्माण का पूरा भुगतान
एकता द्वार के अधूरे निर्माण के बाद भी ठेकेदार को पूरा भुगतान कर दिए जाने की भी शिकायत पीएमओ से की गई है। कि ठेकेदार को निर्माण पूरा करने से पहले ही पूरा भुगतान कर दिया गया है। वहीं आरटीआइ में भी काम का हिसाब नहीं दिया जा रहा।
हो रही धार्मिक भावना आहत
शिकायतकर्ता का कहना है कि निर्माण धार्मिक भाईचारा को बढ़ावा देने के लिए किया गया था, लेकिन अधूरे निर्माण व स्लोगन से लोगों भावनाएं आहत हो रही है। ऐसे में या तो निर्माण पूरा कराया जाना चाहिए, अब धर्म से जुड़े अधूरे निर्माणों के साथ द्वार को हटा दिया जाना चाहिए।