भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने बुधवार (23 अगस्त 2023) को उस समय इतिहास रच दिया जब विक्रम लैंडर ने चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कर दी.
ये वैज्ञानिक बीते कई सालों से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विमान लैंड करने का प्रयास कर रहे थे. चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिकों समेत देश-दुनिया भर के लोगों के चेहरों पर खुशी की लहर दौड़ गई. इन सब के बीच उन वैज्ञानिक परिवारों ने भी प्रतिक्रिया दी जिनके परिजन इस मिशन से जुड़े हुए थे.
मीडिया से बात करते हुए इन परिजनों ने बताया कि ये वैज्ञानिक बीते एक महीने से इसरो कैंप में थे और अपने परिवार के लिए बहुत मुश्किल से वक्त निकाल पा रहे थे.
असम के तिनसुकिया और लखीमपुर शहरों के दो परिवार चंद्रयान-3 के चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद उत्साह और उमंग से भरे हुए थे. इनमें से एक परिवार की पुत्रवधू तो दूसरे का बेटा इस मिशन से जुड़े थे.
तिनसुकिया में सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी दीपक देव और उनकी पत्नी शिखा की 35 वर्षीय पुत्रवधू निधि शर्मा चंद्रयान-3 की लैंडिंग को देख रही टीम का हिस्सा हैं. निधि ने सफल लैंडिंग के बाद अपने ससुर को फोन लगाकर एक मिनट से कुछ कम समय बात की और उनके पहले शब्द थे,’बाबा हमने कर दिया.’
देव ने कहा,’चंद्रयान-2 की विफलता को याद करते हुए हम चिंतित थे. तब उसने फोन करके अपनी निराशा प्रकट की थी. चंद्रयान-3 की सफलता के साथ हम बहुत गदगद हैं और मेरे पास बयां करने के लिए शब्द नहीं हैं.’ शिखा ने बताया कि उनकी पुत्रवधू गर्भवती है और उनको उसकी सेहत की भी चिंता थी.
उन्होंने कहा, ‘जब मैं उससे सही आहार लेने और अपना ख्याल रखने को कहती तो वह जवाब देती कि उसका ध्यान केवल इस मिशन पर है और इसकी लैंडिंग के बाद ही अपने बारे में सोचेगी.’
उन्होंने बताया कि निधि पिछले करीब एक महीने से कैंप में है और उनसे या उनके बेटे और अपने पति दिबाकर देव से बहुत कम बात कर पाती है. दिबाकर बेंगलुरु की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करते हैं. पड़ोसी लखीमपुर जिले में इसरो वैज्ञानिक चयन दत्ता के परिजन चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की बाट बेसब्री से जोह रहे थे.
सॉफ्ट लैंडिंग सफल होते देखकर दत्ता के पिता रजनी कुमार दत्ता और मां शीला दत्ता की आंखों में आंसू थे. रजनी कुमार दत्ता ने कहा, ‘मैं प्रत्येक भारतीय की तरह आह्लादित हूं कि मिशन सफल हुआ है.’
आपको बता दें कि चंद्रयान-3 लैंडिंग के बाद अब रोवर मॉड्यूल इसरो के वैज्ञानिकों के 14 दिवसीय टास्क पर काम शुरू करेगा. उसके विभिन्न कामों में चंद्रमा की सतह के बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए वहां प्रयोग करना भी शामिल है. प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की सतह पर कई प्रयोग करने के लिए लैंडर मॉड्यूल से बाहर निकलेगा. इसरो के अनुसार, लैंडर और रोवर में पांच वैज्ञानिक उपक्रम (पेलोड) है जिनको लैंडर मॉड्यूल के भीतर रखा गया है.