सरकारी जमीन खरीदने के लिए 500 से ज्यादा लोगों ने आवेदन लगाए थे, जिसमें 400 से अधिक अर्जियां खारिज, आवेदनों में लोगों ने नेशनल और स्टेट हाईवे के किनारे का प्लाट मांग लिया था,
रायपुर/ राजधानी की सरकारी जमीन खरीदने के लिए 500 से ज्यादा लोगों ने आवेदन लगाए थे, जिसमें 400 से अधिक अर्जियां खारिज कर दी गई हैं। जिनके आवेदन खारिज किए गए हैं, उनमें कई प्रभावशाली लोग हैं। खारिज होने वाले अधिकांश आवेदनों में लोगों ने नेशनल और स्टेट हाईवे के किनारे का प्लाट मांग लिया था, या फिर निगम की खाली जमीन की ही बोली लगा दी थी। मांगी बचे हुए लगभग सौ आवेदन ऐसे लोगों के हैं, जिन्होंने सरकारी जमीन पर बरसों पहले कब्जा किया और पक्का निर्माण कर लिया है। ऐसे लोगों पर तगड़ा जुर्माना लगाकर उनके कब्जे वैध किए जा रहे हैं।
सरकारी जमीन खरीदने के इच्छुक लोगों ने पटवारियों से नक्शा और रकबा-खसरा लेकर अधिकांशतया वह जमीनें मांगीं, जिन्हें किसी न किसी विभाग को उसकी आने वाली योजना के लिए आरक्षित कर दिया गया है। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की ओर से बनने वाली सड़क, निगम की स्मार्ट योजनाएं और सड़क, तालाबों और पानी वाली जमीन खरीदने के लिए भी लोगों ने आवेदन कर दिया था। तहसील में आवेदन मिलने के बाद अफसरों ने विभागों से एनओसी लेने के लिए आवेदनों को उनके पास भेजा तो आधा दर्जन से ज्यादा विभागों ने शासकीय जमीन की बिक्री पर आपत्ति लगा दी। नगर निगम, खनिज और पीडब्ल्यूडी ने सबसे ज्यादा विरोध किया। इसीलिए सरकारी जमीन खरीदी के ऐसे तमाम आवेदन निरस्त कर दिए गए। अफसरों ने साफ कर दिया है कि केवल उन्हीं सरकारी जमीन की बिक्री की जाएगी जो किसी विभाग के अधीन न हो और न ही किसी योजना के लिए आरक्षित हो।
कई पाॅश इलाकों में जमीन
रायपुर में अभी 69 लाख 77 हजार 336 वर्गफीट सरकारी जमीन खाली है। इसके अलावा 12 लाख 51 हजार वर्गफीट जमीन ऐसी है जिस पर लोगों का अवैध कब्जा है। यह जमीन शंकरनगर, अवंति विहार, अमलीडीह, रायपुरा, बीरगांव, खमतराई, कचना, आमासिवनी, लाभांडी, भाटागांव, गुढ़ियारी, कोटा, मंडी समेत कई पॉश जगहों में है। जिन लोगों का जमीन पर अवैध कब्जा है उनसे सरकार दशकों बाद भी जमीन खाली नहीं करवा पाई है। इस वजह से इस योजना से अब सरकार को फायदा होना तय है। लगातार आवेदन निरस्त होने के बाद अब तहसील अफसरों को फिर से नए खरीदारों की तलाश है, जो ऐसी सरकारी जमीन की खरीदी कर सकें।
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ऐसी आपत्तियां लगाई गईं
- खनिज विभाग में पट्टे के लिए आरक्षित जमीन। इसलिए कड़ी आपत्ति लगी।
- आवासीय के लिए आवेदन, लेकिन उपयोग कमर्शियल किया जा रहा था।
- सरकारी जमीन की कीमत इतनी लगी कि क्रय करने में असहमति जताई।
- कमर्शियल सड़क पर फैक्ट्री लगाने के लिए जमीन खरीदने दिया आवेदन।
- कई विभागों ने जमीन के लिए अभिमत ही नहीं भेजा, प्रस्ताव ही अटक गए।
- लोक निर्माण विभाग की सड़क के लिए आरक्षित जमीन खरीदने का प्रस्ताव।
- निगम की सड़क और योजनाओं के लिए आरक्षित जमीन खरीदने के प्रस्ताव।
“करीब 80 प्रतिशत लोगों ने दूसरे विभागों के लिए आरक्षित जमीन मांग ली। जिनमें निगम, लोक निर्माण, कृषि और जल संसाधन की आपत्तियां आईं, उन्हें निरस्त कर दिया है। अतिक्रमण पर ही जुर्माना लेकर नियमित कर रहे हैं।”
-प्रणव सिंह, एसडीएम रायपुर