उतई बस स्टैंड के दुर्दशा देखकर भी 30 साल में नही जागा प्रशासन, पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडे के कर कमलों से हुआ था लोकार्पण।
द्वारा -: अशोक अग्रवाल
उतई / दुर्ग जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत उतई में बस स्टैंड के दुर्दशा देख ही बनती है लगभग 30 वर्ष पूर्व 16 नवंबर 19 नवंबर को बस स्टैंड का उद्घाटन तात्कालीन उच्च शिक्षा मन्त्री मध्यप्रदेश शासन प्रेम प्रकाश पाटे के कर कमलो से हुआ था, लगभग 30 साल बीत जाने के बाद भी उपरोक्त बस स्टैंड में बस तो दुर अब जानवर तक जाना पसंद नहीं करते।
ग्राम पंचायत उतई और ग्राम पंचायत डुमरडीह के बीच जमीन के हक को लेकर चल रहे विवाद को आज तक नहीं सलज़ पाया है इसी बीच बस स्टैंड में बस स्थानक पूरी तरह जर्जर हो चुकी है कई सालों से आसपास अब बस खड़ी नहीं – नहीं आती चौक पर से गया है। जाता है जँहा पर भीड और दुर्ग पाटन के मुख्य मार्ग पर होने की वजह से आये दिन दुर्घटना होते रहती है। कितनी सरकार आई और चली गई बस दूर नहीं हो पा रही है बस स्टेंड का मामला।
सन 1987 में ग्राम पंचायत उतई के तत्कालीन सरपंच खुमान सिंह साहू के द्वारा उतई और आसपास के गांव के लोगों की कहानी की सुविधा को देखते हुए बस स्टैंड निर्माण और उसके लिए जमीन उपलब्ध कराने की मांग की थी फिर से 3 साल का भू अधिग्रहण का मामला है। है। चला फिर जमीन मिल गई तो कुछ स्वार्थी तत्वों द्वारा ग्राम पंचायत और ग्राम पंचायत द्वारा के बीच में अंतर उत्पन्न कर दिया गया जिसका परिणाम आज तक बस स्टैंड भुगत रहा है।
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बस स्टैंड के मामले की शुरुआत तब हुई जब तात्कालीन सरपंच की लापरवाही औरअधिकारियों की लालफीताशाही की वजह से उक्त बस स्टैंड और आसपास रहने वाले लोगों को उतई ग्राम पंचायत में ना जोड़ कर डुमरडी पंचायत में जोड़ा गया फिर वर्चस्व की लड़ाई कुछ स्वार्थी लोगों की है। । अगुवाई में शुरू हुई जो आज तक जारी है इस बीच प्रशासन और शासन की उदासीनता की वजह से बस स्टैंड के आसपास के लोगों ने सजा काट ली है।
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इस मामले में अधिग्रहण का मामला 3 साल तक चला गया वास्तव में जिस जमीन पर बस स्टैंड बना है उक्त भूमि को ग्राम पंचायत डुमरडीह की मर्जी से सेल द्वारा अधिग्रहित कर डुमरडीह ग्राम पंचायत को मुआवजा दिया गया फिर सेल राज्य शासन शासन को उक्त भूमि दे दी गई। । इसके लिए नायब तहसीलदार के न्यायालय में अवधि चली गई और भूमि राज्य शासन को प्राप्त हुई
हो गया। खसरा नंबर 41/1 / रकबा 3.59 एकड़ भूमि के लिए सबसे पहले 17 जुलाई 1989 को प्रक्रिया शुरू की गई जिलाधिकारी द्वारा मुख्य नगर प्रशासक भिलाई इस्पात संयंत्र को एक पत्र लिखकर जमीन उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिखा गया।
शासन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद उक्त भूमि में बस स्टैंड के निर्माण के लिए भूमि पूजन कर दिया गया है जबकि हस्तांतरण की प्रक्रिया चल रही थी सेल ने उतई ग्राम पंचायत उतई को भूमि देने के लिए 24 जुलाई 1991 को डिप्टी कलेक्टर को एक पत्र लिखकर 3.59 दिया। एकड़ भूमि का मुआवजा 66 3166 बैंक में जमा करने को कहा 8 सितंबर 1991 को नगर पंचायत उतई द्वारा बैंक ड्राफ्ट जमा किया गया फिर उसी को जमीन पर हस्तांतरित कर दिया गया।
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इसी तरह ग्राम पंचायत उतई और ग्राम पंचायत डुमरडीह के बीच मामला मे मे फिर से स्टैंडबाय के हक को लेकर 22 अक्टूबर 2013 को उच्च न्यायालय द्वारा नगर पंचायत उतई के पक्ष में फैसला दिया गया प्रतिवादी को 30 दिन की समयसीमा में याचिका प्रस्तुत करने का ना हो रहा है। पर याचिका मजबूत कर दी गई उसके बाद डुमरडीह ग्राम पंचायत का कहना है कि उक्त याचिका स्वीकृत हो गई है जबकि उतई नगर पंचायत का कहना है कि यह उक्त याचिका स्वीकृत नहीं है, इस उन्हापोह को नेतृत्व में लगभग 8000 पारित किए गए हैं, लेकिन उस दोनो पंचायत अपना पक्ष रखने मे प्रचंड अनुक्रम रहा है।
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इसी तरह 2 साल के पूर्व नगर पंचायत उतई की तात्कालीन अध्यक्ष श्रीमती गौरी चन्द्राकर के कार्यकाल मे बस स्टेंड के आस पास रहने वाले रहवासी एव व्यपिरो को नोटिस जारी कर एक सप्ताह मे जगह खाली करने को कहा गया है, अन्यथा तोडफ़ोड़ की कार्रवाई की बात की। गया था। किंतु 2 वर्ष बीत जाने के बाद भी मामला ठन्डे बस्ते मे पडा हूआ है
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नगर पंचायत उतई मे मेरी पदस्थापना को बहुत दिन नहीं हुआ है मा इस मामले से अंजान हुँ शीघ्र ही इस मामले का अध्ययन कर उचित कारवाही कर रही है
सोहेल कुमार
मुख्य नगरपालिका अधिकारी
नगर पंचायत उतई
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नायब तहसीलदार के पास सीमांकन के लिए आवेदन दिया गया है सीमांकन होते ही बस स्टेंड के जीर्णोद्धार किया जाएगा और अवैध क्ब्जो को हटा कर नव बस स्टेंड का निर्माण करवाया जाएगा।
डिकेंद्र हिरवानी
अध्यक्ष
नगर पंचायत उतई