दो हजार के नोट सबसे ज्यादा खराब हुए।
खराब होने के कारण वित्तीय वर्ष 2020-21 में 45.48 करोड़ डिस्पोज करने पड़ें।
कोरोना वायरस के डर से लोगों ने नोटों को इतना सैनिटाइज किया या साबुन से धोया कि वे बदरंग हो गए। भारतीय रिजर्व बैंक का कहना है कि कोरोना काल में जितने नोट खराब हुए, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। वित्तीय वर्ष 2018-19 में 2,000 रुपए के सिर्फ छह लाख नोट डिस्पोज किए गए थे, जबकि वित्तीय वर्ष 2020-21 में 45.48 करोड़ डिस्पोज करने पड़े।
वित्तीय वर्ष 2018-19 में 200 रुपए के सिर्फ एक लाख नोट ही बेहद खराब स्थिति में पहुंचे थे, लेकिन वित्तीय वर्ष 2020-21 में यह संख्या बढ़कर 11.86 करोड़ हो गई। 500 रुपए के नोट खराब होने में भी 40 गुना इजाफा हुआ है। छोटे नोटों पर इसका कम प्रभाव पड़ा है। सैनिटाइज करने या धोने व प्रेस करने से नोट तेजी से खराब हुए या गलने लगे।
छोटे नोट रहे सेफ-
वित्तीय वर्ष 2019-20 के मुकाबले 2020-21 में 2,000 के नोट ढाई गुना से ज्यादा, 500 और 200 रुपए के नोट साढ़े तीन गुना ज्यादा खराब हुए। ज्यादा मूल्य वर्ग के नोटों को लोगों ने सैनिटाइज करके काफी दिनों तक रख दिया, जिससे गलने लगे। छोटे मूल्य के नोट प्रतिदिन एक से दूसरे हाथों में पहुंचते रहते हैं, इसलिए हवा से ज्यादा खराब नहीं हुए।