छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: 28 अधिकारियों को EOW कोर्ट से मिली जमानत, ₹1-1 लाख के मुचलके पर रिहा
रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित ₹3,200 करोड़ के शराब घोटाले में आरोपी बनाए गए 28 आबकारी अधिकारियों को आज EOW (आर्थिक अपराध विंग) की विशेष अदालत से जमानत मिल गई। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद सभी अधिकारी अग्रिम जमानत के कागजात लेकर कोर्ट में पेश हुए, जहां ₹1-1 लाख के मुचलके पर उन्हें जमानत दी गई।
-क्या है ₹3,200 करोड़ का शराब घोटाला?
EOW के अनुसार, 2019 से 2023 के बीच छत्तीसगढ़ में ₹3,200 करोड़ का अवैध शराब घोटाला हुआ। इस घोटाले में अधिकारियों और राजनेताओं ने मिलकर नकली होलोग्राम और बी-पार्ट शराब की बिक्री कर सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया। इस मामले में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने जांच शुरू की थी और कई लोगों को गिरफ्तार भी किया था।
-बी-पार्ट शराब घोटाला:
इस घोटाले का मुख्य तरीका 'बी-पार्ट' शराब की बिक्री था। सरकारी शराब की बोतलों में नकली होलोग्राम लगाकर अवैध शराब बेची जाती थी। यह शराब सीधे डिस्टिलरी से निकलकर दुकानों तक पहुँचती थी। बोतल पर लगा होलोग्राम असली लगता था, लेकिन वह नकली होता था। इसके अलावा, सरकारी राजस्व को नुकसान पहुँचाने के लिए अधिकृत दुकानों में कम मात्रा में शराब की बिक्री दिखाई जाती थी, जबकि अतिरिक्त शराब ('बी-पार्ट' हिस्सा) बिना हिसाब के बेची जाती थी। इस तरह से ₹90 करोड़ की अवैध वसूली की गई थी, जिसका आरोप इन अधिकारियों पर लगा है।
-अधिकारियों पर कार्रवाई:
इस मामले में EOW ने 29 अधिकारियों को आरोपी बनाया है, जिनमें से 7 रिटायर हो चुके हैं और बाकी 22 को सरकार ने निलंबित कर दिया है। ये सभी अधिकारी आबकारी विभाग से जुड़े थे।
जेल में बंद प्रमुख आरोपी:
इस मामले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, पूर्व आईएएस अधिकारी विवेक ढेबर, पूर्व ओएसडी अरुणपति त्रिपाठी और व्यवसायी बलदेव सिंह जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं, जो अभी जेल में हैं। इसके अलावा, कांग्रेस के नेता चैतन्य बघेल और रिटायर्ड अधिकारी टूटेजा भी इस मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं।
सुप्रीम कोर्ट से अग्रिम जमानत:
इन अधिकारियों की अग्रिम जमानत याचिका पहले हाईकोर्ट से खारिज हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सभी 28 अधिकारियों को कुछ शर्तों के साथ अग्रिम जमानत दे दी थी। आज कोर्ट में पेश होने के बाद, उन्हें जमानत मिल गई। यह घोटाला छत्तीसगढ़ में राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर बड़े भ्रष्टाचार का प्रतीक बन गया है।
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