किसानों की जमीन को औने-पौने दाम में खरीदने की कोशिशों पर लगाम । पुरानी गाइडलाइन की वजह से कई जगह भूमाफिया किसानों से कम दाम में भूमि खरीदकर महंगे दामों पर बेच रहे थे। अब सरकारी दरें वास्तविक मूल्य के करीब आने से किसान अपनी जमीन की उचित कीमत पा सकेंगे और शोषण से बचेंगे
। ज्वाला एक्सप्रेस न्यूज।
रायपुर।दुर्ग. कलेक्टर गाइडलाइन में संशोधन को लेकर जारी विरोध के बीच शासन की ओर से यह साफ किया गया है कि नई दरें सामान्य खरीदारों और किसानों के हितों को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से लागू की गई हैं। अधिकारियों के अनुसार, गाइडलाइन में किए गए समायोजन से न केवल भूमि बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि वर्षों से चल रही अवैध प्लाटिंग और भूमाफिया की गतिविधियों पर भी कड़ा अंकुश लगेगा।
प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि संशोधित दरें किसी भी रूप में तत्काल प्रभाव से बोझ बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि जमीन की वास्तविक स्थिति, उपयोगिता और बाजार मूल्य को ध्यान में रखकर तय की गई हैं। कई क्षेत्रों में लंबे समय से जमीन की कीमतें बढ़ चुकी थीं, लेकिन सरकारी गाइडलाइन पुराने स्तर पर ही चल रही थी, जिसका फायदा सिर्फ कुछ प्लाटिंग कारोबारी उठा रहे थे।
नई गाइडलाइन से आम खरीदारों को ये राहतें –
1. अवैध प्लाटिंग पर रोक, सुरक्षित प्लॉट खरीद सकेंगे आम नागरिक
लंबे समय से शहर से लगे गांवों में बिना अनुमति कृषि भूमि की प्लाटिंग कर लोगों को बेचने का चलन बढ़ गया था। नई दरों के साथ सख्त नियमन लागू होने से अवैध कॉलोनाइज़र अब मनमानी नहीं कर सकेंगे। खरीदारों को कानूनी रूप से सुरक्षित प्लॉट मिलेंगे।
2. किसानों की जमीन को औने-पौने दाम में खरीदने की कोशिशों पर लगाम
पुरानी गाइडलाइन की वजह से कई जगह भूमाफिया किसानों से कम दाम में भूमि खरीदकर महंगे दामों पर बेच रहे थे। अब सरकारी दरें वास्तविक मूल्य के करीब आने से किसान अपनी जमीन की उचित कीमत पा सकेंगे और शोषण से बचेंगे।
3. पारदर्शिता बढ़ेगी, विवादों में कमी आएगी
प्रशासन का दावा है कि वास्तविक मूल्य आधारित दरें लागू होने से भविष्य में रजिस्ट्री और मूल्यांकन से जुड़े विवादों में कमी आएगी। खरीदार और विक्रेता दोनों के लिए दरों की स्पष्टता बढ़ेगी।
4. संचित भूमि की सुरक्षा – गलत उद्देश्य से खरीद-फरोख्त पर रोक
नई गाइडलाइन संचित भूमि (Reserved Land) की सुरक्षा भी सुनिश्चित करती है। ऐसी भूमि को प्लाटिंग करने या गलत श्रेणी में परिवर्तित करने की प्रवृत्ति पर अब सख्त रोक लगेगी।
5. टैक्स और मूल्यांकन संबंधी समस्याएं कम होंगी
भूमि की वास्तविक कीमत और सरकारी दरों में बड़ा अंतर रहने से इनकम टैक्स तथा स्टांप वैल्यूएशन में खरीदारों-बेचने वालों को परेशानी होती थी। अब यह अंतर कम होने से दस्तावेजी प्रक्रिया सरल होगी।
सरकार का पक्ष – “भूमि बाजार में अनुशासन जरूरी”
अधिकारियों के अनुसार, नई गाइडलाइन का उद्देश्य केवल राजस्व बढ़ाना नहीं, बल्कि भूमि बाजार को व्यवस्थित करना है। कई क्षेत्रों में वर्षों से सर्वे नहीं हुआ था, वहीं जमीन के उपयोग में बड़े बदलाव आए थे। ऐसे में अद्यतन दरें जरूरी हो गई थीं।
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार,
“जब गाइडलाइन पुरानी रहती है तो फायदा सिर्फ बिचौलियों को मिलता है। संशोधित दरों से जमीन का सही मूल्य तय होगा, खरीदार सुरक्षित रहेंगे और किसानों को भी न्याय मिलेगा।”
विरोध के बावजूद जनता के हित सर्वोपरि
हालांकि कुछ कारोबारी दरों को लेकर असंतोष जता रहे हैं, परंतु प्रशासन का पक्ष है कि नई गाइडलाइन से दीर्घकाल में आम लोगों, किसानों और शहरी विकास—तीनों को लाभ होगा। अवैध कॉलोनी निर्माण, गलत वर्गीकरण और भूमाफिया की गतिविधियों पर नियंत्रण के लिए यह कदम आवश्यक था।
नई दरें लागू होने के बाद अब भूमि बाजार में पारदर्शिता और अनुशासन बढ़ने की उम्मीद है।
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