राजनीति शुरू हो गई है , क्या सुधरेगी ऐसे में देश की व्यवस्था ?
*केंद्र सरकार के अब तक के दावे , आम लोगो के लिए सिर्फ छलावा , लोगो को चाहिए काम – पैसा और खाना ?*
देवेन्द्र कुमार बघेल की कलम से
दुर्ग। मजदूरों की सड़क हादसों में हो रही लगातार मौतों और देश की चौपट हो चुकी आर्थिक व्यवस्था के साथ ही कोरोना से बढ़ती बर्बादी तथा देश भर में व्याप्त हो चुकी अव्यवस्था , लोगो के बीच महामारी का भय , इन सबको देखकर , देश की सारी विपक्षी पार्टियां , केंद्र सरकार की व्यवस्था और नीतियों से नाराज़ हो गई है और अब सीधे तौर पर , सरकार के उपर सवाल खड़े किए जा रहे है कि , सरकार महामारी से निपटने और आर्थिक व्यवस्था को सुधार पाने व इससे लडने में नाकाम साबित हो चुकी है ? क्योंकि , महामारी को काबू में करने के कोई ठोस उपाय , सरकार के पास नजर नहीं अा रहे है , लॉक डाउन को लगातार बढ़ाया ही जा रहा हैं , जो देश की आर्थिक नीतियों और व्यवस्था के लिए ठीक नहीं है , इससे कोरो बार को पुनः जीवित करने और मजदूरों को वापस लाकर , उन्हें रोजगार देने में वर्षो लग जाएंगे ? अचानक सब कुछ , पूर्व की तरह चालू नहीं हो पाएगी ? और इसी को लेकर देश के भीतर राजनीति का संग्राम शुरू हो चुका है ?
*किसानों के लिए मददगार साबित होंगे सरकारी बैंक ?*
कोरोना संकट के बीच केंद्र सरकार ने सरकारी बैंकों से कहा था कि रिटेल, किसानों, छोटे कारोबारियों और कॉरपोरेट सेक्टर को लोन देने में तेजी लाए, ताकि वो फिर से अपना काम-काज शुरू कर पाएं. अब वित्त मंत्रालय ने एक आंकड़ा पेश किया है । वित्त मंत्रालय ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) ने एक मार्च से आठ मई के बीच छोटे कारोबारियों, रिटेल, कृषि और कॉरपोरेट सेक्टर के 5.95 लाख करोड़ रुपये के लोन को मंजूरी दी । वित्त मंत्रालय निर्मला सीतारमण के कार्यालय की ओर से किए गए ट्वीट में कहा गया है कि इस अवधि में नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों को 1.18 लाख करोड़ रुपये के लोन दिए गए हैं. वित्त मंत्रालय ने इससे पहले कहा था कि लॉकडाउन के दौरान मंजूर किए गए लोन की राशि यह दिखलाती है कि देश की अर्थव्यवस्था रिकवरी के लिए तैयार है । सीतारमण के कार्यालय की ओर से जानकारी दी गई है कि 20 मार्च से 8 मई के बीच सरकारी बैंकों ने इमरजेंसी क्रेडिट लाइन के पात्र 97 फीसद लेनदारों को संपर्क किया । गौरतलब है कि 12 मई दिन मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की सरकारी बैंकों के सीईओ के साथ होने वाली समीक्षा बैठक टाल दी गई. लेकिन उम्मीद जा रही है कि जल्द ही नई तारीख बताई जाएगी. बैठक में वित्त मंत्री तमाम राहत योजनाओं के बार में करने वाली हैं । दरअसल कोरोना संकट की वजह से प्रभावित अर्थव्यवस्था को कैसे उबारा जाए बैठक में इस पर चर्चा होने वाली थी. बैठक में कर्ज लेने वालों तक ब्याज दर में कमी का फायदा पहुंचाने और कर्ज की किस्तों के भुगतान के लिए बैंकों की ओर से मोहलत देने की योजना पर भी समीक्षा होने वाली थी ।
*मोदी का आर्थिक पैकेज लोगो की समझ से बाहर ?*
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से कोरोना संकट के बीच 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा के बाद बिहार की सियासत गरम हो गई। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने जहां इस पैकेज के बहाने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्र सरकार पर निशाना साधा है, वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसका स्वागत किया है। इधर, कांग्रेस ने भी इस पैकेज को लेकर भ्रम पैदा करने वाला बताया। प्रधानमंत्री के पैकेज की घोषणा के बाद बिहार विधान सभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने नरेंद्र मोदी के पुराने वादों को लेकर नीतीश कुमार पर निशाना साधा। तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर नीतीश कुमार से स्पेशल पैकेज का स्टेटस रिपोर्ट मांगा है। राजद नेता ने तेजस्वी ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘2015 में नाटकीय ढंग से बिहार के विकास के लिए 1 लाख 65 हजार करोड़ का एक भारी भरकम पैकेज घोषित किया गया था। 5 साल बाद हम नीतीश कुमार जी से आग्रह करते हैं कि उस बहुप्रतीक्षित पैकेज की केंद्र से प्राप्त और खर्च धनराशि पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें या उस पर एक बयान जारी करें।’ इधर, भाजपा के नेता और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घोषित पैकेज का स्वागत किया। मंगल पांडेय ने कहा, ‘आत्मनिर्भर भारत के निमार्ण के लिए 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा प्रधानमंत्री द्वारा किया गया। मैं इस आर्थिक पैकेज का स्वागत करता हूं और इस जनहितार्थ महान निर्णय के लिए प्रधानमंत्री को कोटि कोटि धन्यवाद देता हूं।’ इधर, कांग्रेस ने प्रधानमंत्री के पैकेज को भ्रम पैदा करने वाला बताया। युवा कांग्रेस के बिहार ईकाई के पूर्व अध्यक्ष ललन कुमार ने कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्ष के महत्वपूर्ण सुझाव के बाद प्रधानमंत्री का पैकेज घोषणा करना बेहतर कदम है, फिर भी प्रधानमंत्री का अपारदर्शी घोषणा बहुत बड़ा भ्रम पैदा करता है । उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को समय सीमा भी बताना चाहिए था कि ये 20 लाख करोड़ का पैकेज कितने वर्षों तक बंटेगा और कितने पूर्व से और कितने विभागों के पूर्व में खर्च हो चुके बजट को इसमें जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के इस आपदाकाल में भी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 130 करोड़ जनता के मन मस्तिष्क के साथ खेलने का काम कर रहे हैं। इस भीषण आपातकालीन परिस्थिति में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबों-मजदूरों तथा कोरोना के आपदा के शिकार कमजोर वर्ग के लोगों के लिए कुछ भी स्पष्ट तौर पर नहीं कहा। बता दें कि मंगलवार की रात देश के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की थी।
*राहुल गांधी ने कहा कि , किसानों और मजदूरों को कर्ज नहीं , कैश दो ?*
कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने लोकल मीडिया से बात की। इसकी स्ट्रीमिंग उनके यूट्यूब चैनल पर की गई। उन्होंने कोरोना वायरस लॉकडाउन के बीच, सरकार द्वारा जारी 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि इस वक्त लोगों के हाथ में पैसा होना चाहिए। राहुल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि वे अस्थायी तौर पर ही सही, NYAY योजना को लागू करें। उन्होंने कहा कि डायरेक्ट लोगों के खाते में पैसा भेजना चाहिए। उन्होंने कहा कि डायरेक्ट कैश ट्रांसफर, मनरेगा के कार्य दिवस 200 दिन, किसानों को पैसा आदि के बारे में मोदी जी विचार करें, क्योंकि ये सब हिंदुस्तान का भविष्य है। राहुल गांधी ने कहा कि “जब बच्चों को चोट पहुंचती है, तो मां उनको कर्जा नहीं देती, बल्कि राहत के लिए तुरंत मदद देती है। कर्ज का पैकेज नहीं होना चाहिए था, बल्कि किसान, मजदूरों की जेब में तुरंत पैसे दिए जाने की आवश्यकता है।” राहुल ने कहा कि डिमांड को स्टार्ट करने के लिए अगर हमने पैसा नहीं दिया तो बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि ‘प्यार से बोल रहा हूं, इस पैकेज को सरकार रिकंसीडर करे।’ कांग्रेस नेता ने कहा कि इस वक्त सबसे बड़ी जरूरत डिमांड-सप्लाई को शुरू करने की है। उन्होंने कहा कि “आपको गाड़ी चलाने के लिए तेल की जरूरत होती है। जबतक आप कार्बोरेटर में तेल नहीं डालेंगे, गाड़ी स्टार्ट नहीं होगी। मुझे डर है कि जब इंजन शुरू होगा तो तेल ना होने की वजह से गाड़ी चलेगी ही नहीं।” उन्होंने केरल में कोरोना वायरस पर कंट्रोल की तारीफ की और कहा कि वह एक मॉडल स्टेट है और बाकी राज्य उससे सबक ले सकते हैं।
*मजदूरों को घर तक पहुंचने की जवाबदारी बीजेपी की बनती है ?*
राहुल गांधी ने कहा कि यह उंगली उठाने का वक्त नहीं है। आज हिन्दुस्तान के सामने बड़ा प्रॉब्लम है और हमें उसे दूर करना है। उन्होंने कहा कि “ये लोग जो सड़कों पर चल रहे हैं, इनकी मदद हम सबको करनी है। बीजेपी सरकार में है और उनके हाथ में सबसे ज्यादा औजार हैं तो उनकी ये जिम्मेदारी बनती है। हम सब मिलकर इससे लड़ेंगे। हम राज्यों में कोऑर्डिनेशन को दूर करना होगा।” वायनाड से कांग्रेस सांसद ने कहा कि कांग्रेस शासित राज्यों में मजदूरों को पूरा सपोर्ट देने की कोशिश है। हम डायरेक्ट पैसा दे रहे हैं। मनरेगा के तहत रोजगार को डबल करने की कोशिश कर रहे हैं।
*मीडिया की तारीफ करते हुए कहा कि , मीडिया सच्चाई को अच्छी तरह से उजागर कर रही है ?*
राहुल ने मीडिया की तारीफ करते हुए कहा कि अगर उसने प्रवासी मजदूरों के संकट को ना दिखाया होता तो हम सरकार पर दबाव नहीं बना पाते। उन्होंने 12 फरवरी को ट्वीट कर सरकार को कोरोना के खतरे प्रति आगाह किया था। क्या सरकार से चूक हुई? इस सवाल पर राहुल ने कहा कि ‘अब इसका कोई मतलब नहीं हैं। मैं आपसे इसलिए बात कर रहा हूं ताकि सरकार पर दबाव डाल सकूं। बहुत जबर्दस्त आर्थिक डैमेज होने वाला है।’ उन्होंने कहा कि सरकार के लोग विपक्ष की बात अच्छी तरह से सुनेंगे तो हमारी बात मान लेंगे।
*आर्थिक पैकेज के बजाए मजदूरों की , तत्काल मदद करे सरकार ?*
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार से आग्रह किया कि वह आर्थिक पैकेज पर पुनर्विचार करें और लोगों के खाताों में सीधे पैसे डालें क्योंकि इस वक्त उन्हें कर्ज की नहीं, बल्कि सीधी आर्थिक मदद की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को लॉकडाउन को समझदारी एवं सावधानी के साथ खोलने की जरूरत है और बुजुर्गों एवं गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। राहुल गांधी ने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा कि जो पैकेज होना चाहिए था वो कर्ज का पैकेज नहीं होना चाहिए था। इसको लेकर मेरी निराशा है। आज किसानों, मजदूरों और गरीबों के खाते में सीधे पैसे डालने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आप कर्ज दीजिए, लेकिन भारत माता को अपने बच्चों के साथ साहूकार का काम नहीं करना चाहिए, सीधे उनकी जेब में पैसे देना चाहिए। इस वक्त गरीबों, किसानों और मजदूरों को कर्ज की जरूरत नहीं, पैसे की जरूरत है। कांग्रेस नेता ने कहा कि मैं विनती करता हूं कि नरेंद्र मोदी जी को पैकेज पर पुनर्विचार करना चाहिए। किसानों और मजदूरों को सीधे पैसे देने के बारे में सोचिए। उन्होंने कहा कि मैंने सुना है कि पैसे नहीं देने का कारण रेटिंग है। कहा जा रहा है कि वित्तीय घाटा बढ़ जाएगा तो बाहर की एजेंसियां हमारे देश की रेटिंग कम कर देंगी। हमारी रेटिंग मजदूर, किसान, छोटे कारोबारी बनाते हैं। इसलिए रेटिंग के बारे में मत सोचिए, उन्हें पैसा दीजिए। राहुल गांधी के मुताबिक लॉकडाउन खोलते समय समझदारी और सावधानी की जरूरत है। हमें इसे ध्यान से हटाना है। हमारे बुजुर्गों, हृदय, फेफड़े और किडनी के रोग से ग्रसित लोगों की रक्षा करनी चाहिए।
*देखना होगा हमें क्या मिलता है – भूपेश बघेल*
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा की। पीएम नरेन्द्र मोदी ने 12 मई दिन मंगलवार रात आठ बजे देश को संबोधित करते हुए कहा कि 20 लाख करोड़ रुपए का ये पैकेज 2020 में आत्मनिर्भर भारत अभियान को एक नई गति देगा। इस संबोधन के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की है। उस पर पूरी प्रतिक्रिया तभी दी जा सकती है जब यह पता चले कि कितना पैसा उद्योगों को, कितना व्यापार को, कितना कृषि क्षेत्र को और कितना श्रमिकों को मिल रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि कोरोना संकट से तो अब तक राज्य सरकारें ही जूझ रही हैं। केंद्र ने तो सिर्फ आदेश जारी किए हैं। इस बीच राज्यों की आर्थिक स्थिति बहुत खऱाब हुई है। ऐसे में यह भी देखना होगा कि इस पैकेज में राज्यों को क्या मिलता है। राज्यों को आर्थिक सहायता मिलनी ही चाहिए।