रायपुर (DNH) :- छत्तीसगढ़ में कृषि में पर्याप्त निवेश और कास्त लागत में राहत देने के उद्देश्य से राज्य शासन द्वारा कृषि आदान सहायता हेतु ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ लागू की जा रही है। योजना के क्रियान्वयन के संबंध में कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा मंत्रालय महानदी भवन से दिशा-निर्देश जारी किया गया है। इस योजना में धान, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, तिल, अरहर, मूंग, उड़द, कुल्थी, रामतिल, कोदो, कोटकी तथा रबी में गन्ना फसल को शामिल किया गया है। अनुदानग्रहिता किसान यदि गत वर्ष धान की फसल लगाया था एवं इस वर्ष धान के स्थान पर योजना में शामिल अन्य फसल लगाता है, तो ऐसी स्थिति में किसानों को प्रति एकड़ अतिरिक्त सहायता अनुदान प्रदान किया जाएगा।
योजना के प्रभावी क्रियान्वयन, निगरानी एवं अर्न्तविभागीय समन्वय के लिए राज्य एवं जिला स्तरीय समिति गठित की गई है। राज्य स्तरीय समिति में मुख्य सचिव अध्यक्ष होंगे। सदस्यों में कृषि उत्पादन आयुक्त एवं प्रमुख सचिव, सचिव वित्त विभाग, खाद्य विभाग, सहकारिता विभाग, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन, संचालक संस्थागत वित्त, राज्य सूचना अधिकारी (एनआईसी) और समिति के सदस्य सचिव संचालक कृषि होंगे। कृषि उत्पादन आयुक्त आवश्यकतानुसार अन्य विभागों के अधिकारियों को भी विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल कर सकेंगे। राज्य स्तरीय समिति के दायित्वों में योजना क्रियान्वयन की सफल रणनीति तैयार कर समय-समय पर निर्देश जारी करना, किसानों के पंजीयन के पूर्व भू-अभिलेखों का शुद्धिकरण, अपडेशन एवं आधार से लिंक कराने की कार्यवाही की समीक्षा करना। हितग्राहियों की पंजीयन के लिए पोर्टल तैयार कराना और योजना क्रियान्वयन की समय-समय पर समीक्षा करना एवं क्रियान्वयन में आने वाली बाधाओं को दूर करना शामिल है।
जिला स्तर पर योजना के सफल क्रियान्वयन एवं बाधाओं एवं शिकायतों के निराकरण के लिए जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय निगरानी समिति गठित की गई है। समिति में प्रभारी अधिकारी भू-अभिलेख शाखा, उप पंजीयक शाखा, जिला खाद्य अधिकारी, खाद्य नियंत्रक, लीड बैंक अधिकारी, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, नोडल अधिकारी, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक, जिला सूचना अधिकारी, सदस्य एवं उप संचालक कृषि सदस्य सचिव बनाए गए हैं। जिला समिति के कार्यों में योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार करना एवं ग्राम सभाओं का आयोजन कराना, किसानों के पंजीयन के पूर्व भू-अभिलेखों का शुद्धिकरण, अपडेशन एवं आधार से लिंक कराने की कार्यवाही, कृषकों के पंजीयन के लिए अन्य विभागों की सेवाओं का उपयोग, हितग्राहियों की जानकारी एकत्र कराकर पोर्टल में प्रविष्ट कराना, योजना क्रियान्वयन की समीक्षा एवं निगरानी करना। क्रियान्वयन में आने वाली बाधाओं को दूर करना तथा किसानों से प्राप्त शिकायतों का निराकरण करना शामिल है।
खरीफ वर्ष 2020 में योजना के संपूर्ण प्रक्रिया के संचालन के लिए विभाग द्वारा एनआईसी के सहयोग से नवीन पोर्टल विकसित किया जाएगा। धान उपार्जन पोर्टल, भुईंया पोर्टल एवं पीएम किसान पोर्टल में संरक्षित किए गए आंकड़ों को संबंधित विभाग की सहमति से इस प्रयोजन हेतु उपयोग किया जाएगा। खरीफ 2020 में किसानों को एक जून से 30 सितम्बर के मध्य योजना क्रियान्वयन के लिए विकसित नवीन पोर्टल में पंजीयन कराना अनिवार्य होगा।
राज्य सरकार इस योजना के जरिए किसानों को खेती किसानी के लिए प्रोत्साहित करने के लिए खरीफ 2019 से धान तथा मक्का लगाने वाले किसानों को सहकारी समिति के माध्यम से उपार्जित मात्रा के आधार पर अधिकतम 10 हजार रूपए प्रति एकड़ की दर से अनुपातिक रूप से आदान सहायता राशि दी जाएगी। इसी तरह गन्ना फसल के लिए पेराई वर्ष 2019-20 में सहकारी कारखाना द्वारा क्रय किए गए गन्ना की मात्रा के आधार पर एफआरपी राशि 261 रूपए प्रति क्विंटल और प्रोत्साहन एवं आदान सहायता राशि 93.75 रूपए प्रति क्विंटल अर्थात अधिकतम 355 रूपए प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया जाएगा।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। राज्य का अधिकांश क्षेत्र वर्षा आधारित होने से मौसम की प्रतिकूलता एवं कृषि आदान लागत में वृद्धि के कारण कृषि आय में अनिश्चितता तथा ऋणग्रस्तता बनी रहती है। फलस्वरूप किसान फसल उत्पादन के लिए आवश्यक आदान जैसे-उन्नत बीज, उर्वरक, कीटनाशक, यांत्रिकीकरण एवं नवीन कृषि तकनीक में पर्याप्त निवेश नहीं कर पाते हैं। किसानों की इन समस्याओं की निराकरण के लिए राज्य सरकार द्वारा राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरू की जा रही है।