रायपुर (DNH):- निर्भया कांड का जब-जब जिक्र होगा तब-तब लोग उस नाबालिग दुष्कर्मी को याद करेंगे जिसने उस बिटिया के साथ सबसे ज्यादा दरिंदगी की थी। आज वह लगभग 24 साल का हो गया है। गांव वालों को भी नहीं पता नहीं कि सजा काटने के बाद वह अब कहां है। गांव के लोग उस कांड को आज तक नहीं भूले हैं।
ये अलग बात है कि वक्त की धूल उनके गुस्से पर जम गई है। गांव के लोगों में जो आक्रोश था। वह अब शांत हो चुका है। उनका कहना है कि उसने जो किया वह गलत था, लेकिन अब वह यहां आए या न आए गांव के किसी भी व्यक्ति को इससे फर्क नहीं पड़ता।
मां बोली- सालों से नहीं देखा
निर्भया के साथ दरिंदगी करने वाले नाबालिग की मां रविवार को घर के बाहर शॉल ओढ़कर चारपाई पर लेटी थी। पूछने पर उन्होंने कहा कि पता नहीं बेटा कहां है। जब से गया है, तब से आज तक बात नहीं हुई और न ही उसका चेहरा देखा है। बताया कि लगभग आठ साल का रहा होगा जब गांव के ही कुछ लोग दिल्ली में नौकरी कराने के लिए ले गए थे। तीन चार महीने तक उसने घर पर पैसा भी भेजा, लेकिन उसके बाद पैसा भेजना भी बंद कर दिया। उसके बाद उसका कुछ पता नहीं चला। जब पुलिस घर आई तो पता चला कि उसने ऐसा किया है। हालांकि कुछ गांव वालों के मुताबिक उन्होंने पिछली ईद पर उसे घर में देखा था।
किसी को नहीं पता, अब कहां है
निर्भया कांड के नाबालिग दरिंदे के घर की आर्थिक हालत बेहद खराब है। पिता मानसिक रूप से मंदित हैं। घर में मां के अलावा दो छोटी बहनें और तीन भाई हैं। भाइयों की उम्र 15, 13 व 11 साल है। उसे कुछ सालों तक बाल सुधार गृह में रखने के बाद दिसंबर-16 में रिहा कर दिया गया था। बताया जाता है कि वहां से उसे किसी एनजीओ को दे दिया गया। अब गांव में किसी को नहीं पता, कि वह कहां है।
पूर्व प्रधानाध्यापक बोले- उसे तो होनी चाहिए थी फांसी
जिस स्कूल में दुष्कर्मी पढ़ा था, उसका दाखिला करने वाले प्रधानाध्यापक तो अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन 2012 में हुए इस कांड के समय यतेंद्र मोहन शर्मा प्रधानाध्यापक थे। वह साफ कहते हैं कि उसे तो फांसी की सजा होनी चाहिए थी। वह दो बार दिल्ली जुवेनाइल जस्टिस कोर्ट में बयान देने एसआर रजिस्टर लेकर गए थे। पुलिस ने बसंत विहार थाने में उसके बारे में बताया था तो उनका खून खौल उठा था।