दंतेवाड़ा (DNH):- हैलो… मैं हेल्थ कॉल सेंटर से बोल रही हूं। आपके प्रसव का वक्त नजदीक आ गया है। सुरक्षित प्रसव जरूरी है, आपको लेने एम्बुलेंस आ रही है। प्रसव कहां कराना चाहेंगी? ऐसे ही कॉल अब दंतेवाड़ा की उन गर्भवती महिलाओं के पास आनी शुरू होगी, जिनके प्रसव का समय 5-7 दिन बचा होगा। इसका मकसद नक्सल प्रभावित इलाकों में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के साथ ही मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करना है। इसके लिए प्रशासन और जावंगा के बीपीओ कॉल सेंटर से एमओयू किया गया है । दरअसल, दंतेवाड़ा के ग्रामीण क्षेत्रों की अधिकांश महिलाएं ऐसी हैं, जिन्हें प्रसव के सही समय की जानकारी नहीं होती। जब पीड़ा बढ़ती है तो एंबुलेंस को कॉल करना पड़ता है। ऐसे में एंबुलेंस पहुंच नहीं पाती या दुर्गम इलाके में लोग खाट पर ही प्रसूता को अस्पताल के लिए लेकर निकलते हैं। इसके चलते कई बार घर में या रास्ते में प्रसव हो जाता है। कई बार मां और बच्चे दोनों को खतरा होता या मौत हो जाती है। इस समस्या को दूर करने के लिए यह कदम उठाया गया है। सीएमएचओ डॉ. एसपीएस शांडिल्य ने बताया 3-4 दिन में यह सुविधा शुरू हो जाएगी।
ऐसे होगा काम: गांव के मोहल्ले तक की टीम जुड़ेगी ।
जावंगा के बीपीओ कॉल सेंटर से ही हेल्थ कॉल सेंटर चलाया जाएगा। इस काम से जिला स्तर से लेकर गांव के मोहल्ले तक के कर्मचारी जुटकर काम करेंगे। खास बात यह है कि यहां उन स्थानीय युवाओं को हायर किया गया है, जिन्हें हल्बी और गोंडी बोलियों का भी अच्छा ज्ञान है। अभी ट्रॉयल चल रहा है। युवाओं को कॉल सेंटर से इसी तरह बात करने की ट्रेनिंग दी गई है। सेंटर में काम करने वाले युवाओं को गर्भवती महिलाओं व परिजन, एएनएम, पटवारी, सचिव, जिले के सभी अस्पतालों और संजीवनी 108 व 102 एम्बुलेंस कर्मचारी के फोन नंबर की सूची दी जाएगी। जिला प्रशासन की पहल पर शुरू की गई इस सुविधा का मकसद सिर्फ गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने तक ही सीमित नहीं है। बल्कि हेल्थ कॉल सेंटर में काम करने वाला कर्मचारी महिला की स्थिति का अपडेट घर पहुंचने के बाद भी रखेंगे। अगर यह पहल एक साल तक सफल रहा तो इसे आगे बढ़ाया जाएगा और बच्चों के टीकाकरण जैसी अन्य बातें भी इसमें जोड़ी जाएंगी। दंतेवाड़ा के ज्यादातर इलाकों में नेटवर्क की समस्या है, ऐसे में वहां स्थानीय स्वाथ्स्य कर्मचारी से ही संपर्क करेंगे। इससे पहले जिला प्रशासन की ओर से गर्भवती महिलाओं को सुविधा देने के लिए प्री बर्थ वेटिंग रूम की भी व्यवस्था की गई थी। इसके लिए कई अस्पतालों से बात कर तैयारी हो गई थी। इसके तहत वेटिंग रूम में 5 बेड होते। जहां प्रसव से कुछ दिन पहले ही गर्भवती महिलाओं को बुलाकर रखा जाता, जिससे उन्हें कोई दिक्कत न हो। वहां पौष्टिक भोजन दिया जाता। यह व्यवस्था खासरूप से नक्सल प्रभावित क्षेत्र बारसूर, पालनार, बड़ेगुदरा, कटेकल्याण और तुमानार में की गई थी। हालांकि इसके शुरू होने से पहले ही लॉकडाउन हो गया।