अंबिकापुर। सरगुजा जिले के उदयपुर वन परिक्षेत्र के ग्राम डूमरडीह में बीस फीट गहरे कुएं में गिरे भालू को वन विभाग की टीम ने ग्रामीणों के सहयोग से सुरक्षित बाहर निकाल लिया। इसके लिए मौके पर ही दो बांस के सहारे सीढ़ी बनाकर कुएं में रखा गया। इसी सीढ़ी पर चढ़कर भालू बाहर निकला और तेजी से दौड़ते हुए जंगल की ओर भाग गया। उदयपुर वन परिक्षेत्र का बड़ा जंगल, भालुओं का प्राकृतिक रहवास है। इन दिनों भालू लगातार आबादी क्षेत्र में भी पहुंच रहे हैं। गुरुवार की सुबह डूमरडीह निवासी विष्णु सिंह के कुएं से आवाज आने पर लोगों ने झांक कर देखा। वहां एक भालू गिरा हुआ था। यह खबर क्षेत्र में फैल गई और भीड़ जमा हो गई। भालू कुएं से बाहर निकलने संघर्ष कर रहा था, परंतु बार-बार फिसल कर गिर जा रहा था।
रोजगार सहायक गोविंद सिंह ने वन रक्षक शशिकांत सिंह को भालू के कुएं में गिरने की सूचना मोबाइल से दी। वन अमला प्रशिक्षु रेंजर ललित साय पैकरा के नेतृत्व में मौके ग्राम डूमरडीह पहुंचे। सैकड़ों की संख्या में लोग कुएं में गिरे हुए भालू को देखने पहुंचे हुए थे। पहले दो बांस डालकर उसे निकालने का प्रयास किया परंतु भालू बाहर नहीं निकल सका। सुबह लगभग आठ बजे मौके पर ही मजबूत सीढ़ी बनाकर 20 फीट गहरे कुएं में डाला गया। लोगों की भीड़ को काफी मशक्कत से कुएं के पास से हटाया गया। फिर भालू कुएं से बाहर निकला और जरहाडीह जंगल की ओर चला गया। भालू को रेस्क्यू करने के दौरान प्रशिक्षु रेंजर ललित साय पैकरा, वनपाल श्याम बिहारी सोनी, रामविलास सिंह ,वनरक्षक गिरीश बहादुर सिंह, शशिकांत सिंह ,धनेश्वर पैकरा ,अमरनाथ अवधेश पुरी, नंदकुमार सरपंच नवल सिंह तथा अन्य लोग सक्रिय रहे।
जिस ग्रामीण पर किया था हमला वह भी पहुंचा
कुएं में गिरे भालू को देखने गांव वाले आसपास के छतों में भी चढ़े हुए थे। सुबह से डूमरडीह में भय मिश्रित कौतूहल का माहौल बना हुआ था। भालू को देखने पहुंचने वालों में मसत राम नामक वह ग्रामीण भी था जिसे कुछ दिन पहले भालू ने हमला कर गंभीर रूप से जख्मी कर दिया था। मसत राम का कहना था कि दूसरे ग्रामीण उसके चंगुल में न फंसे इससे बचाव और उस भालू को अच्छे से देखना चाह रहा था जिसने उसपर हमला किया था।