अम्बिकापुर (Ambikapur) में एक ओर कृषि विभाग यह दावा कर रहा है कि सहकारी समितियों के आलावा निजी वितरकों के पास भी यूरिया सहित अन्य खादों का पर्याप्त भंडारण है, जिससे कहीं भी किल्लत की स्थिति नहीं है. वहीं छोटे किसानों का आरोप है कि अम्बिकापुर शहर के अधिकांश निजी वितरक कालाबाजारी कर रहे हैं. जब वो खाज खरीदने पहुंचते हैं, तब उन्हें बताया जाता है कि अभी खाद ही नहीं आई है. कभी-कभार खाद होने की जानकारी मिलती है, तो आधे से एक घंटे के वितरण में ही स्टॉक खत्म हो जाता है.
इसके चलते कई किसानों को घंटो इंतजार करने के बाद भी खाली हाथ वापस लौटना पड़ रहा है. किसानों ने बताया कि अम्बिकापुर शहर के खरसिया चौक के समीप रिंग रोड स्थित निजी वितरक के गोदाम से यूरिया खाद मिलने की जानकारी पर किसानों की भीड़ उमड़ी थी. भीड़ की वजह से किसानों ने कतार लगाई थी, मगर एक घंटे में ही खाद खत्म हो गई. इससे अधिकांश किसानों को खाली हाथ मायूस होकर वापस लौटना पड़ा.
किसानों ने लगाया ये आरोप
किसानों ने आरोप लगाया है कि आवश्यकता दो से तीन बोरी यूरिया की रहती है, लेकिन उन्हें मात्र एक या दो बोरी ही थमाई जा रही है. उनका कहना है कि आवश्यकता के अनुरूप खाद नहीं मिल पाने से उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. खरसिया मार्ग में दरिमा मोड़ के समीप स्थित निजी दुकानों में भी खाद की किल्लत बता किसानों को लौटाया जा रहा है. अम्बिकापुर शहर से लगे ग्राम कंठी निवासी मानकुंवर ने बताया कि खरसिया मार्ग के पास रिंगरोड में स्थित एक निजी दुकान में वह यूरिया लेने गई थी.
यहां 266.50 रूपये की एक बोरी खाद के लिए 92 रूपये की दवा का एक पैकेट खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है. महिला ने आरोप लगाया कि दुकान के कमर्चारियों के द्वारा बगैर दवा खरीदे खाद नहीं मिलने की जानकारी दी जा रही थी, जिससे उन्हें जरूरत नहीं होने के बाद भी 92 रूपये की दवा खरीदनी पड़ी.
कृषि उपसंचालक ने कहा- खाद की नहीं है किल्लत
इस संबंध में कृषि विभाग के उपसंचालक दिवान ने कहा कि जिले में कहीं भी खाद की कमी की स्थिति नहीं है. पर्याप्त आवंटन मिलने के साथ गोदाम में भी खाद शेष है. सहकारी समितियों में पर्याप्त मात्रा में इसका वितरण किया गया है. उन्होंने कहा कि कंपनी के द्वारा निजी वितरकों को सीधे 40 फीसदी खाद उपलब्ध कराई जाती है, जिससे छोटे किसानों को भी परेशानी नहीं हो रही है.