दुर्ग। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के मात्र दो महीना पहले दुर्ग शहर भारतीय जनता पार्टी ने नगर निगम दुर्ग में उपनेता प्रतिपक्ष के पद पर देवनारायण चंद्राकर को आसीन किया है । दुर्ग नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष अजय वर्मा जिस तरह पहले भाजपा की शहरी राजनीति में मुख्य भूमिका निभाते थे, अब वह नदारत हो गया है।
शहर की राजनीति की रीढ़ माने जाने वाले पार्षद एक तरह से निष्क्रिय हो गए थे, जिन्हें सक्रियता प्रदान करने की मंशा से देवनारायण चंद्राकर को उपनेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया गया। उम्मीद की जा रही है कि देवनारायण चंद्राकर को उपनेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के बाद दुर्ग नगर निगम क्षेत्र के पटरी पार इलाके का वोट भाजपा के पक्ष में ध्रुवीकृत होगा।
पिछले 4 सालों में दुर्ग नगर निगम के अधिकांश भाजपा पार्षद राजनीति में अपनी भूमिका निभाने के बजाय नगर निगम के ठेकेदार बन गए या अन्य समर्थक के नाम पर कार्य कर मुनाफा कमाने में लग गए थे। आने वाले असेंबली चुनाव के ठीक पहले भी उनकी सक्रियता ऐसी नहीं बढ़ी जिससे भाजपा शहर में बेहतर प्रदर्शन दिखा सके। लिहाजा भारतीय जनता पार्टी को और अधिक मुखर व सक्रिय बनाए रखने की दृष्टि से पार्षद देवनारायण चंद्राकर को उप नेता प्रतिपक्ष बनाया गया।
भाजपा का मानना है कि आगामी चुनाव में दुर्ग शहरी सीट पर भाजपा के अच्छे प्रदर्शन के लिहाज से शहर के भाजपा पार्षदों का सक्रिय होना नितांत जरूरी है । भाजपा का स्थानीय संगठन यह देखकर हैरान था कि दुर्ग नगर निगम के पार्षद सदन में शहरी सत्ता पक्ष की नीतियों का तगड़ा मुखालफत करने के बजाय उनके साथ खड़े दिखे।
दरअसल नगर निगम के निर्माण कार्यों में कई कार्य इन्ही पार्षदों के समर्थकों को मिल रहा था लिहाजा वे शहरी सरकार की नीति व योजनाओं का विरोध किस प्लेटफार्म पर करते। उनके तेवर नरम पड़ गए थे। दुर्ग नगर निगम में भाजपा की राजनीति लगातार कमजोर होते गई । आज चुनाव के ठीक पहले संगठन को यह एहसास होने लगा कि बीजेपी पार्षदों की निष्क्रियता से पार्टी को खूब नुकसान पहुंचा है।
अभी से पार्षदों को सक्रिय नहीं किया गया तो भाजपा प्रत्याशी को विधानसभा चुनाव में दुर्ग शहरी सीट पर अच्छा प्रदर्शन की उम्मीद नहीं। बहरहाल देखा गया है कि भाजपा के नेता इस पंचवर्षीय शहरी सरकार में ज्यादा मुखर नहीं रह पाए ।
शहर में सड़क, सफाई, पेयजल जैसे बुनियादी मुद्दों पर हुए सत्ता पक्ष को नहीं घेर पाए जनता के बीच जिस तरह मुखर विरोध दिखाने की जरूरत थी, उसे भाजपा के पार्षद पूरा नहीं कर से। जबकि दुर्ग नगर निगम का क्षेत्र ही विधानसभा सीट का शहरी सीमा है।
दुर्ग निगम की राजनीति में विधायक अरुण वोरा व महापौर धीरज बाकलीवाल का एकतरफा चला हैं। विधायक अरुण वोरा व धीरज बाकलीवाल ने विपक्षियों को भी साध लिया था तथा उन्हें जमीनी विरोध करने से रोके रखा।
आज विरोध केश्वर पीने कुंद पड़ चुके हैं कि जनता के बीच भाजपा पार्षद कांग्रेसनीत शहरी सरकार की कमजोरियों को आम जनता के बीच रखने में मुकम्मल न रहे। आज दुर्ग नगर निगम में राजनीति नीति वे योजना का मतलब विधायक अरुण वोरा व महापौर धीरज बाकलीवाल हो चला हैं इसका मुख्य कारण यही है कि भाजपा पार्षद दल एकजुटता के साथ अपना पक्ष रखने में नाकाम साबित हुए। चुनाव के लिहाज से यह बीजेपी को भारी पड़ सकता है ।
लिहाजा इससे निपटने के लिए देवनारायण चंद्राकर को दुर्ग नगर निगम में उपनेता प्रतिपक्ष बनाया गया है। अब आने वाला समय बताया कि भाजपा पार्षद दल में शक्ति के संतुलन को साधने का नतीजा क्या होगा ? भाजपा इसका कितना लाभ उठा पाएगी , यह भी देखने वाला विषय होगा।