रायपुर। छत्तीसगढ़ में CSR (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) की नई परिभाषा गढ़ी गई है, जिसमें C का अर्थ है सिविल, S का अर्थ है सर्विस करने वालों के लिए और R का अर्थ है रिस्पांसिबिलेटी। यह नई परिभाषा इस बात पर जोर देती है कि कंपनियों को समाज के विकास में योगदान देने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। पीएससी घोटाले में पकड़े गए टामन सोनवानी और स्टील कारोबारी श्रवण गोयल की सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी का बाद यह बात सामने आई है।
टामन सोनवानी की पत्नी को 45 लाख रुपए दिए गए, इसके एवज में कारोबारी गोयल ने अपने बहु और बेटे को डिप्टी कलेक्टर की नौकरी दिलवाई थी।
ज्यादातर देखा गया है कि CSR फंड अधिकारियों के दबाव में किए गए गैरज़रूरी कार्यों और वाहवाही लूटने वाले फंड में बदल गए हैं। एक उदाहरण के रूप में, एक ब्लॉक में एक ही रोड तीन अलग-अलग स्रोतों से बनाई गई – जिला पंचायत, विधायक निधि और CSR फंड। इससे उस रोड के तीन अलग-अलग मालिक हो गए।
यह समस्या छत्तीसगढ़ में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में देखी जा सकती है। CSR फंड का दुरुपयोग करने वाली कंपनियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जरूरत है। इसके लिए सरकार को कड़े नियम बनाने और उनका पालन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
जानकार बताते हैं, CSR के सही उपयोग के लिए आवश्यक कदम उठाना चाहिए।
– नियमों का पालन: कंपनियों को CSR फंड के उपयोग के लिए नियमों का पालन करना चाहिए।
– पारदर्शिता: CSR फंड के उपयोग की जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए।
– समाज की भागीदारी: समाज के लोगों को CSR गतिविधियों में शामिल करना चाहिए।
– सरकारी निगरानी: सरकार को CSR फंड के उपयोग पर निगरानी रखनी चाहिए।