चुनाव की तारीख़ें घोषित होने में अभी देर है लेकिन भाजपा की तरफ़ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक तरह से चुनाव प्रचार का बिगुल फूंक दिया है। सोमवार को पहले मध्यप्रदेश में और बाद में राजस्थान में मोदी गरजे। भोपाल में उन्होंने खुद को हर वादे की गारंटी बताया। कहा- मोदी हर वादे को ज़मीन पर लाने और उसे सही रूप में लागू करवाने की गारंटी है। कांग्रेस ने आज तक न तो कोई वादा पूरा किया है और न ही उसके वादे प्रैक्टिकल होते हैं। वे सब कुछ हवाहवाई है।
उधर राजस्थान के जयपुर में मोदी वहाँ की गहलोत सरकार पर बरसे। कहा- गहलोत सरकार ने पिछले पाँच साल में युवाओं के भविष्य को पीछे धकेल दिया है। दूसरे भी जो काम इस सरकार ने किए हैं, उनके हिसाब से वह ज़ीरो नंबर की हक़दार है।
विपक्ष के दूसरे नेताओं की इन प्रदेशों में अब तक कोई बड़ी सभा नहीं हुई है। मप्र, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में प्रमुख रूप से लड़ाई कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है। ऐसे में मोदी के आरोपों का कांग्रेस के पास जवाब है या नहीं, यह किसी को पता नहीं है। जवाब कौन देगा? देगा भी या नहीं, यह भी अब तक साफ़ नहीं है।
कुल मिलाकर पिछले एक हफ़्ते का चुनावी और राजनीतिक हिसाब किया जाए तो साफ़ दिखाई देता है कि फ़िलहाल भाजपा आगे चल रही है। संसद का विशेष सत्र बुलाने, उसमें महिला आरक्षण विधेयक को निर्विवाद पारित कराने से लेकर मातृशक्ति की दुहाई देकर चुनाव प्रचार में जुट जाने तक, भाजपा ने ही धूम मचा रखी है। कांग्रेस की कोई सभा या रैली दिखाई नहीं दी।
ऐसा नहीं है कि कांग्रेस के पास इन दिनों स्टार प्रचारकों का टोटा है। दरअसल, मामला इच्छा शक्ति का है। प्लानिंग का है। समग्रता में चीजों को सोचने और इंप्लिमेंट करने का है। इस सब में भाजपा को जो महारत हासिल है, वह कांग्रेस तो क्या, पूरे विपक्ष में भी दिखाई नहीं देती। हो सकता है समय विपक्ष को यह भी सिखा दे, लेकिन तब तक भाजपा कितना आगे पहुँच चुकी होगी, यह कहा नहीं जा सकता!
विपक्ष की सबसे बड़ी दिक़्क़त यह है कि उसके पास मोदी की कोई काट नहीं है। आम आदमी से जुड़कर बात करना, उसकी पीड़ा को पहचानना, यह सब गुण एक नेता के पास नहीं होंगे तो उसे आम आदमी अपनेपन से देख- समझ नहीं पाता। मोदी में ये सब खूबियाँ हैं। विपक्षी नेताओं के पास ऐसे गुण हैं या नहीं, यह आने वाले चुनावों के परिणाम साबित कर ही देंगे।