Raipur/₹/ एक चाय बेचने से लेकर संगठन में जमीनी कार्यकर्ता के रूप में संघर्ष करते करते प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले पीएम नरेंद्र मोदी
की बातों से भाजपा में एक जमीनी वर्ग के कार्यकर्ताओ में आगे बढ़ने की उम्मीदें पाले समर्पित व निष्ठावान कार्यकर्ता ही नहीं अब भाजपा को अलग नजरिए देखने वालो मतदाताओं का भी सोच टूटने लगे है कारण की कुछ दिनों बाद छत्तीसगढ़ में होने जा रहे विधान सभा चुनाव में जो बीजेपी की संभावित दूसरी सूची सोशल मीडिया से लेकर अनेक न्यूज चैनलों तक फायनल के रूप में प्रसारित किया जा रहा है
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उससे जहां भाजपा के लिए राज्य की दृष्टि से ही नहीं अपितु आगामी लोकसभा की दृष्टि से भी बेहद अहम इस चुनाव में प्रत्याशी चयन के लिए जो सर्वे से लेकर जमीनी आधार का फार्मूला बताया गया था वह धरा का धरा दिखाई दे रहा है बल्कि पीएम मोदी से लेकर राजनीतिक चाणक्य के रूप स्थापित गृहमंत्री अमित शाह के देखरेख में होने वाले कोई कार्य या बैठक की गतिविधियों का मीडिया तो दूर उसके अपने करीबी नेताओ तक भनक नहीं लगती हो जहां ताजा घटनाक्रम जिस प्रकार प्रदेश विधानसभा के लिए प्रधानमंत्री गृह मंत्री व राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा की उपस्थिति में चंद घंटों पूर्व हुए केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में उम्मीदवारों का नाम फायनल होने की जानकारी हुबहू वायरल होना भाजपा संगठन की गोपनीयता व अनुशासनहीनता की कलई खोल दी है
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इस अनुमानित पक्की सूची से न केवल भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओ में बल्कि आम जन मानस में भी गलत संदेश जा रहा है और लोग इसे पैसे व ऊंची पहुंच के दम पर टिकट वितरण की बाते कह रहे है जिससे भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है। भाजपा के संभावित फायनल सूची को ही यदि आधार मान लिया जाय और जैसे की अब नामो का घोषणा होना बाकी है तो इसके आधार पर गौर करे तो प्रत्याशियों से लेकर तमाम जाति समीकरण जमीनी आधार महिला फैक्टर व आम जनता की बीच उम्मीदवारों की छबि पार्टी के प्रत्याशी चयन कि प्रक्रिया पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है
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प्रदेश की लिहाज से दुर्ग जिला भाजपा व कांग्रेस के लिए बहुत महत्वपूर्ण है यहां मुख्यमंत्री गृहमंत्री से लेकर अनेक बड़े कद के नेता कांग्रेस से है इस दृष्टि से भाजपा को उम्मीदवारी चयन में जन छबि व उनके सक्रियता को पहले प्राथमिकता देना था किंतु घोषित अनुमानित सूची में जहां एक ओर दुर्ग जिले में एक भी महिला को टिकट नहीं दिखा रहा तो वही जाति की दृष्टि से साहू समाज भी गायब है
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इन सबसे परे जिला मुख्यालय के शहरी क्षेत्र दुर्ग शहर विधानसभा जो की इस बार यह सीट में पार्टी के लिए ज्यादा उम्मीद दिखाई दे रही थी यहां गजेंद्र यादव का ही उम्मीदवार के रूप में टिकट फायनल दिखाया जा रहा है और वे अपने आप को अब अधिकृत प्रत्याशी मानकर बाजे फटाखे चलवाकर तैयारी भी प्रारंभ कर दी है तथा अपने कुछ समर्थको को माध्यम से सोशल मीडिया में भी बधाई प्रेषित करवाया जा रहा है इससे शहर के आम कार्यकर्ताओ में यह संदेश जा रहा है कि जमीनी कार्यकर्ताओ को दरकिनार जिस प्रकार से पिता बिसरा राम यादव जो की राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बड़े नेता के रूप में जाने जाते है उनकी पहुंच के सामने जनता के बीच बारह महीने काम करने वाले जमीनी नेताओ में मायूसी व आम जनता में भी गलत संदेश जा रहा है।
दुर्ग विधान सभा 60 वार्डो का शहरी क्षेत्र है जिसमे पूरी तरह नगर निगम सीमा क्षेत्र ही आते है इस सीट का विश्लेषण करने से यहां कांग्रेस से एक तरफ जहां अरुण वोरा 1993 से निरंतर चुनाव लड़ते आ रहे है वर्तमान में वे 2013
से
लगातार चुनाव जीत रहे है तो भाजपा पिछले दो बार से परास्त हो रही है इस लिहाज इस बार यहां एक जमीनी नेता की ही उम्मीदवारी की आशा की जा रही थी यहां से इस बार 40 से अधिक नेताओ कार्यकर्ताओ ने दावेदारी किया है किंतु आम चर्चा रही है की यदि निर्वाचित पार्षदों में से सक्रियता व छबि के आधार पर टिकट वितरण किया जाए तो जीत की संभावना अधिक जताई गई है और इस लिहाज से भाजपा पार्षदों की ओर से नेता प्रतिपक्ष अजय वर्मा उप नेता प्रतिपक्ष देवनारायण चंद्राकर पूर्व सभापति दिनेश देवांगन,देवनारायण तांडी अरुण सिंह नरेश तेजवानी के अलावा संगठन के नेताओ ने भी दावेदारी की है
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जिनमे कयास लगाया जा रहा था की इन्ही में से किसी को टिकट मिलेगा लेकिन जिस प्रकार से मूलतःअहिवारा निवासी गजेंद्र यादव जो की विगत कुछ वर्षों से वर्तमान में विद्युत नगर वार्ड 49 में निवासरत है और वर्ष 2014 में भाजपा से पार्षद प्रत्याशी के रूप में निर्दलीय भास्कर कुंडले से पराजित होकर तीसरे क्रम में आए थे और उसके बाद से दुर्ग शहर से गायब थे और अब उम्मीदवार के रूप में दम खम से सामने आ रहे है उससे आम कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि शहर के मतदाता भी मायूस दिखाई दे रहे है
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राजनीति का एक बड़ा वर्ग इसे कांग्रेस के लिए इसे वाक ओवर बता रहा है। वास्तव में दुर्ग शहर की राजनीतिक आंकलन किया जाए तो भाजपा के स्वर्गीय हेमचंद यादव जिसे पहली बार टिकट किसी सामाजिक आधार पर नही बल्कि एक जमीनी व गरीब कार्यकर्ता के कारण मिला था उसका व्यापक संदेश गया था दूसरा भाजपा के लिए वार्ड 1से 10 भी बेहद महत्वपूर्ण रहा है भाजपा की हर जीत में इन्ही वार्डो का बड़ा योगदान रहा है और स्व. हेमचंद यादव जी भी इन्ही क्षेत्र से आते थे वर्तमान में पूरे शहर के कुल भाजपा पार्षदों में सर्वाधिक 7 पार्षद इसी क्षेत्र के वार्डो से है सामाजिक व भौगोलिक समीकरण में यह बेहद घनी आबादी तथा ओबीसी तथा श्रमिक बाहुल है मतदाताओं की दृष्टि से भी अत्यधिक और मतदान भी यहां ज्यादा पड़ता है इस लिहाज से इस क्षेत्र के किसी जमीनी नेता जो लगातार जनता से जुड़े रहे है उन्हे टिकट देने से वोटो का ध्रुवीकरण करण भाजपा के लिए फायदेमंद हो सकता है
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जबकि संभावित प्रत्याशी गजेंद्र यादव जो की सक्रियता के मामले में भी नगण्य रहे है और वे जिस क्षेत्र से आते है वहां कुछ वार्डो को छोड़कर भाजपा अब तक पीछे रही है यहां से प्रत्याशी देने से नुकसान की ज्यादा संभावना है बहरहाल अभी गजेंद्र यादव का यदि टिकट पक्की माना जाए तो शहर में केवल एक ही संदेश जा रहा है उनका चयन न ही किसी सर्वे या कोई जमीनी आधार पर बल्कि उनके पिता बिसरा राम यादव जी के ऊंची पहुंच और राजनीतिक मैनेजमेंट पर ही संभव है जो भाजपा के चाल चरित्र व कार्यशैली के उलट है।