सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में ही गैस राहत अस्पतालों में डॉक्टरों की नियुक्ति का आदेश जारी किया था.आज भी कई पद खाली होने को लेकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सरकार पर सख्त नाराजगी जताई है.
Bhopal Gas Tragedy: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के बाद सरकार की लापरवाही पर सख्त नाराजगी जताई है. गैस राहत अस्पतालों में 76 प्रतिशत विशेषज्ञ और 50 प्रतिशत डॉक्टरों के पद खाली होने पर कोर्ट ने अवमानना की कार्यवाही की चेतावनी दी है. 11 साल पहले 9 अगस्त 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल गैस पीड़ितों के अस्पताल और अन्य निर्धारित अस्पतालों को सुविधा, विशेषज्ञों और डॉक्टरों की नियुक्ति के अलावा मरीजों के रिकॉर्ड के डिजिटलाइजेशन के निर्देश दिए थे, लेकिन अभी भी गैस राहत अस्पतालों में 76 प्रतिशत विशेषज्ञ और 50 प्रतिशत डॉक्टरों के पद खाली हैं.
मरीजों के रिकॉर्ड का डिजिटलाइजेशन भी नहीं हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने इसकी मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी एक समिति के माध्यम से हाई कोर्ट को दी थी. फिलहाल कोर्ट में पेश मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि तकनीकी और गैर तकनीकी 1,247 रिक्त पदों के एवज में 498 पद ही भरे जा सके हैं. 3.41 लाख गैस पीड़ितों के स्मार्ट कार्ड जारी हो चुके हैं. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस शील नागू और जस्टिस देवनारायण मिश्रा की पीठ ने कहा कि यह रवैया निराशाजनक है. साढ़े 10 साल से अधिक समय के बाद भी डिजिटलाइजेशन पूरा नहीं हुआ. ऐसे में सभी प्रतिवादियों के खिलाफ क्यों न अवमानना की कार्रवाई की जाए? हाई कोर्ट ने मामले पर अगली सुनवाई 16 जनवरी 2024 तय की है.
11 साल बाद भी नहीं पूरा हुआ कोर्ट का आदेश
बता दें कि भोपाल के गैस राहत अस्पतालों में डॉक्टरों के कई पद खाली हैं. ऐसे में कोर्ट ने कार्यवाही की चेतावनी दी है. बड़ी बात ये है कि गैस राहत अस्पतालों में 76 प्रतिशत विशेषज्ञ और 50 प्रतिशत डॉक्टरों के पद खाली हैं. जबकि 2012 में ही सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल गैस पीड़ितों के अस्पताल में डॉक्टरों की नियुक्ति का आदेश जारी किया था लेकिन सरकार की लापरवाही के चलते आज भी कोर्ट के फैसले पर काम नहीं किया गया है.
1984 की भोपाल गैस त्रासदी को दुनिया के भयावह इंडस्ट्रियल हादसों में गिना जाता है. यूनियन कार्बाइड कंपनी में गैस रिसाव के चलते 3000 से अधिक लोग मारे गए थे. बता दें कि 1984 में 2 और तीन दिसंबर के दरम्यान भोपाल की हवा में मौत बह रही थी. भोपाल शहर के बैरसिया इलाके के पास बने यूनियन कार्बाइड के कारखाने से जहरीली गैस मिथाइल आइसो साइनाइड रिसकर हवा में घुल चुका था. इस जहरीली हवा की वजह से आसपास के लोगों की मौत हो गई थी.