आपराधिक कानूनों से जुड़े तीन बिल लोकसभा से पास हो गए हैं. यह बिल ऐसे समय में पारित हुए हैं, जब संसद से 143 सांसदों को निलंबित कर दिया गया है.
आपराधिक कानूनों से जुड़े तीन बिल लोकसभा से पास हो गए हैं. इससे पहले बुधवार (20 दिसंबर) को इन बिलों पर चर्चा हुई. नए कानून में आतंकवाद, महिला विरोधी अपराध, देश द्रोह और मॉब लिंचिंग से संबधित नए प्रावधान पेश किए गए. यह बिल ऐसे समय में पास हुए हैं, जब संसद के 143 सांसदों को निलंबित कर दिया गया है. इनमें से 97 सांसद लोक सभा के हैं, जबकि 46 राज्य सभा के.
बुधवार (20 दिसंबर) को भी सदन की अवमानना के मामले में स्पीकर ने दो विपक्षी सदस्यों सी थॉमस और एएम आरिफ को संसद सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया. इससे पहले 19 दिसंबर को 49 सांसदों, 18 दिसंबर को लोकसभा के 33 और राज्य सभा के 45 सांसदों को निलंबित किया था, जबकि 14 दिसंबर को लोकसभा के 13 और राज्यसभा का 1 सांसद सस्पेंड हुआ था.
भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता विधेयक-2023और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 बिल पेश करते हुए अमित शाह ने कहा कि इन बिलों के पेश करने का उद्देशय कानून व्यवस्था को बेहतर बनाना है.
महिलाओं के खिलाफ अत्याचार को लेकर क्या है प्रावधान?
बिल में गैंगरेप के मामलों में अब 20 साल की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा झूठे वादे या पहचान छुपाकर यौन संबंध बनाना भी अब अपराध की श्रेणी में शामिल होगा. इसमें 18 साल से कम आयु की लड़की से दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास या मृत्यु दंड का प्रावधान किया गया है.
इसके अलावा इसमें यौन हिंसा के मामलों में बयान महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट ही रिकॉर्ड करेगी. पीड़िता का बयान उसके आवास पर महिला पुलिस अधिकारी के सामने ही दर्ज होगा. बयान रिकॉर्ड करते समय पीड़िता के माता/पिता या अभिभावक मौजूद रह सकते हैं.
राजद्रोह का कानून खत्म
सरकार ने राजद्रोह जैसे कानूनों को निरस्त कर दिया है. इसके अलावा बिल में मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदलने का प्रावधान किया गया है. साथ ही अब आजीवन कारावास को 7 साल की सजा में बदला जा सकेगा.
आतंकवाद को लेकर क्या हैं प्रावधान?
भारतीय न्याय संहिता में आतंकवाद की व्याखा की गई है और उसे दंडनीय अपराध बनाया गया है. इससे कोई भी आतंकवादी कानून की किसी भी कमी का फायदा नहीं उठा सकेगा.
मॉब लिंचिग पर सख्त कानून
बिल में नस्ल, जाति और समुदाय के आधार पर की गई हत्या के लिए नया प्रावधान पेश किया गया है. बिल में मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर आजीवन कारावास से लेकर मौत की सजा तक का प्रावधान है.