भारी ठंड से लोगों का हाल बेहाल है. उसपर दिन छोटे होने से उनका काम भी पूरा नहीं हो पाता. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा होता क्यों है
ठंड से पूरे भारत में लोग परेशान है. वहीं दिन छोटा होने से लोगों के काम भी पूरे नहीं हो पाते और समय कब निकल जाता है किसी को इस बात का पता भी नहीं चलता. दरअसल भारत में ठंड के समय दिन छोटे और रात बढ़ी तो वहीं गर्मीयों में दिन बड़े रात छोटी हो जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं ऐसा होता क्यों है.
सर्दियों में क्यों हो जाते हैं दिन छोटे?
सर्दियों में पृथ्वी की दूरी सूर्य से कम होती है लेकिन वो सूर्य से दूसरी तरफ झुकाव में होती है जिस कारण पृथ्वी पर ठंड का मौसम आता है और दिन भी छोटे होते है. दरअसल इस समय पृथ्वी उत्तरी गोलार्ध की तरफ झुकी होती है जिससे सूरज कम समय के लिए ऊपर आ पाता है और उससे पृथ्वी पर गर्मी भी कम पड़ती है.
इसे आसान भाषा में समझें तो दिन का छोटा बड़ा होने का कारण है पृथ्वी का झुकाव. पृथ्वी अपने एक्सिस पर 23.5 डिग्री के झुकाव पर होती है. सर्दियों में यूं तो पृथ्वी गर्मी के मौसम के मुकाबले सूर्य के पास होती है, लेकिन पृथ्वी का झुकाव सूर्य के तरफ न होकर उसकी विपरीत दिशा में होता है. इस कारण सूर्य हमें आसमान में ज्यादा ऊपर दिखाई नहीं देता और इसी कारण वो क्षितिज के ऊपर भी कम समय के लिए रहता है, जिससे दिन का प्रकाश कम होता है, अंधेरा जल्दी होता है और सर्दियों में दिन छोटे हो जाते हैं और रातें बड़ी.
लंबी रात होने के बाद भी दिन में क्यों आती है निंद?
आपके मन में ये सवाल भी उठ रहा होगा कि सर्दियों में रातें लंबी होती हैं फिर भी निंद पूरी क्यों नहीं लगती और सुबह उठने में आलस क्यों आता है. तो बता दें कि सर्दियों में सूर्य की रोशनी बहुत कम वक्त के लिए पृथ्वी पर पड़ती है. जिसका असर हमारे शरीर पर भी पड़ता है, क्योंकि हमारे शरीर को सूर्य की रोशनी की आवश्यकता होती है इसलिए वो नहीं मिलने पर शरीर में आलस महसूस होता है और हर वक्त नींद आती रहती है.