प्रचार भी करना था जिससे लोगों को जानकारी मिले, लेकिन अफसर प्रचार करना तो दूर, बेचने के लिए कैंप भी नहीं लगा रहे
दुर्ग, राजनादगाव, रायपुर// केंद्र सरकार की सस्ता चावल उपलब्ध कराने की स्कीम को अफसरों ने गोदाम में ही डंप कर दिया है। भारत ब्रांड का नंबर-1 क्वालिटी का चावल अप्रैल से हर वार्ड में कैंप लगाकर लोगों को 29 रुपए प्रति किलो के हिसाब से उपलब्ध कराना है। इसके लिए हजारों टन चावल एफसीआई के गोदाम में पड़ा है, लेकिन अफसरों ने करीब तीन महीने बाद भी इसे लोगों तक पहुंचाने का सिस्टम ही नहीं बनाया है।
मजबूरी में लोग औसतन 60 रुपए से ज्यादा कीमत का महंगा चावल खरीद रहे हैं। अफसरों की इस लापरवाही को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि राजनांदगांव में 80 करोड़ के भारत राइस ब्रांड के चावल का फर्जीवाड़ा फूट चुका है। भारत राइस ब्रांड की बिक्री को लेकर पड़ताल की तो पता चला कि लगातार बढ़ती महंगाई को देखते हुए केंद्र सरकार ने लोगों को सस्ती दर पर आटा और चावल उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।
ये स्कीम अप्रैल में देश के कई राज्यों लांच भी कर दी गई। उन राज्यों में छत्तीसगढ़ भी शामिल है। चावल की सप्लाई एफसीआई को करनी है। चावल बेचने के लिए शिविर कहां-कहां लगेंगे? ये नेफेड को तय करना है। छत्तीसगढ़ नागरिक आपूर्ति निगम औैर खाद्य विभाग वालों को इसमें मदद करनी है।
योजना के बारे में वो सबकुछ जो आप जानना चाहते हैं
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योजना के अनुसार चावल बेचने के लिए टेंडर कर एक वेंडर नियुक्त करना है।
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वेंडर को एफसीआई से 50-50 किलो की बोरी में चावल टनों में दिया जाएगा।
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मिलर उसे अपनी राइस मिल में 10-10 किलो के पैकेट में पैक करेगा।
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आम लोगों को यही 10-10 किलो की बोरी 29 रुपए किलो के हिसाब से बेचनी है।
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रायपुर के 70 वार्डों में चावल बेचने की जिम्मेदारी नेफेड की है।
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नेफेड के अफसर ही राइस मिलरों को बताएंगे कि किस जगह पर कब चावल बेचना है।
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लोग चावल खरीदेंगे उनका मोबाइल नंबर लेने के साथ आधार कार्ड की फोटो कॉपी लेनी है।
राजनांदगांव में 80 करोड़ का फर्जीवाड़ा
राजनांदगांव जिले को करीब 29 हजार मीट्रिक टन चावल अलॉट किया गया था। एफसीआई और नेफेड तक शिकायत पहुंची है कि इसका 80 फीसदी चावल राइस मिलों को पहुंचा दिया गया। उसके बाद खुले बाजार में बेचा ही नहीं गया। कांग्रेस नेताओं ने इसे लेकर आरोप लगाया है कि राजनांदगांव कोटे के इस चावल को गोंदिया, सूरजपुर, धमतरी, बिलासपुर, दुर्ग और रायपुर के राइस मिलरों को दिया गया था लेकिन बांटा नहीं गया। जांच चल रही है।
सेंट्रल अफसर बोले- बंट जाएगा
इस मामले में एफसीआई और नेफेड के जिम्मेदारों से संपर्क किया। उन्होंने बेहद लापरवाही से कहा कि नहीं बंटा है तो बंट जाएगा। नेफेड दफ्तर वालों ने कहा कि ब्रांच मैनेजर बाहर हैं, जब आएंगे तब व्यवस्था बनेगी। इसी तरह एफसीआई वालों ने कहा जो वेंडर तय है उसे चावल दे रहे हैं। जल्द ही आम लोगों तक पहुंच जाएगा, लेकिन कब? इसका जवाब नहीं दिया गया।
अब सिस्टम बदल रहे
चावल नहीं बंटने की शिकायत पर अब एफसीआई चावल बांटने का सिस्टम बदल रहा है। बताया जा रहा है कि लोग अब सीधे एफसीआई गोदामों से भी चावल खरीद सकेंगे। इसके लिए गोदाम के बाहर काउंटर बनाया जाएगा। गोदाम से चावल खरीदने पर लोगों को 1 रु. किलो की छूट भी मिलेगी। लोगों को 28 रु. किलो में इस काउंटर से चावल बेचा जाएगा। इसका आदेश जल्द ही जारी किया जाएगा।
^ भारत ब्रांड राइस को बेचने से संबंधित सारी जिम्मेदारी एफसीआई और नेफेड की है। नान की इसमें कोई जिम्मेदारी नहीं है। भारत आटा ब्रांड की तरह नेफेड वालों को ही शिविर लगाकर इस चावल को बेचना है।
हेलेना तिग्गा, डीएम नागरिक आपूर्ति
^ एफसीआई वालों को चावल की सप्लाई करना है। राइस मिलरों को पैकेट बनाना है और नेफेड वालों इसे वार्डों में बेचना है। खाद्य विभाग की इसमें कोई भूमिका नहीं है।
भूपेंद्र मिश्रा, जिला खाद्य नियंत्रक