गर्भवती महिलाओं के लिए एएनसी जांच बहुत जरूरी, जांच से गंभीर जटिलताओं की समय से हो सकेगी पहचान
-संस्थागत प्रसव शत-प्रतिशत करने के दिए निर्देश -आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन एवं एनएनएम ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती माताओं एवं नवजात – बच्चों के टीकाकरण के लिए जनसामान्य को करें जागरूक
-कलेक्टर ने जिला स्वास्थ्य समिति की ली बैठक
दुर्ग। कलेक्टर सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी ने विगत दिवस कलेक्टोरेट सभाकक्ष में जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक ली। कलेक्टर ने स्वास्थ्य विभाग के समस्त राष्ट्रीय कार्यक्रमों का बिंदुवार सेक्टरवार विस्तृत समीक्षा की। कलेक्टर ने कहा कि गर्भवती माताओं को चिन्हांकित करते हुए उनके स्वास्थ्य परीक्षण तथा पोषण के संबंध में विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए उनका चिन्हांकन करते हुए एक व्यवस्था बनाने की जरूरत है, ताकि गर्भवती माताओं की जानकारी के साथ ही प्रसव की सूचना भी प्राप्त हो सके।
कलेक्टर ने कहा कि गर्भवती महिलाओं के लिए एएनसी जांच बहुत जरूरी है। जांच के द्वारा गंभीर जटिलताओं की समय से पहचान और उसका निदान किया जा सकता है। उन्होंने प्रथम एवं चौथे एएनसी चेकअप की सेक्टरवार समीक्षा की। एएनसी (एंटीनेटल केयर टेस्ट) पंजीयन के लिए कोई भी गर्भवती महिला नहीं छूटे, इसका विशेष ध्यान देने को कहा। गर्भावस्था के दौरान ही शिशु के स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए। गर्भवती माताओं को आयरन एवं अतिरिक्त आहार देने के लिए विशेष कार्य करें। उन्होंने स्वास्थ्य अमले को सक्रिय होकर कार्य करने को कहा।
कलेक्टर सुश्री चौधरी ने कहा कि हाई रिस्क वाली गर्भवती महिलाओं का हिमोग्लोबिन अच्छा रहना चाहिए। इसके लिए उस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्हें पौष्टिक आहार लेने के बारे में बताया जाए। शत-प्रतिशत संस्थागत प्रसव कराने के निर्देश दिए। डिलिवरी के लिए ट्रेकिंग सिस्टम बनाने की बात कही। एनीमिक गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार देने के लिए कार्य करें। गर्भवती माताओं का समय पर टीकाकरण कराना सुनिश्चित करें। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन एवं एनएनएम को ग्रामीण क्षेत्रों में नवजात बच्चों एवं गर्भवती माताओं को टीकाकरण के लिए जागरूक करने को कहा। सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट के जरिये नवजात में होने वाली स्वास्थ्य जटिलताओं की समय पर पहचान कर इलाज करने के निर्देश दिए। सिकल सेल टेस्ट के लिए लक्ष्य के अनुरूप अधिक से अधिक परीक्षण को कहा।
कलेक्टर सुश्री चौधरी ने संचारी रोग डेगु, मलेरिया, उल्टी-दस्त, हेपेटाईटिस में सतत निगरानी व समय पर उपचार करने हेतु अधिकारियों को निर्देशित किया। मानसिक स्वास्थ्य अंतर्गत समस्त प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में अनिवार्यतः स्क्रीनिंग एवं डायबिटीज हायपरटेंशन के साथ-साथ सवाईकल कैंसर के मरीजों को समयावधि में स्क्रीनिंग एवं फालोअप करने हेतु निर्देशित किया गया। उन्होंने स्वास्थ्य संस्थाओं के प्रभारियों को प्रत्येक माह एचआरएमआईएस के रिपोर्ट के आधार पर एवं विशेषज्ञ चिकित्सा अधिकारियों की उपस्थिति में समीक्षा बैठक लेने को कहा। कलेक्टर ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग तथा महिला एवं बाल विकास विभाग समन्वय करते हुए कार्य करें। साथ ही राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम, राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम, मातृ-मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर, सोनोग्राफी, हमर लेब टेस्ट, ओपीडी, कायाकल्प, मोतियाबिंद ऑपरेशन, ब्लड बैंक/ब्लड स्टोरेज यूनिट, राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम, एंटी रैबीज वेक्सीन की उपलब्धता की जानकारी एवं अन्य कार्यों की भी समीक्षा की गई।
इस अवसर पर सहायक कलेक्टर एम.भार्गव, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनोज दानी, सिविल सर्जन, प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी अधिकारी सहित स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।