मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सोमवार को विज्ञान भवन नई दिल्ली में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की समीक्षा बैठक में शामिल हुए। केंद्रीय गृह एवम सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में प्रदेश के मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन और पुलिस महानिदेशक श्री सुधीर सक्सेना भी उपस्थित थे। छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा और तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों तथा आंध्रप्रदेश, बिहार, झारखंड, केरल और पश्चिम बंगाल के उपमुख्यमंत्रियों/ गृहमंत्रियों ने भाग लिया।
समीक्षा बैठक में वामपंथी उग्रवाद के वर्तमान परिदृश्य तथा वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों की सुरक्षा और विकास से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की गई। केंद्रीय मंत्री श्री शाह ने राज्यों के साथ वामपंथी उग्रवाद के विरुद्ध सघन अभियान, हिंसक घटनाओं की सघन जांच और अभियोजन, राज्यों और केंद्र के बीच समन्वय और राज्यों की इंटेलिजेंस क्षमता निर्माण जैसे सुरक्षा मुद्दों की समीक्षा की। विकास के मुद्दों जैसे वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में सड़क संपर्क बढ़ाने, मोबाइल टावरों के उन्नयन, वित्तीय समावेशन और स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने के संबंध में भी बैठक में विचार किया गया।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आशा व्यक्त की कि नक्सलवाद व वामपंथी उग्रवाद के विरुद्ध केंद्र और राज्य सरकारों का समन्वय निश्चित रूप से इसे जड़ से समाप्त करने के प्रयासों को बल प्रदान करेगा।
नक्सल गतिविधियां नियंत्रण के लिए प्रदेश में अब तक की गई कार्रवाई
मध्यप्रदेश में नक्सल गतिविधियां सर्वप्रथम वर्ष 1990 में बालाघाट जिलें में परिलक्षित हुई प्रदेश के 3 जिलें बालाघाट, मंडला तथा डिंडोरी नक्सल प्रभावित है, जिनमें बालाघाट अति नक्सल प्रभावित है।
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मंडला तथा डिंडोरी में नक्सल गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।
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नक्सलियों द्वारा बालाघाट में पहली बड़ी हिंसक वारदात वर्ष 1991 में लांजी थाना क्षेत्र में की थी, जिसमें पुलिस वाहन को माईन्स ब्लास्ट से क्षति हुई थी। घटना में 09 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे।
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दूसरी बड़ी घटना बालाघाट के रूपझर थाना के ग्राम नांरगी क्षेत्र में की थी जिसमें माईन्स विस्फोट के द्वारा पुलिस वाहन को क्षति हुई थी। इस घटना में 16 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे।
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नक्सलियों द्वारा वर्ष 1999 में प्रदेश के तत्कालीन परिवहन मंत्री श्री लिखिराम कांवरे की हत्या की गई थी।
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प्रदेश शासन द्वारा नक्सल गतिविधियों पर नियंत्रण के लिए वर्ष 2000 में विशिष्ट बल “हॉक फोर्स” का गठन किया गया।
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गठन के पश्चात हॉकफोर्स द्वारा नक्सल गतिविधियों पर काफी हद तक नियंत्रण किया गया। नक्सल संगठन द्वारा प्रभाव क्षेत्र में विस्तार के लिए वर्ष 2016 में एमएमसी जोन (मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़) का गठन किया गया है।
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सुरक्षा बलों की लगातार कार्यवाही से नक्सल संगठन विस्तार में अभी तक असफल रहा।
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बस्तर में सुरक्षा बलों की लगातार कार्यवाही से नक्सलियों के प्रभाव क्षेत्र में कमी के चलते उनके प्रदेश की ओर आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। इस हेतु अनेकों नवीन कैम्पों का निर्माण शीघ्र किया जायेगा।
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इस पर नियंत्रण हेतु सीमावर्ती राज्य छत्तीसगढ़ तथा महाराष्ट्र पुलिस के साथ सीमा क्षेत्रों में संयुक्त कैम्प स्थापित किए गए है।
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विगत 5 वर्षों के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा विभिन्न मुठभेड़ों में 20 हार्डकोर नक्सलियों को मारा गया है, जिन पर घोषित संयुक्त इनाम 3.31 करोड़ रूपये था।
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इसी दौरान मुठभेड़ों में 6 नक्सली गिरफ्तार भी किए गए जिन पर घोषित संयुक्त ईनाम 85 लाख रूपये था।
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विगत 8 माह में 3 मुठभेड़ में 4 नक्सली मारे गए है तथा एक महिला नक्सली गिरफ्तार हुई है।
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विगत 2 वर्षों में डीव्हीसीएम (डीव्हिजनल कमेटी मेम्बर) स्तर के 3 नक्सलियों को मुठभेड़ों में मारा गया। इनसे 3 ए.के.-47 रायफल तथा बीजीएल शैल (Barrel Grenade Launcher Shell) बरामद हुए।
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वर्ष 2023 में उत्तर बस्तर डीवीजन का एसजेडसीएम अशोक रेडडी उर्फ बलदेव गिरफ्तार किया गया, जिस पर संयुक्त रूप से 82 लाख रूपये का ईनाम घोषित था।
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हॉक-फोर्स तथा विशेष आसूचना शाखा में प्रतिनियुक्ति को प्रोत्साहित करने के लिए शासन द्वारा वर्ष 2022 में नवीन भत्ते स्वीकृत किए, जिसके फलस्वरूप इसमें पदस्थ पुलिस कर्मियों के मनोबल में आशातीत वृद्धि हुई है।
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नक्सल विरोधी अभियानों में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले 262 पुलिसकर्मियों को क्रम पूर्व पदोन्नतियां प्रदान की गई हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा 52 पुलिस कर्मचारियों को विगत 8 माह में क्रम पूर्व पदोन्नति प्रदान की गई है।
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मुठभेड़ों में सूझबूझ तथा साहस का प्रदर्शन करने के फलस्वरूप पुलिसकर्मियों को 37 वीरता पदक प्राप्त हुए हैं।
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नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने तथा आत्मसर्मपण को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य शासन द्वारा वर्ष 2023 में नवीन “मध्यप्रदेश नक्सली आत्म-समर्पण, पुनर्वास सह राहत नीति 2023” लागू की गई। इन प्रावधानों का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली को संगठन में उसके द्वारा धारित पद नाम एवं धारित हथियार के अनुसार घोषित ईनामी राशि, मकान निर्माण हेतु 1.5 लाख, जीवन यापन हेतु व्यवसायिक प्रशिक्षण के लिए 1.5 लाख, अचल सम्पत्ति के लिए 20 लाख, विवाह हेतु प्रोत्साहन राशि 50 हजार रूपये एवं आयुष्मान भारत व खाद्यान्न सहायता का लाभ दिया जायेगा।
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नक्सल समस्या के निवारण के लिए राज्य सरकार द्वारा बहुआयामी रणनीति के अनुसार काम किया जा रहा है, जिसमें एक ओर रणनीतिक अभियान संचालित किए जा रहे है वहीं दूसरी ओर प्रभावित क्षेत्रों में विभिन्न विकास योजनाओं के द्वारा क्षेत्र के निवासियों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने के लिए अधोसंरचना विकास कार्य भी किए जा रहे है।
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आमजन की आवागमन सुगमता हेतु केंद्र सरकार के सहयोग से नवीन सड़कों, पुल तथा पुलियों का निर्माण किया गया है। अनेक सडकों का निर्माण प्रगति पर है।
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संचार सुगमता हेतु अनेक मोबाईल टॉवर स्थापित किए गए हैं तथा कई का निर्माण प्रगति पर है।
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विशेष केन्द्रीय सहायता योजना के माध्यम से नक्सल प्रभावित ग्रामों में सड़क, पुलियां तथा विद्युतीकरण किया गया है।
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क्षेत्र में निवासरत आमजन में सदभावना वृद्धि हेतु पुलिस चौकियों तथा सुरक्षा कैम्पों के द्वारा जनमैत्री अभियान” में स्थानीय निवासियों को आधारकार्ड, आयुष्मान भारत योजना, अंत्योदय योजना सहित अन्य योजनाओं में लाभ दिलाया जा रहा है।
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क्षेत्र के निवासियों में सुरक्षा की भावना की वृद्धि तथा नक्सल गतिविधियों पर नियंत्रण के लिए बालाघाट जिलें की 8 पुलिस चौकियों का थाना में उन्नयन भी किया गया है। इनके भवनों का निर्माण प्रगति पर है।