रायपुर,। शराब को लेकर छत्तीसगढ़ में हाहाकार नया नहीं है। सरकार से लेकर आम आदमी इससे बुरी तरह प्रभावित है। शराब छत्तीसगढ़ का दुर्दशा कर रहा है। सरकार इससे अनजान नहीं है, फिर भी शराब संस्कृति को बढ़ावा देना सरकार की मजबूरी है। वैध–अवैध रेवेन्यू जनरेट करने में यह प्रमुख है।
सरकार की नई नीति से सभी शराब कंपनियों के द्वार छत्तीसगढ़ के लिए खुलेंगे। शराब लॉबी की मोनोपल्ली खत्म होगी। ग्राहकों तक आसानी से शराब पहुंचेगी।
यहां संत तरुण सागर जी की एक वक्तव्य का उद्धरण देना लाजिमी होगा। उन्होंने कहा था “मैं भगवान महावीर को मंदिर से निकाल कर चौक पर बिठा देना चाहता हूं, क्योंकि इन्हीं लोगों को इसकी ज्यादा जरूरत है।”
विष्णुदेव सरकार की नई आबकारी नीति कुछ ऐसा ही है। एक जगह शराब दुकान रखने के बजाए उसके वितरण का विकेंद्रीकरण कर सरकार इसे ग्राहक तक आसानी से पहुंचाने टेक्नालॉजी का भी उपयोग कर रही। कोरोना के समय भी शराब का होम डिलीवरी किया गया था।
घोटालों से नाता
पिछले भूपेश बघेल की सरकार में बड़ा शराब घोटाला हुआ था, जिसकी जद में कई बड़े बड़े लोग आए। 2017 में रमन सिंह की सरकार के दौरान शराब से मिलने वाला राजस्व 3,900 करोड़ रुपये था जो अब बढ़कर 6500 करोड़ रुपये हो गया है.
राज्य में चाहे जिस भी पार्टी की सरकार रही हो, शराब ने छत्तीसगढ़ के आम जन जीवन को कठिन बना दिया है। यूं तो छत्तीसगढ़ में शराब खपत का आंकड़ा देश भर में सबसे ज्यादा 42% रहा है, मगर छत्तीसगढ़ के हालात देख कर लगता है कि यह आंकड़ा उससे भी कहीं ज्यादा है। शहर से लेकर गांव के गरीब ग्रामीण शराब में बहुत पैसा खर्च कर रहे हैं। मुफ्त का अनाज और धान की बढ़ी कीमत ने छत्तीसगढ़ की बड़ी आबादी को बेवड़ा बना दिया है। सरकार के लोग इस तथ्य से अनजान नहीं है। हालांकि छत्तीसगढ़ में शराब की कीमत देश के अधिकांश राज्यों से ज्यादा है।
नया अनुभव..
सरकार इस नई नीति के जरिए शराब खरीदने का नया अनुभव लोगों को देना चाहती थी। नई नीति में होटलों के बार, क्लब्स और रेस्टोरेंट्स को देर रात तक ओपन रखने की छूट मिलेगी। इसमें छत समेत खुली जगह पर भी जगह शराब परोसने की अनुमति होगी। अभी गोवा और पंजाब में जो शराब तीन हजार के भीतर मिल जाती है वह छत्तीसगढ़ में पांच हजार रुपयों से भी ज्यादा है।
शराब के दाम बढ़ने से लोगों को परेशानी होती है.
आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों का कहना है कि सरकार अगर इसी तरह दाम बढ़ाती जाएगी तो मज़दूरी करने वाले या गरीब लोग इसका उपभोग कैसे कर पाएंगे.
कई शराब दुकानों में शौकीनों को उनके मनपसंद ब्रैंड की शराब नहीं मिल पाती.
भारत की धमक जोरदार
आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि दुनिया में शराब के सबसे ज्यादा बिकने वाली 25 बड़े ब्राण्ड में से 13 ब्राण्ड भारत के हैं। जी हाँ फ़ोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, दुनिया में 25 सबसे ज़्यादा बिकने वाली ‘व्हिस्की ब्रांड्स’ में से 13 ब्राण्ड्स भारतीय हैं। इतना ही नहीं, सबसे ज़्यादा बिकने वाली व्हिस्की भी भारतीय कंपनियां ही बनाती हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक़, दुनिया में सबसे अधिक ‘Whisky’ की खपत भारत में होती है। इस मामले में भारत के बाद अमेरिका, फ्रांस, जापान और यूके का नंबर आता है।
तमिलनाडु जैसी नीति को दरकार
तमिलनाडु एक ऐसा राज्य है जिसका शराब के व्यापार पर एकाधिकार है और 6,000 से अधिक दुकानों के साथ 30,000 से अधिक लोगों को रोजगार देता है।