दुर्ग /संभागायुक्त टीसी महावर आज सेवानिवृत्त होंगे। श्री महावर 32 साल की यशस्वी सेवा अवधि 31 दिसंबर को पूरा करेंगे। भारतीय प्रशासनिक सेवा में आने के पश्चात महावर ने शाजापुर में जिला पंचायत सीईओ के रूप में कार्य किया। इसके पश्चात वे धमतरी और जांजगीर चांपा में कलेक्टर रहे। धमतरी में महावर 2 मई 2007 से 1 अक्टूबर 2008 तक कलेक्टर रहे।
जांजगीर-चांपा में वे 2008 से 2010 तक कलेक्टर रहे। इसके बाद अगले दो वर्षो तक उन्होंने कलेक्टर मुंगेली की कमान संभाली। 23 जून को वे सरगुजा में संभागायुक्त के पद पर पदस्थ हुए और यहाँ 21 मई 2017 तक कार्य किया। बिलासपुर संभागायुक्त के रूप में वे 1 जून 2017 से 6 जून 2019 तक पदस्थ रहे। दुर्ग संभागायुक्त के रूप में महावर ने 4 अगस्त 2020 से अब तक कार्य किया है। इसके अलावा विभिन्न समयों में वे उन्होंने अलग-अलग दायित्वों का निर्वहण किया है। इनमें पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव के रूप में तथा मनरेगा आयुक्त के रूप में कार्य भी शामिल है। इसके साथ ही वे वर्ष 2010 से 2011 तक लोक आयोग के सचिव भी रहे। सरगुजा विश्वविद्यालय के कुलपति के पद में भी वे वर्ष 2016 में पदस्थ हुए। छत्तीसगढ़ दुग्ध संघ के प्राधिकृत अधिकारी के रूप में भी वे पदस्थ रहे।
महावर का कार्यकाल व्यापक उपलब्धियों का कार्यकाल रहा। धमतरी और जांजगीर-चांपा जैसे जिलों में कलेक्टर रहते हुए उन्होंने अनेक नवाचार किये। सरगुजा, बिलासपुर और दुर्ग के संभागायुक्त कार्यकाल में उन्होंने राजस्व संबंधी मामलों में सभी जिलों में चुस्त कार्यप्रणाली से रेवेन्यू मशीनरी को सुदृढ़ किया। महावर ने अधिकारी-कर्मचारियों के कौशल संवर्धन के लिए भी काम किया। वर्कशाप के माध्यम से उन्होंने राजस्व अधिकारियों को सैद्धांतिक और प्रायोगिक रूप से मजबूत किया।
महावर के व्यक्तित्व का मजबूत पक्ष उनका साहित्यिक लगाव भी है। साहित्य से जुड़े रहने एवं लगातार साहित्य सृजन करने से उनके व्यक्तित्व की संवेदनशीलता निरंतर निखरती रही। अपने व्यस्त कार्यकलाप के बावजूद उन्होंने निरंतर साहित्य सृजन किया। उनके कविता संग्रहों में विस्मित न होना, नदी के लिए सोचो, इतना ही नमक, हिज्जे सुधारता है चाँद, शब्दों से परे आदि हैं। साहित्य में किये गए व्यापक कार्यों की वजह से उनका सम्मान का फलक भी काफी विस्तृत है। उन्हें पंडित मदन मोहन मालवीय स्मृति आराधक सम्मान नई दिल्ली, अंबिका प्रसाद दिव्य स्मृति सम्मान, पंजाब कला साहित्य अकादमी सम्मान से भी विभूषित किया गया है।
महावर स्वयं भी अपने प्रशासनिक हुनर को हमेशा अकादमिक रूप से निखारते रहे। उन्होंने ड्यूक यूनिवर्सिटी, अमेरिका, सासपो यूनिवर्सिटी, फ्रांस आदि में प्रशिक्षण लिया। इसके साथ ही वे पर्यावरण संबंधी गतिविधियों से भी विशेष रूप से जुड़े रहे। पर्यावरण संबंधी संस्था बेसकान के वे संस्थापक सदस्य हैं। रोट्रेक्ट क्लब के संस्थापक चार्टर्ड अध्यक्ष भी वे रहे हैं।