आगरा, आगरा में नेत्रहीन दिव्यांग भी रामायण का पाठ पढ़ते हैं। श्रीमद भागवत गीता का पाठ करते हैं। यह सब संभव हो सका है आगरा के रुनकता में स्थित महाकवि सूरदास के नेत्रहीन विद्यालय परिसर में बने पुस्तकालय से। चार दशक से ज्यादा पुराने इस पुस्तकालय में स्कूली शिक्षा से संबंधित पहली कक्षा से इंटर तक की पुस्तकें ब्रेल लिपि में हैं।
इसी के साथ यहां पर धार्मिक पुस्तकों के अलावा चर्चित साहित्यकारों की रचनाएं ब्रेल लिपि में हैं।पुस्तकालय में कई सौ किताबे हैं।
सूरदास नेत्रहीन विद्यालय एवं शिक्षध संस्थान के प्रधानाचार्य महेश ने बताया कि यहां पढ़ने वाले बच्चों को ब्रेल लिपि में पढ़ने ओर लिखना सिखाया जाता है।शिक्षित होने केे बाद इन छात्रों को धार्मिक और साहित्य से संबंधित पुस्तकें पढ़ाने की जरूरत थी।
इससे कि वह अपने ज्ञान को और समृद्ध कर सकें। वह देश-विदेश के साहित्यकारों और वहां के साहित्य से परिचित होना चाहते थे। इसके लिए उनसे संबंधित ब्रेल लिपि की पुस्तकों का होना जरूरी था। इसी सबके मद्देनजर विद्यालय के साथ ही पुस्तकालय की स्थापना की गई।
राष्ट्रपति और इंदिरा गांधी भी आ चुकी हैं सूरकुटी
सूरकुटी में वर्ष 1971 में भारत के राष्ट्रपति वीवी गिरि और 1978 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी आ चुकी हैं।
कोरोना संक्रमण ने किया प्रभावित
महाकवि सूरदास नेत्रहीन विद्यालय एवं प्रशिक्षण संस्थान भी कोरोना संक्रमण काल से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सका। यह विद्यालय दानदाताओं के सहयोग से चलता है। यहां पढ़ाने वाले शिक्षकों को कई महीने तक वेतन नहीं मिला। इससे उन्हें आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
कई राज्यों के बच्चे हैं पढ़ते
सूरकुटी के विद्यालय में उत्तर प्रदेश के अलावा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और बिहार के बच्चे पढ़ते हैं। आवासीय विद्यालय होने के चलते बच्चे यहीं पर रहते हैं। उनका रहना अौर खाना निश्शुल्क है। स्वजन भी इन बच्वों से नियमित अंतराल पर मुलाकात करने आते रहते हैं।