रायपुर. छत्तीसगढ़ के भू-भाग बस्तर से लेकर सरगुजा तक प्रकृति की इंद्रधनुषी छटा से लबरेज है। राज्य में बड़ी नदी, नालों की वजह से मनमोहक जलप्रपात देखने को मिलते हैं। राज्य में इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए वन विभाग के अफसर अब तक लोगों की पहुंच से दूर नए पिकनिक स्पॉट तथा वाटरफॉल को लोगों के सामने लाने की कोशिश में जुटे हैं। पिछले वर्ष वन विभाग तथा स्थानीय लोगों ने उदंती-सीतानदी, बस्तर में 20 से ज्यादा जलप्रपात की खोज की थी। इस वर्ष भी वन विभाग के अफसरों को पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी ने घने जंगलों के बीच वाटरफॉल तथा नए पिकनिक स्पॉट तलाश करने के लिए निर्देशित किया है।
कांकेर सीसीएफ एसएसडी बड़गैया के मुताबिक पिछले वर्ष वन विभाग के अफसर और कर्मियों की टीम ने केशकाल, जगदलपुर से सटे जंगल में 15 वाटरफॉल की खोज की है। खोजे गए जलप्रपात में जुलाई से जनवरी माह तक भरपूर पानी के बहाव होने का दावा किया है। अफसर के मुताबिक केशकाल से महज पांच किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्व की दिशा में एक पहाड़ी के पठार में 75 हेक्टेयर में फैले जलप्रपात खोजे जाने की जानकारी दी। साथ ही अफसर ने केशकाल से 38 किलोमीटर दूर पूर्व दिशा में डेढ़ हजार हेक्टेयर में पठार खोजे जाने की बात कही। इस पठार के ऊपर से दुधवा जलाशय दिखने की जानकारी दी।
यूएसटीआर में डेढ़ दर्जन से ज्यादा जलप्रपात
जानकारों के मुताबिक उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में डेढ़ दर्जन से ज्यादा जलप्रपात ऐसे हैं, जहां पहुंचना हर किसी की बस की बात नहीं है। इन जलप्रपातों के बारे में लोगों को जानकारी नहीं है। इनमें प्रमुख रूप से देवधारा, बोतलधारा, कुलाब, शेषपगार जलप्रपात हैं। इन जलप्रपात तक पहुंचने घने जंगल तथा पहाड़ी रास्ते को पार करना पड़ता है।
विभाग करेगा सम्मानित
इको टूरिज्म और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वन मुख्यालय ने अब नए जलप्रपात खोजने वाले को सम्मानित करने का निर्णय लिया है। अफसरों के मुताबिक ऐसे जलप्रपात, जिसके बारे में विभाग के साथ लोगों काे जानकारी नहीं है। ऐसे जलप्रपात ढूंढने वाले को विभाग के अफसरों ने सम्मानित करने का निर्णय लिया है।
जानकारी जुटा रहे
राज्य के वनों में आकर्षक जलप्रपात हैं, इसमें से कई वनक्षेत्रों के जलप्रपात वन विभाग की जानकारी में नहीं हैं, इसकी जानकारी जुटाई जा रही है। साथ ही ऐसे जलप्रपात, जो मनोरम और आकर्षक होने के साथ अब तक लोगों की पहुंच से दूर हैं। ऐसे जलप्रपात ढूंढने वाले को सम्मानित किया जाएगा।
– राकेश चतुर्वेदी, पीसीसीएफ, छग