छत्तीसगढ़ के कई जिलों में कोयले का प्रचुर भंडार है। इसका कुछ हिस्सा हमारी महत्वपूर्ण मांड और हसदेव नदी के जलग्रहण क्षेत्र में भी आता है। इन इलाकों में कोयला खनन होने से बड़ी संख्या में आदिवासी बहुल गांवाें का विस्थापन होगा। स्थानीय व्यक्तियों को इससे रोजगार नगण्य है। क्योंकि खुली कोयला खदानों में पूरी तरह मशीनों से काम होता है।
कांग्रेस विधायक लालजीत सिंह राठिया ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लिखा है कि क्षेत्र में मानव-हाथी संघर्ष पहले से ही गंभीर स्थिति में है। क्षेत्र में अधिक कोयला खदान खुलने से हाथी समूह अधिक उग्र होकर गांवों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने क्षेत्र के लोगों को भरोसा दिलाया था कि कांग्रेस ऐसा कोई काम नहीं करेगी, जिससे हाथी के साथ संघर्ष बढ़े। उन्होंने आदिवासियों को विस्थापन से बचाने का भी भरोसा दिलाया था। इस क्षेत्र में वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम की धारा 36 (A) के तहत अगर रिजर्व बनाया जाता है तो स्थानीय लोगों के अधिकार प्रभावित नहीं होंगे।