भिलाई मेले की आड़ में अव्यवस्थाओं का खेल, जिम्मेदार विभागों की मिलीभगत पर उठे सवाल
भिलाई। भिलाई इस्पात संयंत्र (बीएसपी) की भूमि पर लगाए गए झूलों, दुकानों और अस्थायी निर्माण को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। स्थानीय समाजसेवी ज्ञानचंद जैन ने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर मामले की जांच की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि झूले और दुकानों का संचालन अवैध तरीके से किया जा रहा है और इसमें आयोजन समिति के साथ-साथ बीएसपी प्रबंधन का भूमि विभाग एवं एनफोर्समेंट सेल की संलिप्तता स्पष्ट नजर आती है।
जैन ने कहा कि जिला प्रशासन को यह जांच करनी चाहिए कि आखिर बीएसपी ने कितनी भूमि किस उद्देश्य से आवंटित की है और जिस भूमि का आवंटन नहीं हुआ वहां महीनों की तैयारी के बाद बड़े-बड़े झूले कैसे लग गए।
लाखों का ठेका और वसूली का खेल
पत्र में कहा गया है कि आयोजन समिति लाखों रुपए का ठेका देती है। न सिर्फ झूलों बल्कि दुकानों के आवंटन का पूरा खेल भी समिति और संचालक मिलकर करते हैं। झूला संचालक ही इस पूरे संचालन के मास्टरमाइंड होते हैं। वे सीधे आयोजन समिति को पैसा देते हैं और फिर साइकिल स्टैंड, स्टॉल और झूला लगाने वाली एजेंसियों से भारी-भरकम राशि वसूलते हैं।
नियमों की अनदेखी
जैन ने आरोप लगाया कि बीएसपी के महाप्रबंधक (विद्युत) से जनरेटर संचालन की अनुमति लेना आवश्यक होता है, लेकिन न तो संचालकों ने अनुमति ली और न ही जिला प्रशासन ने इस पर ध्यान दिया। प्रशासन ने भारी-भरकम नियमों के साथ आदेश तो जारी किए, लेकिन उसका पालन सुनिश्चित कराने की बजाय विभागीय अधिकारी राजनीतिक दबाव में आंख मूंदे बैठे रहे।
‘सिर्फ जनता को गुमराह किया जा रहा’
ज्ञानचंद जैन ने कहा कि जिला प्रशासन केवल जनता को गुमराह करने का काम कर रहा है। नोटिस जारी करना, सर्कुलर लगाना और अखबारों में समाचार प्रकाशित कर वाहवाही लूटना प्रशासन की आदत बन चुकी है। उन्होंने सवाल उठाया कि एसडीएम भिलाई नगर को साइकिल स्टैंड तो दिखा, लेकिन झूलों पर वसूली जा रही राशि क्यों नहीं दिखी? क्या प्रशासन किसी गंभीर दुर्घटना का इंतजार कर रहा है?
कार्रवाई की मांग
जैन ने जिलाधीश से आग्रह किया है कि वे अपने जारी आदेशों का सख्ती से पालन कराएं और इसमें लिप्त अधिकारियों एवं आयोजन समिति को नियमानुसार दंडित करें। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक वित्तीय अनियमितता नहीं बल्कि जनता की सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मुद्दा है, जिसकी जांच आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि यह मामला प्रशासन, नगर निगम और बीएसपी प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
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