सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाई जिसमें मुनंबम जमीन को वक्फ घोषित करने को लैंड-ग्रैबिंग बताया गया था। कोर्ट ने विवादित जमीन पर यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केरल हाईकोर्ट के उस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी, जिसमें मुनंबम की 404 एकड़ जमीन को वक्फ के रूप में अधिसूचित करने को केरल वक्फ बोर्ड की लैंड-ग्रैबिंग रणनीति बताया गया था। कोर्ट ने साफ निर्देश दिया कि विवादित जमीन पर यथास्थिति बनी रहे। हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार को जमीन के स्वामित्व की जांच के लिए आयोग नियुक्त करने की अनुमति देने वाले आदेश पर रोक नहीं लगाई गई है। सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी को होगी।
हाईकोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र से आगे बढ़कर फैसला दिया- SC
जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट को इस जमीन के स्वरूप पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं था, क्योंकि यह मामला पहले से ही वक्फ ट्रिब्यूनल के पास लंबित है। बेंच ने कहा हाईकोर्ट अपने अधिकार क्षेत्र से काफी आगे चला गया। मामले की गहराई जांचने का अधिकार ट्रिब्यूनल का है।
क्या कहा याचिकाकर्ता और राज्य सरकार ने?
याचिकाकर्ता केरल वक्फ संरक्षक वेदी की ओर से अदालत में कहा गया कि हाईकोर्ट ने वक्फ डीड की वैधता पर टिप्पणी करके गलती की है, क्योंकि यह मुद्दा हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। उनके अनुसार, वक्फ डीड से जुड़ी जांच और निर्णय का अधिकार केवल वक्फ ट्रिब्यूनल के पास है, इसलिए हाईकोर्ट द्वारा किए गए अवलोकन उचित नहीं थे। वहीं, केरल सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि विवादित भूमि की जांच के लिए आयोग की नियुक्ति बिल्कुल सही थी और आयोग अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप चुका है। सरकार का तर्क था कि याचिकाकर्ता का इस मामले से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है, इसलिए उनकी चुनौती टिकाऊ नहीं मानी जा सकती।
जानिए क्या है पूरा मामला?
मामला एर्नाकुलम जिले के चेरई और मुनंबम गांवों का है, जहां स्थानीय निवासियों का आरोप है कि वक्फ बोर्ड उनकी निजी जमीन को अवैध रूप से वक्फ घोषित कर रहा है जबकि उनके पास रजिस्टर्ड डीड, लैंड टैक्स रसीदें और पुराने न्यायालय के फैसले मौजूद हैं। इसी विवाद को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। स्थानीय निवासियों का कहना है कि वे गरीब मछुआरे हैं और अचानक उनके घर व जमीन को वक्फ घोषित कर दिया गया। 2019 में बिना सुने जमीन का नोटिफिकेशन जारी किया गया।
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