होम / दुर्ग - भिलाई / तकनीकी खामी से फंसी पंप खरीदी, महापौर ने दी सख्त चेतावनी — 95 एचपी क्षमता पर 120 एचपी पंप लगाने की तैयारी बनी विवाद का कारण
दुर्ग - भिलाई
तकनीकी विश्लेषण के अनुसार, जल विभाग की जल्दबाजी से हुई यह गलती न केवल वित्तीय अनियमितता का संकेत देती है, बल्कि शहर की जलापूर्ति प्रणाली पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती थी
दुर्ग। ज्वाला एक्सप्रेस न्यूज
नगर निगम दुर्ग के जल विभाग में तकनीकी गलती के चलते 1.49 करोड़ रुपये की पंप खरीदी प्रक्रिया पर ब्रेक लग गया है। निगम ने बिना लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग की सलाह के 95 एचपी क्षमता वाली पाइपलाइन के लिए 120 एचपी के पंप खरीदी की निविदा जारी कर दी थी। इस गंभीर तकनीकी खामी पर आपत्ति आने के बाद महापौर अलका बाघमार ने निविदा को तत्काल निरस्त करने और नई निविदा केवल पीएचई की स्वीकृति के बाद जारी करने के निर्देश दिए हैं।
महापौर ने गुरुवार को जल विभाग की समीक्षा बैठक में अधिकारियों से नाराजगी जताते हुए कहा कि जलापूर्ति से जुड़ी कोई भी योजना बिना तकनीकी जांच और पीएचई विभाग की सलाह के आगे न बढ़ाई जाए। उन्होंने कहा कि 120 एचपी के पंप के संचालन से पाइपलाइन पर अत्यधिक दबाव बनेगा, जिससे लीकेज और जलसंकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
जानकारों के मुताबिक, इंटकवेल से फिल्टर प्लांट तक लगी पाइपलाइन अधिकतम 95 एचपी पंप के दबाव को ही झेल सकती है। इस स्थिति में 120 एचपी पंप लगाने पर न केवल पाइपलाइन टूटने का खतरा रहेगा, बल्कि पानी की सप्लाई व्यवस्था भी बार-बार बाधित होगी। इस कारण निगम प्रशासन ने विवाद को देखते हुए निविदा रद्द करने का निर्णय लिया।
बैठक में महापौर ने यह भी निर्देश दिया कि जल विभाग किसी भी खरीद प्रक्रिया से पहले तकनीकी विशेषज्ञों की राय ले और भविष्य की आवश्यकता के अनुसार योजना तैयार करे, ताकि शासन की राशि का दुरुपयोग न हो।
गया नगर और बघेरा में बनेंगी नई टंकियां
महापौर अलका बाघमार ने बताया कि शहर के गया नगर और बघेरा क्षेत्रों में जल दबाव संतुलित करने के लिए नई ओवरहेड टंकियों का निर्माण किया जाएगा। बघेरा के एसटीएफ कॉलोनी और गया नगर के ऊपरी हिस्से में 15 केएल क्षमता की दो टंकियों के निर्माण पर लगभग 1.99 करोड़ रुपये की लागत का प्रावधान किया गया है। साथ ही इन इलाकों में पाइपलाइन विस्तार की भी योजना बनाई जा रही है।
महापौर ने कहा कि जल विभाग गर्मी से पहले ही आवश्यक क्षेत्रों में मोटर पंप और वितरण व्यवस्था को मजबूत करे, ताकि शीतकाल के दौरान ही सभी तकनीकी कमियों को दूर किया जा सके।
तकनीकी विश्लेषण के अनुसार, जल विभाग की जल्दबाजी से हुई यह गलती न केवल वित्तीय अनियमितता का संकेत देती है, बल्कि शहर की जलापूर्ति प्रणाली पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती थी। महापौर के निर्देश के बाद अब नई निविदा तकनीकी मानकों और पीएचई की स्वीकृति के आधार पर ही जारी की जाएगी।
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