PM पोषण योजना में एल्यूमिनियम बर्तन खरीद पर विवाद तेज, पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
समाचार: ज्वाला एक्सप्रेस न्यूज
रायपुर। छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री पोषण योजना के तहत एल्यूमिनियम के बर्तन खरीदे जाने को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। रायपुर पश्चिम के पूर्व विधायक और पूर्व संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए आरोप लगाया है कि एल्यूमिनियम बर्तनों से होने वाले स्वास्थ्य दुष्प्रभावों के बावजूद सरकार ने टेंडर प्रक्रिया शुरू कर नियमों की अनदेखी की है।
उपाध्याय का कहना है कि केंद्र सरकार की स्पष्ट गाइडलाइन और स्वास्थ्य संबंधी चेतावनियों के बावजूद एल्यूमिनियम को खाद्य सामग्री निर्माण में प्रयोग न करने के निर्देश को नजरअंदाज़ किया जा रहा है। उन्होंने याद दिलाया कि न्यायालय ने भी सरकारी प्रयोगों में एल्यूमिनियम के उपयोग पर रोक लगाई है, इसके बावजूद टेंडर जारी किए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट की नाराज़गी के बाद भी नहीं सीखा?
उन्होंने तंज कसा कि स्पोर्ट्स किट टेंडर मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पुनः-टेंडर का आदेश दिए जाने के बाद भी सरकार ने पारदर्शिता नहीं बढ़ाई। एक के बाद एक टेंडरों पर उठ रहे सवालों से खरीद प्रक्रिया पर अविश्वास बढ़ रहा है।
बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़?
विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों ने कहा है कि एल्यूमिनियम बर्तनों का उपयोग बच्चों के स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा कर सकता है। शिकायतकर्ताओं का दावा है कि पोषण योजना जैसे संवेदनशील कार्यक्रम में अनियमितता सीधे बच्चों के भविष्य पर चोट है।
केंद्र सरकार के निर्देशों के खिलाफ टेंडर जारी
भारत सरकार ने PM POSHAN योजना में एल्यूमिनियम आधारित सामग्री के उपयोग से बचने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद राज्य में एल्यूमिनियम सामग्री की खरीद के लिए टेंडर जारी किया गया, जिसे उपाध्याय ने “बच्चों की सेहत से खिलवाड़” बताया।
उन्होंने कहा, “यदि टेंडरों को निजी संपत्ति समझकर बांटा जाएगा, तो यह लोकतंत्र नहीं—लूटतंत्र होगा। प्रधानमंत्री की मंशा के विपरीत जाकर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। PMO को इस पर हस्तक्षेप करना चाहिए।”
कुछ चुनिंदा फर्मों को लगातार लाभ का आरोप
उपाध्याय ने आरोप लगाए कि NR Associates, Ganpati Enterprises और Shri Ram Creation जैसी तीन–चार फर्मों को ही बार-बार लाभ मिलता रहा है। तकनीकी शर्तों को इस तरह गढ़ा गया कि केवल चुनिंदा फर्में ही पात्र बन सकें। अन्य योग्य और कम दर वाले सप्लायर्स को बाहर कर दिया गया।
अधिकारियों और ठेकेदारों का गठजोड़?
कई शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि विभाग के कुछ प्रभावशाली अधिकारी, चुनिंदा ठेकेदार और सत्ता के करीबी लोग मिलकर टेंडर प्रक्रिया को प्रभावित कर रहे हैं। यद्यपि आरोप अभी सिद्ध नहीं हैं, पर सवाल यह उठ रहा है—
“क्या नियम बदलते हैं, लेकिन लाभार्थी वही रहते हैं?”
पत्रकार वार्ता में प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर, सुरेन्द्र वर्मा, सत्यप्रकाश सिंह, अशोक ठाकुर, संदीप तिवारी और विनोद कश्यप उपस्थित थे।
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