बिल्डर्स के खिलाफ एक साथ तीन एफआईआर
निगम ने अपराध दर्ज किया तो बना, लेकिन जांच के लिए पुलिस को मूल दस्तावेज देने में कर रही है आफवाणी
– निगम के भवन अधिकारी ने की है शिकायत
इसी तरह का एक मामला बुल कपड़ा बाजार दुर्ग का दुर्ग सिटी कोतवाली में दर्ज है जिस पर भी सालों से मूल दस्तावेजों में दिए जाने का कारण बताया जा कर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
दुर्ग / लैंड मार्क डेवलपर्स के डॉयरेक्टर सुभाष कुशवाहा के खिलाफ नगर पालिक निगम ने एफआईआर तो दर्ज करा दिया है, लेकिन मूल दस्तावेज देने में लेटलतीफी की जा रही है।
पुलिस का कहना है कि मूल दस्तावेज जितना जल्दी मिलेगा उसी अप से वे जांच करेंगे और क्रीम को गिरफ्तार करेंगे।
धोखाधड़ी जैसे अपराध में बिना साक्ष्य के गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
तीन साल से नियमों को ताक पर रख कालोनी का निर्माण कर फ्लैट बेचने वाले बिल्डर्स के खिलाफ नगर पालिक निगम के अधिकारियों ने जांच की।
इतिश्री न हो जाए लैंडमार्क डेवलपर्स(आंनद विहार) के विरुद्ध दर्ज 420 के अपराध का
जांच में बिन्दुवार खामियां भी निकाली। और जांच प्रतिवेदन के आधार पार नगर पालिक निगम के भवन अधिकारी ने एफआईआर कराया।
पुलिस का कहना है कि एफआईआर में धोखाधड़ी की धारा 420 और नगर पालिक निगम अधिनियम की धारा 292 सी के अलावा नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम की धारा 36 लगाया गया है। इस धारा के तहत आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए साक्ष्य को पहले एकत्र करना होगा।
निगम के अधिकारियों ने प्रतिवेदन के साथ कुछ दस्तावेज ही दिए है। मूल प्रति जब तक पुलिस को नहीं मिल जाता वे आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकते।
फोरम ने भी ठहराया है दोषी
खास बात यह है कि लैण्ड मार्क डेवलपर्स भिलाई के खिलाफ जिला उपभोक्ता फोरम में आधा सैकड़ा प्रकरण दर्ज हो चुका है। अधिकांश प्रकरणों में फोरम ने डेवलपर्स को दोषी ठहराया और हर्जाना जमा करने का निर्देश दिए थे।
हर्जाना राशि जमा नहीं करने पर फोरम ने 2018 में डेवलपर्स के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया था। इसके बाद आनन फानन राशि फोरम में जमा कराई गई थी।
इन बिन्दुओं पर पुलिस को चाहिए दस्तावेज
1 * उद्यान के लिे 5525 की जगह 2745 वर्ग फीट जमीन छोड़ा गया
2 * नियमत: कालोनी के उत्तर दिशा में खाली स्पेश छोडऩा था जिसे नहीं छोड़ा गया
3 * जमीन सिमांकन में मयूरी हाईटस की जमीन आदिपत्य में पाया गया
4 * पांचवे तल पर 60112 वर्गफीट की जगह 15028 वर्गफीट पर निर्माण पाया गया
6 * जांच के दौरान यह बात सामने आई कि 14 प्लैट का बंधन मुक्त कराया गया जबकि 12 को बिना बंधन मुक्त कराए बेचा गया
7 * ईड्ब्लयू एस के लिए जगह छोड़ा गया लेकिन निर्माण अधूरा है
8 * विद्युत आपूर्ति मापदण्ड अनुसार नहीं
9 * लिफ्ट संधारण नहीं
10 * पानी टंकी की सफाई नहीं
11* उद्यान के लिए जमीन पर्याप्त नहीं
12 *कालोनी में गंदा पानी का जमावड़ा
13 * पार्किं ग व ओपन स्पेश में अंतर
निगम ने दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया।
धोखाधड़ी के मामले में पहले पुलिस जांच करती है। यह स्पष्ट होना चाहिए कि जो दस्तावेज पुलिस के पास है उसमें स्पष्ट है कि आरोपी ने धोखाधड़ी और नियमों का उल्लंघन किया है। दस्तावेज में कमी होने पर आरोपी को तत्काल जमानत का लाभ मिलता है। इसलिए हम निगम से दस्तावेज की मूल प्रति मांग रहे हैं। दस्तावेज मिलते ही आरोपी को गिरफ्तार किया जाएगा।
प्रशांत ठाकुर, एसपी दुर्ग